‘भारत का दिल' मध्य प्रदेश भले ही देश का सबसे बड़ा और सबसे विविध राज्य हो, लेकिन इसे अभी भी लोगों का वह प्रेम और प्रशंसा नहीं मिली जिसका यह हकदार है। यह विशाल राज्य वन्यजीव, इतिहास, धर्म और प्राकृतिक सुंदरता का एक अद्भुत मेल होते हुए भी हमारी यात्रा सूची में सबसे ऊपर नहीं है।
फिर भी देर आए दुरुस्त आए! हम यहाँ पर ऐसी 10 जगहों के बारे में बता रहें हैं जो आपको मध्य प्रदेश जाने के लिए मजबूर कर देंगी।
1. भोपाल में नवाबों के 300 साल पुराने हम्माम पर जाएँ
हम्माम या तुर्की स्नान, इस्लामिक समुदाय के स्नान का एक जरूरी हिस्सा था।सबसे पहले हम्माम की शुरुआत 15 शताब्दी में इस्तानबुल में हुई थी जहाँ कुशल मालिश करने वाले लोग बूढ़े शरीर को भी जवान बना देते थे ।
भारत में एकमात्र बचा हुआ हम्माम, भोपाल शहर में स्थित है। 300 साल पुराने इस हम्माम को गोंड के युग में 1700 के दशक में बनाया गया था, लेकिन मुग़लों के सत्ता संभालने के बाद, यह इलाका नवाबों की तरफ से हज्जाम हम्मू खालिदा को उपहार में दिया गया था।
कैसे पहुंचे: कृष्णा नगर पहुंचने के बाद, कमला पार्क रोड को खोजें। यदि आप पॉलिटेक्निक स्क्वैयर की ओर चल रहे हैं, तो हम्माम ठीक उसके सामने है।
2. प्राचीन शहर उज्जैन में कर्क रेखा पर खड़े हों
कर्क रेखा एक काल्पनिक रेखा है, जो पृथ्वी पर अक्षांश ( लेटीट्यूड ) का सबसे उत्तरी चक्र है। इसकी परिणति के समय, इसके शिखर पर सूर्य सीधे उपरी भाग में दिखाई देता है।
उज्जैन
भारत में, कर्क रेखा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर गुजरती है। प्राचीन भारतीय ज्योतिषियों ने बहुत पहले यह घोषित कर दिया था कि भूमध्य रेखा के ऊपर उत्तरी भाग को विभाजित करने वाली रेखा प्राचीन शहर उज्जैन से होकर गुजरती है। ट्रॉपिक ऑफ कैंसर का बिंदु मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चिह्नित है और इसे आसानी से अनुभव किया जा सकता है।
जब आप वहां हों: महाकालेश्वर मंदिर, भर्तृहरि गुफाएँ, वेद शाला और कालीदास अकादमी को देखना न भूलें ।
3. भीमबेटका में पाषाण युग के गुफा चित्र देखें
जैसा कि हम आज जानते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप, लगभग 1 करोड़ वर्ष पहले बना था। हालाँकि भारत सदियों से सभ्यता का उद्गम स्थल रहा है, लेकिन मनुष्यों (होमो इरेक्टस) का सबसे पुराना रिकॉर्ड 100,000 साल पहले का है।
भीमबेटका के गुफा चित्र दक्षिण एशियाई पाषाण युग की शुरुआत को दिखाते हैं। रातापानी वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित, भीमबेटका, यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। कुछ आश्रय तो करीब 1००,००० साल पहले बसाये गए हैं, जबकि यहाँ की पेंटिंग करीब 3०,००० साल पुरानी हैं जो पहले नृत्य की तस्वीर पेश करती हैं। भारतीय सभ्यता के इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए भीमबेटका किसी ख़ज़ाने से कम नहीं है।
कैसे पहुंचें: भोपाल शहर से सिर्फ 40 किमी दूर स्थित, भीमबेटका सड़क मार्ग द्वारा (टैक्सी या बस) से आसानी से पहुँचा जा सकता है।यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन भोपाल है।
4. साइकिल यात्रा से मांडू के खंडहरों का पता लगाएँ
मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र मुग़लों, फारसियों और मराठों के बीच सदा ही लड़ाई का हिस्सा रहा है। हालांकि इसे बहुत विनाश का सामना करना पड़ा, लेकिन मांडू शहर अभी भी इतिहास और वास्तु की दृष्टि से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
