मात्र 1500 रुपये में ऐसे घूमें चित्तौड़गढ़, इसी क़िले पर किया था महारानी पद्मिनी ने जौहर

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Photo of मात्र 1500 रुपये में ऐसे घूमें चित्तौड़गढ़, इसी क़िले पर किया था महारानी पद्मिनी ने जौहर by Yayawar_monk

राजस्थान रणबांकुरों की भूमि है। महाराणा प्रताप का नाम वीर योद्धाओं और सेनानायकों की अग्रिम पंक्ति में लिया जाता है। महाराणा प्रताप ने अपने मेवाड़ को बचाने के लिये अपना जीवन होम कर दिया था। उन्हीं के मेवाड़ की प्राचीन राजधानी था चित्तौड़गढ़ गढ़।

कहते हैं कि

'गढ़ों में गढ़ है चित्तौड़गढ़, बाक़ी सब गढ़ैया हैं

तालों में ताल है भोपाल का ताल बाक़ी सब तलैया हैं।

चित्तौड़गढ़ की ख्याति लोकप्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ का क़िला देश के दुर्गम किलों में शुमार है। यही वह स्थान है जहाँ पर महारानी पद्मिनी ने अलाउद्दीन खिलजी से अपनी आन बचाने की ख़ातिर 16 हज़ार क्षत्राणियों के साथ जौहर किया था।

चित्तौड़ के क़िले को सिर्फ़ तीन बार ही दुश्मन विजित कर पाए हैं और तीनों ही बार यहाँ जौहर हुआ है। जौहर यानी राजपूत स्त्रियाँ दुश्मन के हाथों में पड़ने के बजाय अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए आग में कूद जाती थीं।

फिल्म पद्मावत की कहानी वाली ऐतिहासिक घटना यहीं पर घटी थी।

क़िले से चित्तौड़ शहर का दृश्य

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कैसे घूमें चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ में घूमने के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थान है चित्तौड़गढ़ का क़िला। यदि आप एक-एक चीज़ इत्मीनान से देखें ताे इस पूरे क़िले को देखने के लिए कई दिन भी कम पड़ सकते हैं। मुख्य स्थानों की जानकारी से पूर्व यह जान लेना ज़रूरी है कि आप यहाँ किस प्रकार कम बजट में घूम सकते हैं।

चित्तौड़गढ़ रेल्वे स्टेशन पर अजमेर के रास्ते जयपुर होकर जाने वाली सभी ट्रेनें रूकती हैं। यह उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है इसलिए आपके शहर से ट्रेन आपको आसानी से मिल सकती है।

रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म क्रमांक एक के बाहर ही कुछ होटल और धर्मशालाएं मौजूद हैं। धर्मशाला में कमरा आपको 200-300 रुपए में मिल जाएगा। वहीं होटल में कमरा 800-1000 रुपए तक में मिलेगा।

कुम्भा महल का भीतरी दृश्य

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क़िले पर घूमने के लिए आपको रेलवे स्टेशन से ही ऑटो मिल जाते हैं। यदि आप यहाँ से ऑटो या टैक्सी न लेना चाहें तो क़िले के निकट स्थित बाज़ार तक जा सकते हैं।

यहाँ से आप क़िले पर दो प्रकार से जा सकते हैं। चूँकि क़िला ऊंची पहाड़ी पर स्थित है इसलिए आप किसी साधन से जाएं तो बेहतर है।

सवारी ऑटो यहाँ से 10-20 रुपए में क़िले की टिकिट खिड़की तक लेकर जाते हैं। वहीं यदि आप पूरा क़िला घूमने के लिए ऑटो बुक करें तो 500-700 रुपए में एक ऑटो आपको पूरा क़िला घुमा सकता है। क़िले में जाने का प्रवेश शुल्क 40 रुपए प्रतिव्यक्ति है।

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चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर प्रमुख स्थल

इस क़िले पर चढ़ने के दो बड़े मार्ग है जिनमें से एक पश्चिमी मार्ग चढ़ने लायक है। इस रास्ते 7 दरवाज़े पड़ते हैं- पाडलपौल, भैरवपौल, हनुमानपौल, गणेशपौल, लछमनपौल, जोड़लापौल और रामपौल।

