हर किसी के लिए बनारस अलग-अलग है। किसी को वहाँ घूमना है पसंद है तो किसी को ठहरना। लेकिन इन सभी लोग बनारस की एक जगह पर जरूर जाते हैं, बनारस के घाटों पर। बनारस के घाट हर किसी का मन मोह लेते हैं लेकिन क्या आपको पता है? एक बनारस मध्य प्रदेश में है। मध्य प्रदेश का महेश्वर कस्बा इस देश का दूसरा बनारस है। जहाँ के घाट देखकर आपको लगेगा कि आप बनारस में आ गए हैं। बनारस की तरह यहाँ भी एक काशी विश्वनाथ मंदिर है। प्रकृति और इतिहास की गलियारों में ले जाता है मध्य प्रदेश का बनारस, महेश्वर।
महेश्वर बनारस जैसा है लेकिन बनारस नहीं है जो कि अच्छा भी है। अच्छा है कि यहाँ बनारस जैसी भीड़ नहीं है। जहाँ सुंदर-सुंदर महल और मंदिर हैं। जहाँ का इतिहास आज भी इन गलियारों में जिंदा दिखाई पड़ता है। आप फिल्मों में जिस बनारस को देखते हैं वो असल में ये महेश्वर होता है। नर्मदा नदी के किनारे बसा ये महेश्वर कस्बा हर घुमक्कड़ की बकेट लिस्ट में होना चाहिए। आप यहाँ जाएंगे तो फिर इसकी वाहवाही करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।
महेश्वर का इतिहास
माना जाता है कि सुबांधु नाम के शासक ने चौथी शताब्दी में महेश्वर कस्बे को बसाया था। बाद में होल्कर शासकों ने अपनी राजधानी इंदौर से महेश्वर शिफ्ट कर ली। जब अहिल्या बाई होल्कर शासक बनीं तो उन्होंने सिर्फ महेश्वर के नहीं पूरे देश के मंदिरों का पुनरुद्धार कराया। जिनको मुगलों ने तोड़ दिया था। अहिल्या बाई होल्कर ने नर्मदा नदी किनारे घाट भी बनाए। इस जगह का नाम हिन्दुओं के ग्रंथ रामायण और महाभारत में आता है। महेश्वर का प्राचीन नाम माहिष्मति था। आपको इस ऐतहासिक शहर को यहाँ की गलियों में पैदल चलते हुए समझ पाएंगे।
क्या देंखें?
महेश्वर बिल्कुल शांत और सुकून वाला कस्बा है। जहाँ आप सुबह-सुबह चिड़ियों की चहचहाहट सुन सकते हैं। शहरी आधुनिकता से दूर महेश्वर बिल्कुल धीमा चलने वाला शहर है। महेश्वर में आज जो कुछ भी बना है उसे अहिल्या बाई होल्कर नहीं बल्कि उनकी बहू कृष्णा बाई होल्कर ने बनवाया था। इस खूबसूरत और सुकूनपरस्त शहर में देखने को बहुत कुछ है।
1- होल्कर किला
महेश्वर में एक खूबसूरत किला है जिसे होल्कर किला और महेश्वर किला भी कहा जाता है। इस किले के बायीं ओर विंध्या रेंज और दायीं ओर सतपुड़ा की पहाड़ियाँ और बीच से बहती नर्मदा है। इसी नर्मदा के किनारे बना हुआ है ये खूबसूरत किला। ये किला अंदर से बेहद खूबसूरत है। आप किले की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी देख सकते हैं। महेश्वर किला में मुगल, राजपूताना और मराठा आर्किटेक्चर की झलक देख सकते हैं। जिसमें कुछ-कुछ कहानियाँ भी उकेरी गईं हैं। नर्मदा नदी के किले की सीढ़ियों पर नदी की बाढ़ की तारीख और साल भी उकेरा गया है। इससे पता चलता है कभी किले की ये सीढ़ियाँ डूब जाती थीं। किले के अंदर राॅयल होटल भी है। महेश्वर आएं तो इस किले का जरूर देखें।
2- रजवाड़ा
अहिल्या बाई होल्कर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने लिए न कोई बड़ा महल बनवाया और न ही कोई पैलेस। महेश्वर में वो एक छोटे-से घर में रहतीं थीं जो खपरैल का बना हुआ था। आज उसी घर को रजवाड़ा के नाम से जाना जाता है। जो महेश्वर आता है कि इस रजवाड़ा को देखने जरूर आता है। रजवाड़े में घुसते ही रानी अहिल्या बाई होल्कर एक मूर्ति दिखाई देती है। जिसके बाद वो घर आता है जिसमें रानी रहतीं थीं। घर के बाहर एक पालकी रखी हुई है और अंदर वो गद्दी रखी हुई है जिस पर वो बैठा करतीं थीं। इस घर के अंदर तलवार और भाले को देखा जा सकता है।
3- राज राजेश्वर मंदिर
