हमारी ये आदत है हमने जिस जगह के बारे में ज्यादा सुना हो, वहीं जाते हैं। तभी तो मसूरी, नैनीताल, मनीला और शिमला जैसी जगहों पर खूब भीड़ रहती है। हमें ऐसी जगहों पर भी जाना चाहिए जो खूबसूरत लेकिन कम फेमस होती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बता रहे हैं। जिसके बारे में आपने सुना भी नहीं होगा। ओरछा के बारे में तो आपको पता होगा। अगर सुना है तो उसके पास ही एक जगह है, चंदेरी। चंदेरी किलों, मंदिरों और संग्रहालयों से घिरा हुआ है। अगर आप देश भर के खूबसूरत ऐतहासिक स्मारकों को देखना पसंद करते हैं आपको चंदेरी ज़रूर जाना चाहिए।
चंदेरी के बारे में
चंदेरी की खूबसूरती और खासियत बताने से पहले उस जगह के बारे में भी जान लेना चाहिए। चंदेरी मालवा और बुंदेलखंड की सीमा पर बसा है। इस शहर का इतिहास 11वीं सदी से जुड़ा है। उस समय ये मध्य भारत का एक प्रमुख व्यापार केंद्र था। मालवा, मेवाड़, गुजरात के बंदरगाह इससे जुड़े हुए थे। चंदेरी पर मुगलों से लेकर बुंदेलों तक कई राजाओं ने राज किया। बुन्देलों और मालवा के सुल्तानों की बनवाई कई इमारतें आज भी यहाँ देखी जा सकती है। चंदेरी बुन्देलखंडी शैली की साड़ियों के लिए भी फेमस है।
क्या-क्या देखें?
चंदेरी में सबसे पहले आपको चंदेरी किला देखने जाना चाहिए। शहर से लगभग 71 मीटर की ऊँचाई पर स्थित चंदेरी किला यहाँ के सबसे मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस किले को मुगल काल में बनाया गया था इसलिए इसकी बनावट में मुगल काल की झलक दिखाई देती है। इस किले के बारे में कहा जाता है कि ये कई बड़े हमले झेल चुका है। खंडहर की तरह दिखाई देता ये किला कभी यहाँ की भव्य इमारतों में से एक था। किले के भीतर आप खिलजी मस्जिद, हवा पौर, नौखंडा महल और हजरत अब्दुल रहमान का मकबरा देख सकते हैं।
जिस तरह लोग चंदेरी बहुत कम लोग आते हैं। उसी तरह चंदेरी आने वाले लोग इस जगह पर जाना भूल जाते हैं। जबकि चंदेरी आओ तो बादल महल ज़रूर देखना चाहिए। बादल महल चंदेरी के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है। ये ना कोई महल का गेट है और ना ही कोई बहुत बड़ा प्रवेश द्वार। इसे 15वीं शताब्दी में चंदेरी की बड़ी जीत की खुशी में बनवाया गया था। यह गेट अपनी दो मिनारों के साथ खड़ा है, जो देखने में बेहद सुंदर लगता है। गेट पर की गई शानदार नक्काशी यहाँ आने वाले लोगों का ध्यान खींचती है।
देश भर में कई जगहों पर जामा मस्जिद है। उसी तरह इस ऐतहासिक जगह पर भी एक जामा मस्जिद है। ये देश की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। यहाँ एक साथ 2000 लोग अपनी नमाज़ अदा कर सकते हैं। इसको 13वीं शताब्दी में ग्यासुद्दीन बलबन ने बनवाया था। इसकी बनावट और आकार आपको खूब पसंद आएगा। मस्जिद के ऊपर तीन बड़े गुंबद बने हुए हैं, जो इसे बनाने का काम करते हैं।
चंदेरी किले के बाद जिस जगह को सबसे ज्यादा लोग देखते हैं वो है, कोशक महल। ये महल शहर से 4 कि.मी. की दूरी पर है। आप आराम से पैदल चलते-चलते इस जगह पर पहुँच सकते हैं। इस महल को मालवा के सुल्तान ने जीत की खुशी में बनवाया गया था। महमूद शाह खिलजी ने सुल्तान महमूद शारकी को हराने के बाद इसे बनवाया था। इस महल को पहले सात मंजिला तक बनाने का प्लान था लेकिन बन पाया सिर्फ तीन मंजिला। महल की वास्तुकला और दीवारों पर की गई नक्काशी देखने लायक है। महल की खिड़कियों पर बनी नक्काशी तो बेहद की खूबसूरत है।
