











चेन्नई से 55 किमी दूर महाबलीपुरम स्थित है जिसे मामल्लपुरम भी कहते हैं | यहाँ की चट्टानों पर की गयी नकाशी, मूर्तियों, और प्राचीन मंदिरों के कारण यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित कर दिया है |
कैसे पहुँचे:
चेन्नई में विभिन्न स्टैंड जैसे सीएमबीटी, टी.नगर, तांबरम आदि जगहों से नियमित बसें उपलब्ध हैं और स्थानीय ट्रेनें भी चलती हैं।
हमने क्या देखा :
शोर मंदिर
1400 सालों से समुद्र के किनारे खड़ा ये सबसे पुराना स्मारक शोर मंदिर कहलाता है | इस मंदिर की दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं जैसे शिव, विष्णु, नंदी, दुर्गा आदि की मूर्तियाँ बनी हुई है| समय के साथ साथ मंदिर का एक भाग समुद्र की सतह के अंदर चला गया है |
अगली जगह: अर्जुन पेनेन्स
महाभारत के युद्ध के बाद महान योद्धा अर्जुन द्वारा गंगा के वंशजों की कहानी कही गयी थी जिसे यहाँ की चट्टान पर नक्काशी द्वारा उकेरा गया है | साधुओं, श्रद्धालुओं, हाथी हिरण, जलपरी, बंदर, शेर, कोबरा, बत्तख़ और राजाओं की मूर्तियाँ देख कर मतलब समझ पाना ज़रा मुश्किल है मगर दीवारों पर बना अजायाबघर देख कर मज़ा बड़ा आता है |
व्रिह मंडप :
ये चट्टान को काट कर बनाया गया गुफानुमा मंदिर है | यहाँ के ज़्यादातर मंदिर छोटी मोटी गुफ़ाओं के ग्रेनाइट को तराश कर बनाए गये हैं | बाकी के मंदिर चट्टानों को काट कर स्तंभों, विशालकाय छतों और सूखे ही पत्थर जोड़कर बनाई गयी दीवारों के हैं | एक सामान्य आदमी नकाशियों इस जंजाल में घंटों काटकर बनाई गयी सीढ़ियों के इर्द गिर्द घूम सकता है | ये पूरा इलाक़ा बिना किसी मनाही के जनता के लिए खुला है | गाय की मूर्ति के थानों पर हज़ारो लोगों ने हाथ लगाया हुआ है और बछड़े के ऊपर बैठ कर कइयों के तस्वीरें खिंचवाई हैं|
अगला : कृष्णा बटर बॉल
ये भौतिक विग्यान के सारे नियमों को धता बताते हुए एक चट्टान है जो पहाड़ी की ढलान पर बिना किसी सहारे के खड़ी है |
पाँच रथ
ये रात फिर से ग्रेनाइट की चट्टान को काट कर बनाई गयी कलाकारी का उदाहरण हैं | हालाँकि ये कलाकृतियाँ अधूरी हैं | देखा जाए तो मैं कलाकार की महत्वाकांक्षा, पैमाने, अनुभव और इंजीनियरिंग से चकित था। इंजिनियरिंग का उदाहरण देखें तो द्रौपदी रथ की छत के ऊपर दी गयी गोलाई, महिषासुर मर्दिनी का त्रिआयामी स्वरूप, और हाथी की जीवंत प्रतिमा | यहाँ हाथी और शेरों की कलाकृतियाँ भी हैं |
मस्त समुद्रतट और छोटी गलियाँ
शोर मंदिर के दोनो ओर समुद्रतट हैं और सड़कों पर ज़्यादा भीड़भाड़ नहीं रहती है | ठंडी पवन के साथ सुबह उगता हुआ सूरज बहुत बेहतरीन लगता है | आप सवेरे सूर्योदय देखने समुद्रतट पर जा सकते हैं और तट पर कुछ समय आराम से बिता सकते हैं, स्थानीय मछुआरों के साथ नाव में सैर कर सकते हैं, मछली पकड़ना, पास की छोटी पहाड़ियों पर चढ़ना और तट पर कछुओं को निहारने जैसी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं | कस्बे और समुद्रतट पर स्थानीय लोगों द्वारा बेची जाने वाले व्यंजनों का भी लुत्फ़ ले सकते हैं | सड़कों पर चलते हुए चट्टानों पर की हुई खुदाई और शिल्पकारी देखने को मिलती है | आजकल यहाँ धातु पर की गयी कारीगरी के नमूने भी मिल जाते हैं | सड़कों पर नारियल पानी और स्थानीय पेय चखे जा सकते हैं |
लाइट हाउस:
यह एक शताब्दी पुराना लाइट हाउस है जो अभी भी काम करता है। यहाँ लोग टिकट खरीदकर लाइट हाउस के ऊपर से अंदर जाते हैं और कस्बे के रंग बिरंगे नज़ारों को देखते हैं।
जाने का सबसे अच्छा समय:
दिसंबर से जनवरी यानी नये साल का समय | इस समय शहर में भीड़ कम होती है इसलिए आप समुद्रतट पर नर्म रेत और कच्ची धूप के आनंद लेते हुए शांति से नए साल का जश्न मना सकते हैं। महाबलिपुरम नृत्य महोत्सव भी अभी ही मनाया जाता है जो चार सप्ताह तक चलता है। प्रत्येक शाम को अर्जुन पेनेन्स के सामने अलग-अलग नृत्य शैली प्रस्तुत की जाती है। नृत्य ऐसा की देखकर ही मंत्रमुग्ध हो जाते हैं | सस्ती दरों पर कॉटेज भी उपलब्ध हैं।
महाबलीपुरम
शोर मंदिर
अर्जुन पेनेन्स
कृष्णा बटर बॉल
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