मांडू, एक रणनीतिक रूप से स्थापित शहर है इसलिए यह एक महत्वपूर्ण सैन्य चौकी थी। ऐसा इस शहर की रक्षा करने वाली 37 किलोमीटर लम्बी दीवार के जरिए देखा और समझा जा सकता है। इन दीवारों की चारदीवारी के भीतर कई महल, जैन मंदिर, 14 वीं शताब्दी की संरचनाएं और जलाशय (कुंड) स्थित हैं।
मांडू में सभी जगहें 5 कि मी या उससे कम दूरी पर हैं, इसलिए यहाँ साइकिल से घूमना मज़ेदार है।
किराए पर साइकिल कहाँ से लें: शिवानी रेस्तरां से तीन दुकानें छोड़ कर एक छोटा सा घर किराये पर साईकल देता है । इनकी कीमत 100-125 रुपये प्रतिदिन है।
5. पेंच नेशनल पार्क के अंदर रुकें
मध्य प्रदेश, देश के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में वन्यजीवों, विशेष रूप से बाघों के संरक्षण पर गर्व करता है। यहाँ पाँच से अधिक नेशनल पार्क हैं और पेंच राष्ट्रीय पार्क उनमें से एक है।
पेंच नदी के नाम पर इस पार्क का नाम रखा गया है जो जंगल से होकर बहती है। पेंच नेशनल पार्क सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में स्थित है।
टाइगर रिजर्व में राफ्टिंग के एडवेंचर भी उपलब्ध हैं। आप पेंच नेशनल पार्क के अंदर भी रह सकते हैं, क्योंकि वहाँ वास्तव में बेहद खूबसूरत गेस्ट हॉउस और ट्री हाउस हैं जो ठीक कीमतों पर रहने की सुविधा देते हैं।
कहाँ ठहरें: पेंच जंगल कैंप, टाइगर कॉरिडोर रिज़ॉर्ट, महुआ वन रिज़ॉर्ट, ट्राइबल कैंप रिज़ॉर्ट या जंगल होम पेंच।
6. महेश्वर में मंदिर भ्रमण करें
कई पवित्र शहर नदियों के किनारे समृद्ध हुए हैं। जहाँ गंगा ने वाराणसी को जन्म दिया, वहीं नर्मदा ने माहिष्मती की अग्नि जलाई।
यह शहर मध्य भारत की वाराणसी के रूप में जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास में महेश्वर का बहुत महत्व है। कई पवित्र ग्रंथों में उल्लेखित 'महिष्मती' के रूप में, महेश्वर को अग्नि देवता (अग्नि) ने विवाह के बंधन से मुक्त कर दिया था। आर्यव्रत में, माहिष्मती की महिलाएँ अनोखी आज़ादी के साथ रहती थीं। ऐसी आज़ादी जो इससे पहले किसी ने न सुनी हो । यह शहर अनेक मंदिरों का घर है, जो इसके समृद्ध इतिहास और वास्तुकला का प्रतीक हैं। यदि आप प्राचीन हिंदू वास्तुकला और पौराणिक कथाओं में रुचि रखते हैं तो आप महेश्वर में मंदिरों का एक लंबा और विस्तृत दौरा कर सकते हैं।
इन मंदिरों के दर्शन अवश्य करें: कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के नाम हैं -सहस्त्रार्जुन मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, चतुर्भुज नारायण मंदिर, अहिल्या माता की छत्रियां, चिंतामणि गणपति मंदिर, पंढरीनाथ मंदिर, भवानी माता मंदिर और एक मुखी दत्त मंदिर।
7. सांची की आध्यात्मिक ऊर्जा में एक पूरा दिन बिताएँ
अशोक की सबसे स्थायी विरासत है तानाशाही शासन को छोड़ बौद्ध धर्म के आदर्शों अनुसार शासन,जिसमें लोगों के प्रति अधिक लोकतांत्रिक और उदार दृष्टिकोण शामिल था।
सांची स्तूप भारत की सबसे पुरानी चट्टान संरचना है, जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की है। सम्राट अशोक द्वारा नियुक्त की गयी, यह वास्तुशिल्प मूर्तिकला स्वयं बुद्ध के अवशेषों पर बनाई गई है। सदियों से, मूल सांची स्तूप के चारों ओर अन्य साम्राज्यों और बौद्ध शासकों द्वारा निर्माण किया जाता रहा, जो सजावटी दरवाज़े और मठों को इसमें जोड़ते गए । यह परिसर अब किसी के लिए भी शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक है, जो शांति की तलाश में यहाँ आते हैं, जबकि बौद्ध धर्मियों के लिए यह एक प्रमुख तीर्थ है।