इन जगहों के अलावा आप यहाँ शहजादी का रोज़ा को भी देख सकते हैं। शहजादी का रोज़ा मेहरूनिसा की कब्र है। कहा जाता है कि मेहरूनिसा और उनके प्रेमी ने यहीं पर आखिरी सांस ली थी। दोनों के मरने के बाद उनको एक ही जगह पर दफनाया गया था। इस कब्र के पास किला और एक तालाब भी बना हुआ है। इतिहास की बेहतर की समझ के लिए आप इस जगह पर आ सकते हैं।
चंदेरी से 45 कि.मी. की दूर ईसागढ़ अपने खूबसूरत मंदिरों के लिए फेमस है। जो लोग चंदेरी आते हैं वो ईसागढ़ ज़रूर जाते हैं। ईसागढ़ में दसवीं शताब्दी के मंदिर आपको देखने को मिल जाएँगे। इसके अलावा आपको यहाँ कई बौद्ध मठ मिलेंगे। जिनमें से कई खंडहर का रूप ले चुके हैं। इसके बावजूद आपको इन सबको देखना चाहिए।
ये चीजें भी करें
1. चंदेरी को पैदल देखें
आपको चंदेरी के किलों, मस्जिदों और मंदिरों के अलावा इस शहर को देखना चाहिए। यहाँ की गलियों में घूमकर आपको अच्छा लगेगा। यहाँ पर कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। अनुष्का शर्मा और वरूण धवन की मूवी ‘सुई-धागा’ की शूटिंग यहीं पर हुई थी। पैदल चलते-चलते ही आप इस शहर को समझ पाएँगे। हो सकता है तब आपको कुछ ऐसी जगहें मिल जाएँ जो इंटरनेट पर ना हों।
2. स्थानीय ज़ायके का स्वाद
मध्य प्रदेश स्थानीय ज़ायके का स्वाद लेने के लिए एक बढ़िया जगह है। अगर मुमकिन हो तो आप यहाँ के चूरमा लड्डू और दाल टिक्का ज़रूर खाएँ। ये डिश आपके चंदेरी के सफर को और खूबसूरत बना देगी। इन स्थानीय खाने के लिए आप यहाँ के रेस्टोरेंट में जा सकते हैं।
3. बुंदेलखंड का लोकगीत
बुंदेलखंड देश की उन जगहों में है, जहाँ आज भी लोग अपना कल्चर बचाकर रखे हुए हैं। जहाँ शादियाँ आज भी गारी गाए बिना पूरी नहीं होती। आप चंदेरी आएँ तो यहाँ के लोकगीतों को बिना सुने ना जाएँ। इसके लिए यहाँ पर प्रोग्राम होते ही रहते हैं। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो उसमें शामिल होने का मौका मिल सकता है।
4. चंदेरी साड़ियाँ
चंदेरी हमेशा से साड़ियों के लिए फेमस रहा है। बनारसी, सिल्क और चिकन की साड़ियों की तरह चंदेरी साड़ियाँ भी अपनी अनूठी प्रिंट और डिजाइन के लिए लोगों के बीच फेमस है। कहा जाता है कि दूसरी शताब्दी से ही यह बुनकरों का केंद्र रहा है। विंध्यांचल का यह इलाका बुनकरी के लिए तब से ही जाना जाता रहा है। चंदेरी साड़ियाँ, तीन तरह के मशहूर शुद्ध फैब्रिक सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क कॉटन से बनाई जाती है। आप चंदेरी आएँ तो यहाँ की साड़ियों की शाॅपिंग ज़रूर करें।
कैसे पहुँचे?
चंदेरी जाना बहुत आसान है। यहाँ आप किसी भी तरह पहुँच सकते हैं। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं तो सबसे निकट रेलवे स्टेशन अशोक नगर है। अशोक नगर से चंदेरी की दूरी 48 कि.मी. है। यहाँ से बस और टैक्सी से चंदेरी जा सकते हैं।
अगर आप फ्लाइट से आने की सोच रहे हैं सबसे नजदीकी एयरपोर्ट ग्वालियर है। ग्वालियर से चंदेरी की दूरी 227 कि.मी. है। आप वहाँ से बस से चंदेरी पहुँच सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो झांसी होते हुए ललितपुर पहुँचिए। ललितपुर से चंदेरी की दूरी 37 कि.मी. है। आप आराम से टैक्सी और बस से चंदेरी पहुँच सकते हैं।
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