भारत के इन मंदिरों के चमत्‍कारी रहस्‍य के आगे विज्ञान भी है हैरान

Tripoto
1st Dec 2020
Photo of भारत के इन मंदिरों के चमत्‍कारी रहस्‍य के आगे विज्ञान भी है हैरान by Priya Yadav
Day 1

धर्म, भक्ति, अध्यात्म और साधना का देश है भारत, जहां प्राचीन काल से पूजा-स्थल के रूप में मंदिर विशेष महत्व रखते रहे हैं। यहां कई मंदिर ऐसे हैं, जहां विस्मयकारी चमत्कार भी होते बताए जाते हैं। जहां आस्थावानों के लिए वे चमत्कार दैवी कृपा हैं, तो अन्य के लिए कौतूहल और आश्चर्य का विषय। आइए जानते हैं, भारत के कुछ विशिष्ट मंदिरों के बारे में, जिनके रहस्य असीम वैज्ञानिक प्रगति के बाद कोई नहीं जान पाया है। कई प्राचीन मंदिर आज भी भारत की सर्वश्रेष्ट धरोहर है जिनसे जुड़े रहस्य आज तक राज बने हुए हैं। भारत में वैसे तो हजारों रहस्यमय मंदिर हैं लेकिन आज हम आपकों कुछ खास प्रसिद्ध रहस्यमय मंदिरों की जानकारी देंगे जो आपको हैरान कर जाएंगे।

ज्वालादेवी से ज्‍वाला निकलना

 इस मंदिर में अनंत काल से ज्वाला निकल रही है इसी कारण इसे ज्वालादेवी का मंदिर कहते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा हुआ है। देवी के शक्‍ति पीठों में से एक इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी। इसलिए यहां पर ज्‍वाला निकलती रहती है। इसके अलावा यहां पर एक और चमत्कार देखने को मिलता है। मंदिर परिसर के पास ही एक जगह है ‘गोरख डिब्बी’ जो कि एक जल कुंड है। इस कुंड में गर्म खौलता हुआ पानी है, जबकि छूने पर कुंड का पानी ठंडा लगता है।

किसी को यह ज्ञात नहीं है कि ये ज्वालाएं कहां से प्रकट हो रही हैं? ये रंग परिवर्तन कैसे हो रहा है? आज भी लोगों को यह पता नहीं चल पाया है यह प्रज्वलित कैसे होती है और यह कब तक जलती रहेगी? कहते हैं, कुछ मुस्लिम शासकों ने ज्वाला को बुझाने के प्रयास किए थे, लेकिन वे विफल रहे।

हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है। कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी।इस जगह का एक अन्य आकर्षण ताम्बे का पाइप भी है जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह होता है। इस मंदिर में अलग अग्नि की अलग-अलग 9 लपटें हैं, जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मृत ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है।

कहते हैं कि सतयुग में महाकाली के परम भक्त राजा भूमिचंद ने स्वप्न से प्रेरित होकर यह भव्य मंदिर बनवाया था। जो भी सच्चे मन से इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन के लिए आया है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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काल भैरव नाथ मंदिर, उज्जैन

मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भगवान काल भैरव का एक प्राचीन मंदिर। परंपरा के अनुसार, श्रद्धालु उन्हें प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही चढ़ाते हैं। आश्चर्यजनक यह है कि जब शराब का प्याला काल भैरव की प्रतिमा के मुख से लगाया जाता है, तो वह एक पल में खाली हो जाता है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन में कालभैरव के मंदिर में उन्‍हें मदिरा पिलाई जाती है। क्‍योंकि यहां भगवान कालभैरव को मदिरापान कराने की परंपरा हैं। इसकी वैज्ञानिक जांच भी हुई कि आखिर ये मदिरा कहां जाती है, लेकिन कुछ नहीं पता चल सका। कालभैरव का यह मंदिर लगभग 6,000 साल पुराना है। मदिरा पिलाने की प्रथा भी काफी पुरानी हो चुकी है।

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स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर गुजरात –

