क्या आपने पौराणिक महाभारत का नाम सुना है? महाभारत हमारे धर्म, वीरों, कहानियों और इतिहास का एक हिस्सा है। वैसे तो महाभारत एक परिवार की कहानी है, जिसमें कौरव और पांडवों के बीच युद्घ होता है। महाभारत में कई जगहों का ज़िक्र है, जिसमें से कुछ तो वाक़ई में हमारे बीच में हैं। इनमें से कुछ तो उत्तराखंड के हिस्सों में है। उत्तराखंड में महाभारत काल के कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। हम आपको उत्तराखंड के महाभारत सर्किट की सैर पर ले चलते हैं। इस बहाने घूमना भी हो जाएगा और महाभारत से जुड़ी इन जगहों को भी देख लेंगे।
उत्तराखंड का महाभारत सर्किट:
1- बद्रीनाथ
उत्तराखंड में आप महाभारत सर्किट की शुरूआत बद्रीनाथ से कर सकते हैं। बद्रीनाथ मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है। कहा जाता है इस पवित्र स्थान पर महाभारत काव्य के लेखक रहते हैं। बद्रीनाथ मंदिर के पास एक व्यास गुफा है। माना जाता है कि इसी गुफा में ऋषि व्यास ने भगवान गणेश की मदद से इस महाकाव्य की रचना की थी। एक अन्य किंवदंती ये भी है कि जब पांडव वनवास में थे तो वे कुछ समय के लिए बद्रीनाथ में रूके थे।
2- माणा गाँव
बद्रीनाथ से लगभग 5 किमी. दूर एक गाँव है, माणा गाँव। भारत-चीन सीमा पर स्थित माणा गाँव भारत का आख़िरी गाँव है। बड़ी संख्या में भारत के इस आख़िरी गाँव को देखने के लिए आते हैं। माणा वो जगह है, जहां से पांडवों से अपनी अंतिम यात्रा शुरू की थी। पांडवों की पत्नी द्रौपदी सरस्वती नदी को पार करने के बाद सबसे पहले गिर गईं थीं। रास्ते में एक भीम पुल है, जो देखने लायक़ है।
3- पांडुकेश्वर मंदिर
पांडुकेश्वर मंदिर उत्तराखंड के चमोली ज़िले के जोशीमठ में स्थित है। समुद्र तल से 1,829 मीटर की ऊँचाई पर स्थित पांडुकेश्वर मंदिर बद्रीनाथ के रास्ते में पड़ता है। ये मंदिर जोशीमठ शहर से 18 किमी. की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि यहाँ पर पांडवों के पिता पांडु ने भगवान शिव की पूजा की थी। पांडुकेश्वर में भगवान वासुदेव मंदिर भी है। माना जाता है कि इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था।
4- लाखामंडल
उत्तराखंड के चकराता से लगभग 40 किमी दूर एक गाँव है लाखामंडल। इस गाँव में भगवान शिव को समर्पित लाखामंडल मंदिर है जिसमें ग्रेफाइट लिंगम स्थापित है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि पांडवों के चचेरे भाई दुर्योधन ने लाखामंडल भवन का निर्माण अपने चचेरे भाइयों को जलाकर मारने के लिए किया था। पांडवों को इस भवन में रखा भी गया था लेकिन वे षड्यंत्र से एक गुफा के माध्यम से बच निकले थे।
5- हनोल-थडियार
चकराता के पास एक और शानदार जगह है जिसका जुड़ाव महाभारत काल से है, हनोल-थडियार। कहा जाता है कि द्वौपर युग के अंत में जब भगवान कृष्ण ग़ायब हो गए तो पांडवों ने उनका पीछा किया। टौंस नदी को पार करते हुए पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर इस जगह पर पहुँचे। इस स्थान की सुंदरता को देखकर युधिष्ठिर मंत्रमुग्ध हो गए और उन्होंने विश्वकर्मा से एक मंदिर को बनाने को कहा। तब से ये जगह हनोल नाम से जाने जाने लगी।
6- नेटवार
नेटवार उत्तराखंड के साँकरी रेंज में स्थित एक छोटा-सा गाँव है। ये गाँव यमुना नदी की सहायक नदी टोंटी नदी का उद्गम स्थल है। नेटवार गाँव साँकरी से 11 किमी. पहले पड़ता है। इस गाँव में कुछ मंदिर ऐसे हैं जो महाभारत काल से कनेक्टेड है। इस गाँव में एक दुर्योधन का मंदिर है और एक कर्ण का मंदिर है। आप इस जगह को एक्सप्लोर करने के लिए जा सकते हैं।
7- डोडीताल
उत्तराखंड के उत्तरकाशी से 39 किमी. दूर एक सुंदर हिल स्टेशन है, डोडीताल। डोडीताल में एक सुंदर झील भी है। दूर-दूर से लोग इस जगह पर ट्रेन करने के लिए आते हैं। डोडीताल समुद्र तल से 3,310 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कहा जाता है कि महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांडव डोडीताल से ही स्वर्ग गए थे। आप जब यहाँ आएँगे तो आपको ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं लगेगी।
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