राज राजेश्वर मंदिर महेश्वर के सबसे फेमस मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में 11 अखंड दीप हमेशा जलते रहते हैं। इस मंदिर को औरंगजेब ने तोड़ दिया था। बाद में अहिल्या बाई होल्कर ने इसका पुनरुद्धार कराया। ये मंदिर अहिल्येश्वर मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर ही है। इस मंदिर में एक छोटा-सा सहस्त्रार्जुन मंदिर भी है। जो महेश्वर के महान सम्राट थे और जिन्होंने रावण को भी हराया था। आप महेश्वर आएं तो इस मंदिर को देखने जरूर आएं।
4- नर्मदा और नर्मदा घाट
नदी किनारे बसी जगह सबसे खूबसूरत जगहों में से एक होती है। जहाँ कुछ भी न होने पर भी बहुत कुछ होता है और महेश्वर जैसे खूबसूरत शहर में तो पहले से ही बहुत कुछ है। ये शहर नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है। नदी के किनारों पर घाट बने हुए हैं। इन घाटों को देखकर लगता है कि ये बनारस के ही घाट हैं। इसी वजह से यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। आप नर्मदा नदी में नाव की सैर कर सकते हैं। नदी के बीच से आपको ये घाट बेहद खूबसूरत लगेंगे। अगर आपने बनारस के घाट गंगा में नाव से देखे होंगे तो आपको ये बिल्कुल वैसे ही लगेंगे। सुबह और शाम इन घाटों पर आना यादगार अनुभव होगा। महेश्वर आएं तो नर्मदा के घाटों पर जरूर आएं।
5- छत्रियाँ
छत्रियाँ वो जगह होती हैं जहाँ राजा-महाराजाओं की समाधि बनी होती हैं। ये छत्रियाँ इतनी विशाल और खूबसूरत होती है कि ये अपने-आप में देखने लायक है। उस समय की नक्काशी और इमारतों की बनाने की कला को इन छत्रियों से समझ सकते हैं। इसमें अहिल्या शिवालय, विठोजी की खूबसूरत छत्रियाँ हैं। आमतौर पर लोग इस जगह पर जाते हैं इसलिए अगर आप महेश्वर जाते हैं तो इन छत्रियों को देखना न भूलें।
6- काशी विश्वनाथ मंदिर
बनारस में एक काशी विश्वनाथ मंदिर है। ठीक वैसा ही काशी विश्वनाथ मंदिर है। जिसे आपको जरूर देखना चाहिए। महेश्वर में इतने मंदिर हैं कि इसे मंदिरों का शहर कहा जाना चाहिए। नर्मदा घाट पर खूबसूरत नर्मदा मंदिर है। इसके अलावा विंध्यावासिनी, बाणेश्वर और अहिल्येश्वर जैसे फेमस मंदिर हैं। आप महेश्वर आएं तो इन मंदिरों को भी जरूर देखें।
7- महेश्वर गढ़
महेश्वर गढ़ वो जगह है जहाँ आज भी राजसी परिवार रहता है। ये भारत की उन चुनिंदा जगहों में से एक है जहां राजाओं-महाराजाओं के लोग रह रहे हैं। महेश्वर गढ़ के प्रवेश द्वार तक लोग आते-जाते हैं। ये विशाल गेट हाथियों के लिए बनाया गया था।
महेश्वर साड़ी खरीदें
महेश्वर में सिर्फ यहाँ की जगहें ही खूबसूरत नहीं है। यहाँ की साड़ियाँ भी बहुत फेमस हैं। महेश्वर में आपको चारों तरफ ये रंगी-बिरंगी साड़ियाँ दिखाई देंगी। हर तरफ आपको हथकरघे के चलने की आवाज सुनाई देगी। इन साड़ियों की खास बात ये है कि महेश्वर किला का आर्किटेक्चर को साड़ियों में उकेरा जाता है जो इसे और खास बनाती है। आप महेश्वर आएं तो यहाँ की साड़ी जरूर खरीदें।
कहाँ ठहरें?
महेश्वर के बारे में कहा जाता है कि ये जगह उत्तर और दक्षिण भारत को बाँटने वाली जगह है। ये नाॅर्थ इंडिया का छोर है। यहाँ आपको ठहरने के लिए कई बेहतरीन होटल मिल जाएंगे। अगर आप किले में ही रहना चाहते हैं तो किले के अंदर भी एक राॅयल होटल है, जिसमें 12 कमरे हैं। महेश्वर आने का सबसे सही समय अगस्त से सितंबर और दिसंबर से फरवरी का है। तब महेश्वर और भी खूबसूरत हो जाता है।
कैसे पहुँचे?
महेश्वर इंदौर से 91 किमी. की दूरी पर है। आप इंदौर से महेश्वर बस से आ सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। जहाँ से आप बस या टैक्सी बुक करके महेश्वर आ सकते हैं। अगर आप ट्रेन से महेश्वर आना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बड़वाहा है। जो महेश्वर से 39 किमी. की दूरी पर है। जहाँ से महेश्वर आप टैक्सी बुक करके आ सकते हैं।
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