गुजरात में स्थित स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर भारत के अविश्वसनीय और रहस्यमय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर रोजाना दिन में कुछ देर के लिए पूरी तरह से गायब हो जाता है, और मंदिर का कुछ भी हिस्सा दिखाई नही देता। गुजरात में अरब सागर और कैम्बे की खाड़ी के तट के बीच स्थित स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर उच्च ज्वार घंटों के दौरान हर दिन पानी में डूब जाता है, और ज्वार का स्तर नीचे आने पर यह मंदिर फिर से प्रकट होता है। और फिर इसे श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। प्रकृति के इस असाधारण दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु इस मंदिर का दौरा करते है।अन्य पोराणिक कथायों के अनुसार माना जाता है की मंदिर में स्थापित शिव लिंग की स्थापना स्वयं कार्तिकेय ने की थी।

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वीरभद्र मंदिर, आंध्र प्रदेश 

वीरभद्र मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में से एक है। 16 वीं शताब्दीके आसपास निर्मित 16 वीं शताब्दी 70 विशाल स्तंभों का घर है जो विजयनगर शैली को दर्शाते हैं। वीरभद्र मंदिर की रहस्यमयी बात यह है की यहाँ 70 विशाल स्तंभों में से एक स्तंभ मंदिर की छत से लटका हुआ है, और वह जमीन को बिलकुल भी स्पर्श नही करता है। जिसे हैंगिंग पिलर के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ अक्सर पर्यटक स्तंभ के निचे से एक पतला कपड़ा निकालते हुए देखे जाते है।

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कामाख्या मंदिर,गुवाहाटी असम

पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम में गुवाहाटी के पास स्थित कामाख्या देवी मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है। लेकिन इस अति प्राचीन मंदिर में देवी सती या मां दुर्गा की एक भी मूर्ति नहीं है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार इस जगह देवी सती की योनि गिरी थी, जो समय के साथ महान शक्ति-साधना का केंद्र बनी। कहते हैं यहां हर किसी कामना सिद्ध होती है। यही कारण इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है।

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करणी माता मंदिर,राजस्थान

राजस्थान के बिकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है करनी माता मंदिर। जिसे चूहों वाली माता, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में बीस हजार से ज्यादा चूहे हैं और इन्हें ‘कब्बास’ कहा जाता है। मंदिर में इनकी पूजा की जाती है क्योंकि माना जाता है कि वे करणी माता के ‍परिजन हैं, जिन्होंने चूहों के रूप में जन्म लिया है।  यह मंदिर तीन हिस्सों में बना है। इसका पहला हिस्सा सबसे बड़ा है, जहां पर हर शख्स को जाने नहीं दिया जाता है। दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं, जहां एक पत्थर से हर समय पानी निकलता है। कहते हैं कि महीने में एकबार इस पत्थर से खून की धारा निकलती है। ऐसा क्यों और कैसे होता है, यह आजतक किसी को ज्ञात नहीं है?

इस मंदिर को चूहों वाली माता का मंदिर, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर भी कहा जाता है, जो  के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है। करनी माता इस मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं, जिनकी छत्रछाया में चूहों का साम्राज्य स्थापित है। इन चूहों में अधिकांश काले है, लेकिन कुछ सफेद भी है, जो काफी दुर्लभ हैं। मान्यता है कि जिसे सफेद चूहा दिख जाता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

इस मंदिर में सफेद चूहों को और भी आदर दिया जाता है क्योंकि उन्हें कर्णी माता और उनके बेटों का अवतार माना जाता है। वैसे तो यहां अत्यधिक काले चूहे ही हैं पर बहुत थोड़ी मात्रा में सफेद चूहे भी हैं। माना जाता है जिस किसी श्रद्धालु को सफेद चूहा दिख जाए उसकी मन्नत पूर्ण हो जाती है।आश्चर्यजनक यह है कि ये चूहे बिना किसी को नुकसान पहुंचाए मंदिर परिसर में दौड़ते-भागते और खेलते रहते हैं। वे लोगों के शरीर पर कूदफांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। यहां ये इतनी संख्या में हैं कि लोग पांव उठाकर नहीं चल सकते, उन्हें पांव घिसट-घिसटकर चलना पड़ता है, लेकिन मंदिर के बाहर ये कभी नजर ही नहीं आते।