जब आप वहाँ होते हैं: पुरातत्व संग्रहालय, स्तूप 1, 2 और 3 और मठ 45-47 अवश्य जाएँ ।
8. चित्रकूट में रामायण की दंतकथाओं का सजीव अनुभव करें
रामायण महाकाव्य भारतीय घरों का एक अहम हिस्सा है। हम भगवान राम की दंतकथाओं को एक पौराणिक स्थान की कल्पना में सुनकर बड़े हुए हैं, लेकिन इस बार, रामायण के आश्चर्यजनक परिदृश्य वास्तव में आपके सामने हो सकते हैं।
चित्रकूट, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसके बारे में रामायण और तुलसीदास तथा कालिदास के काव्य में अद्भुत रूप से लिखा गया है। यह सुंदर जंगल जिसमें भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के समय रहने गए थे, महान ऋषियों, अद्वितीय वनस्पतियों, बंदरों, भालुओं और अन्य जीवों के निवास के रूप में जाना जाता है। इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए और चित्रकूट में कई मंदिर और पवित्र इमारतों को देखने के लिए जाया जा सकता है।
जब आप वहाँ हों: राम शैय्या देखने जाएँ; जहाँ श्री राम, लक्ष्मण और सीता सोते थे, रामघाट, भरत मिलाप मंदिर और हनुमान धरा जो चट्टानों को काट कर बनाई गयी गुफा है। यहाँ श्री हनुमान लंका को आग लगा कर लौटे थे ।
9. अद्भुत धुआँधार जलप्रपात में बोट राइड करें
जैसे ही नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से होकर बहती है, यह नरम संगमरमर की चट्टानों के बीच से बहती हुई एक सुंदर घाट बनाती है, जो 3 किमी लंबा है। यह स्थान कई भारतीय फिल्मों में दिखाया गया है और हर साल हजारों पर्यटकों इसे देखने आते हैं।
धुआँधार जल प्रपात
जब हम प्रसिद्ध संगमरमर की चट्टानों के बीच से यात्रा करते हुए 30 मीटर ऊंचे झरने तक पहुँचते हैं तो धुआँधार फॉलस का अद्भुत दृश्य आँखों में बसाने लायक होता है। इतनी ऊँचाई से इस प्रपात के गिरने से उस स्थान पर कुहासा या धुंआ सा बन जाता है। इसलिए इसे धुआंधार जलप्रपात कहा जाता है।इन्हें देखने का सबसे अच्छा समय शरद पूर्णिमा है क्योंकि पूर्णिमा की चांदनी में सफ़ेद संगेमरमर चांदी की तरह चमकता हुआ नजर आता है जिसकी खूबसूरती को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
कैसे पहुंचे: भेड़ाघाट जबलपुर से केवल 21 किमी दूर है जहाँ आसानी से सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है और फिर भेड़ाघाट से, नाव में जाते हैं।
10. भोपाल की शानदार मस्जिदों की सैर करें
मध्य प्रदेश भारत का दिल है जहाँ विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोगों ने एक साथ मिलकर एक शांतिपूर्ण और जीवंत समुदाय का निर्माण किया है। विविधता में एकता का एक जीवंत उदाहरण है भोपाल ।
भोपाल ने कई शताब्दियों तक हिंदू शासकों के शासनकाल को देखा है, लेकिन 18 वीं शताब्दी की शुरुआत से लेकर स्वतंत्रता तक, यह मुग़ल साम्राज्य के अंतर्गत विकसित हुआ।
भोपाल में मुसलमानों का एक बड़ा समुदाय रहता है और उनकी संस्कृति की झलक शहर की सबसे प्रतिष्ठित मस्जिदों के माध्यम से देखी जा सकती है।1844 में निर्मित, ताज-उल-मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और मोती मस्जिद का निर्माण बेगम शाहजहाँ द्वारा किया गया माना जाता है। इबादत की धारणाओं को चुनौती देने के लिए वह एक आदमी के रूप में भेष बदलकर मस्जिद जाती थीं।
मोती मस्जिद और ताज-उल-मस्जिद के आसपास खाने के लिए कहां जाएँ : ताज मस्जिद के पास, कल्याण सिंह स्वाद भंडार, नूर-उस-सबा पैलेस, सुरेंद्र जैन के स्टॉल और मोती मस्जिद के पास अफग़ान होटल बहुत अच्छे हैं।