दोस्तों मेलघाट टाइगर रिज़र्व पिछले 10 सालों से मेरे-दिलों दिमाग पर छाया हुआ है,और ना जाने कितनी बार मैं वहाँ जा चूका हूँ और हर बार मुझे सबकुछ नया सा लगता है। मेलघाट इंदौर से 275 KM की दुरी पर स्थित है और यहाँ लगभग हर तरह के जंगली जानवर पाए जाते हैं, लेकिन एक बात जो इसे बहुत ज़्यादा ख़ास बनती है वो यह है की यहाँ कुछ दुर्लभ प्रजाति के जानवर भी निवास करते हैं और पहाड़ी इलाका होने के कारन यहाँ की खूबसूरती देखते ही बनती है। पक्षी प्रेमियों के लिए तो यह जगह जन्नत है जन्नत!
मेलघाट में कहाँ रुके, कैसे जाएँ, बुकिंग कैसे करें, ये सभी जानकारी इस पोस्ट के आखिर में दी गई है।
बाकी नेशनल पार्क की तरह यहाँ पर टाइगर आसानी से तो नहीं दिखता परन्तु जब दिखता है तो रोमांच की लहर पुरे दिलों दिमाग में दौड़ जाती है। बाकि जानवरों में यहाँ तेंदुआ और भालू बहुतायत में हैं और शाकाहारी जानवरों की लगभग सम्पूर्ण प्रजाति यहाँ मौजूद है। शर्मीले और चुस्त स्वभाव के जंगली कुत्ते (ढोल) भी यहाँ आसानी से देखे जा सकते हैं। ऐसा बोला जाता है की ढोल का झुण्ड किसी टाइगर को भी मार सकता है और अक्सर टाइगर या ढोल एक दूसरे के बच्चों को अपना निशाना बनाते रहते हैं।
![Photo of मेलघाट टाइगर रिजर्व, Amravati, Maharashtra, India by Ambuj Jain](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1571119979_1569398389_3.jpg.webp)
![Photo of मेलघाट टाइगर रिजर्व, Amravati, Maharashtra, India by Ambuj Jain](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1571119978_1569398385_dsc_9628.jpg.webp)
भ्रमण के दौरान हमारी टीम ने निम्नलिखित विषयों पर जानकारी ली :-
- जंगलों का महत्त्व एवं वर्तमान ज्वलंत मुद्दे
- वन्य प्राणियों के स्वभाव एवं उनके मिजाज के बारे में जानकारी
- खतरनाक प्राणियों के बारे में जानकारी एवं सावधानियां
- रात्रिचर वन्यप्राणियों के बर्ताव एवं उनको सुरक्षित रूप से अवलोकन करने का तरीका
- वन्यप्राणी संरक्षण के विभिन्न उपाय एवं मुद्दे
- बाघ को उसके प्राकृतवास में खोजने और देखने के तरीके
- बाघ को खोजने में सहायता करने वाले प्राणियों जैसे चीतल,सांभर,लंगूर,टिटहरी एवं भौंकने वाले मृग की आवाज़ पहचानना
- भालू एवं तेंदुए के बर्ताव एवं उनके हमले से बचने के लिए सावधानियाँ
उपरोक्त बातों के अलावा सभी प्रतिभागी इस बात से भी अचंभित थे की मेलघाट के जंगलों में भौकने वाला मृग (barking deer) भी मिलता है जो की किसी कुत्ते की तरह भोंकता है और मज़ा तो तब आया जब सभी ने पहली बार उड़ने वाली गिलहरी (Flying Squirrel) को उड़ते हुए देखा। बच्चों का उत्साह तो तब देखने को मिला जब उन्होंने हरे रंग का कबूतर (हरियल) देखा और चारों तरफ इतने सारे रंग-बिरंगे पक्षियों की चहचहाहट ने उनको मंत्रमुग्ध कर दिया।
![Photo of Magical Melghat Tiger Reserve with #ISLPIndore by Ambuj Jain](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1571120023_1569398667_21.jpg.webp)
![Photo of Magical Melghat Tiger Reserve with #ISLPIndore by Ambuj Jain](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1571120023_1569398681_dsc_9647.jpg.webp)
सुभह की शुरुवात एलिफैंट सफारी से होनी थी। हम सभी हाथियों के आने का इंतज़ार कर रहे थे। मेलघाट में हाथियों को बाँध के नहीं रखा जाता, उन्हें शाम को जंगलों में छोड़ दिया जाता है और सुबह होते ही वापस बुला लिया जाता है। हम इंतज़ार कर ही रहे थे की इसी बिच सबसे बूढ़ी हथनी (लक्ष्मी) जिसे 75 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त कर दिया गया है और जिसको वन विभाग बड़े ही प्यार से पाल रहा है वो जंगल से हमारी ओर आती दिखी और बाकि सारे हाथी उसके पीछे-पीछे लाइन से आ रहे थे| हाथियों के समाज में बड़ो का स्थान सबसे ऊँचा रहता है इसलिए सभी हाथी उसके पीछे ही चल रहे थे। उनके नज़दीक आने पर लक्ष्मी एक पेड़ के सहारे खड़ी हो गई और बाकि सभी हाथियों को उनके महावतों ने संभाल लिया।
![Photo of Magical Melghat Tiger Reserve with #ISLPIndore by Ambuj Jain](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1571120377_1569398740_60340735_141652436991246_6727950618599620608_n_1.jpg.webp)
जब सभी महावत दूसरे हाथियों को तैयार कर रहे थे तब हमारे दलनायक अंबुज जैन दल के सबसे छोटे प्रतिभागी शौर्यादित्य को लक्ष्मी से मिलवाने ले गए। छोटे बच्चे को अपने पास देखकर सबसे बूढ़ी हथनी लक्ष्मी ने उसको हलके से दुलार लिया और फिर तो शौर्यादित्य का डर भी छूमंतर हो गया और वो लक्ष्मी को काफी देर तक सहलाता रहा। बड़ा ही प्यारा नज़ारा था। इसके बाद सभी प्रतिभागी हाथियों की पीठ पर बैठ कर जंगल की सैर को निकले।
![Photo of Magical Melghat Tiger Reserve with #ISLPIndore by Ambuj Jain](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1571120377_1569398782_32.jpg.webp)
बाघ (टाइगर) की झलक
हाथी की सफारी के बाद अब वक़्त था खुली जिप्सी से जंगल घूमने का। अभी मुश्किल से कुछ ही मिनट हुए होंगे जंगल में घुसे और रस्ते में चलते चलते अचानक मुझे ऐसा लगा की खाई में कुछ है। मैंने जिप्सी वाले भैया को बोला की जिप्सी रोक कर थोड़ा पीछे लीजिये मुझे लगता है मैंने टाइगर देखा है !!! हमने जिप्सी पीछे ली और मैंने ध्यान से देखा तो करीब 100 फ़ीट निचे खाई में एक हष्ट-पुष्ट नर बाघ पेड़ की छाव में सोया हुआ था। मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ .....
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