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बालाजी मंदिर महेन्दीपुर राजस्थान –

राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान (शक्ति के देवता) को समर्पित है। कई भक्तों का मानना ​​है कि यह जगह जादुई शक्तियों से युक्त मंदिर है और इसलिए बालाजी मंदिर में हजारों श्रद्धालु काला जादू से छुटकारा पाने और राहत पाने के लिए आते हैं। भूत और बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए यह सबसे अच्छा स्थल माना जाता है। पोराणिक कथायों के अनुसार माने तो बालाजी मंदिर से कई दिव्य  शक्तियां जुड़ी है, जो बुरी आत्माओं से प्रभावित लोगों को ठीक करने की क्षमता रखती है, और उन्हें काले जादू के चंगुल से खुद को मुक्त करने में मदद करती है।     

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ब्रह्मा मंदिर पुष्कर राजस्थान 

ब्रह्मा मंदिर जिसे जगतपिता ब्रह्मा मंदिर भी कहा जाता है। ब्रह्मा मंदिर राजस्थान भारत का प्राचीन रहस्यमय मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है, जिन्हें ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है। यह भारत में ब्रह्मा को समर्पित एकमात्र मंदिर होने के कारण हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। माना जाता है कि ब्रह्मा मंदिर 2000 साल पुराना है, जिसे मूल रूप से 14 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह आदि शंकराचार्य और ऋषि विश्वामित्र द्वारा निर्मित किया गया था। संगमरमर और विशाल पत्थर की शिलाओं से निर्मित इसमें भगवान ब्रह्मा की दो पत्नियों, गायत्री और सावित्री के चित्र हैं। और इस मंदिर को संन्यासी (तपस्वी) संप्रदाय द्वारा संचालित है।

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कन्याकुमारी मंदिर 

समुद्री तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है, जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बच गए दाल-चावल बाद में कंकर बन गए। आश्चर्यजनक रूप से कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के कंकर बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं।

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अमरनाथ गुफा – हिमालय 

जब भी कश्मीर में किसी प्राचीन गुफा की बात होती है जो सबसे पहले नाम आता है अमरनाथ का . लोगों का मानना है कि शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है. ऐसा भी माना जाता है कि अमरनाथ गुफा में एक-एक बूंद पानी नीचें गिरता है और वही धीरे-धीरे बर्फ के रूप में बदल जाता है. हिन्दू धर्म में अमरनाथ को एक पवित्र स्थान के रूप में पूजा जाता है. हर साल लाखों लोग अमरनाथ की यात्रा करने जाते है. इसकी यात्रा चालीस दिनों तक चलती है.

भारत के कोने-कोने से और विदेशों से असंख्य शिव भक्त लगभग 14 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ की गुफा में प्रकृति के इस चमत्कार के दर्शन करने के लिए अनेकों बाधाएं पार करके भी पहुंचते हैं। श्री अमरनाथ गुफा में स्थित पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां भगवती सती का कंठ भाग गिरा था। कश्मीर घाटी में स्थित पावन श्री अमरनाथ गुफा प्राकृतिक है। यह पावन गुफा लगभग 160 फुट लम्बी, 100 फुट चौड़ी और काफी ऊंची है। कश्मीर में वैसे तो 45 शिव धाम, 60 विष्णु धाम, 3 ब्रह्मा धाम, 22 शक्ति धाम, 700 नाग धाम तथा असंख्य तीर्थ हैं पर श्री अमरनाथ धाम का सबसे अधिक महत्व है।

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  पुरी का जगन्नाथ मंदिर 

ओडिशा के नगर पुरी के तट पर भगवान जगन्नाथ का एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। यहां आज भी भक्‍तों की काफी भीड़ होती है। यहां भी कई चमत्‍कारी रहस्‍यों की बातें होती हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर के गुंबद की छाया नहीं बनती है। इसके अलावा इस मंदिर के ऊपर लगा झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। इसके अलावा इसके गुंबद के आसपास कोई पक्षी नहीं उड़ता है। काफी जांच पड़ताल के बावजूद भी इन रहस्‍यों का खुलासा नहीं हो सका है।

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