पौल का अर्थ होता है दरवाज़ा। किले पर मौजूद मुख्य स्थल निम्नलिखित हैं-

कुम्भा पैलेस द्वार

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कुम्भा पैलेस का भीतरी दृश्य

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1. कुम्भा पैलेस - क़िले में प्रवेश करते ही सबसे पहले कुम्भा पैलेस आता है। महाराणा कुम्भा ने इस महल का निर्माण करवाया था। इस महल में अस्तबल, जनाना महल मौजूद हैं।

यहाँ शाम को लाइट एंड साउंड शो दिखाया जाता है

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2. कुम्भश्याम मंदिर - इस मंदिर का निर्माण भी महाराणा कुम्भा ने विक्रम संवत 1505 (1448 ईस्वी) में करवाया था इसलिए इसे कुम्भश्याम मंदिर कहते हैं। यह मंदिर अपनी अनुपम वास्तुकला के लिए जाना जाता है।

कुम्भश्याम मंदिर

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3. मीरा मंदिर– कुम्भश्याम मंदिर परिसर में ही मीरा मंदिर स्थित है। इसी मंदिर में बैठकर मीरा बाई प्रभु श्रीकृष्ण की भक्ति किया करती थीं। इसी मंदिर के सामने संत रविदास की छतरी है। इस छतरी की छत में एक ऐसी अद्भुत प्रतिमा उकेरी गई जिसमें एक व्यक्ति का सिर तो एक है किंतु धड़ 5 हैं। जिस भी धड़ से देखाे तो प्रतिमा का सिर उसी धड़ से जुड़ा दिखता है।

संत रैदास की छत्री में बनी मूर्ति

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4. विजय स्तम्भ – महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी को हराकर इस विजय की याद में इस विजय स्तम्भ को बनवाया था। यह विजय स्तम्भ बहुत प्रसिद्ध है और प्रचुर मात्रा में मूर्तियों के कारण इसे मूर्तिकला का विश्वकोष भी कहते हैं।

विजय स्तम्भ

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5. जौहर स्थल– इसी विजय स्तम्भ के निकट है जौहर स्थल जहाँ पर ऐतिहासिक जौहर की ज्वाला जली थी। इसी के निकट समिधेश्वर भगवान का मंदिर स्थित है जो कि भगवान शिव के त्रिमूर्ति स्वरूप की भव्य मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

गौमुख कुण्ड

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6. गौमुख कुण्ड– समिधेश्वर मंदिर के पीछे एक बड़ा--सा कुण्ड दिखाई देता है जो कि गौमुख कुण्ड है। इस कुण्ड में पहाड़ी प्राकृतिक रूप से पानी आ रहा है। इस प्राकृतिक स्रोत तक पहुँचने के लिए कई सीढ़ियां निर्मित हैं।

गौमुख कुण्ड का दृश्य

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पद्मिनी तालाब और पैलेस

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7. पद्मिनी पैलेस– गर्मी के दिनों में महारानी पद्मिनी इसी पैलेस में अपना समय व्यतीत करती थीं। इसके पास स्थित तालाब को पद्मिनी तालाब कहते हैं।

पहले यह पूरा क्षेत्र युद्धभूमि हुआ करता था

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8. युद्धक्षेत्र– पूर्वी द्वार का नाम सूरजपौल है क्याेंकि यह पूर्व दिशा में है और सूरज के पहले दर्शन यहीं से होते हैं। इसी दरवाज़े के सामने खाली सपाट मैदान दिखाई देता है जिसे युद्धक्षेत्र कहते हैं। जब भी कोई बाहरी आक्रमण होता था युद्ध यहीं पर लड़ा जाता था।

ध्यान देने योग्य बातें-

आप चाहें तो क़िला घूमने के लिए सरकार अधिकृत गाइड भी ले सकते हैं जो कि आपको टिकट खिड़की के निकट आसानी से मिल जाते हैं। गाइड लेने का फ़ायदा यह होगा कि जो चीज़ें आपको यूं देखकर समझ में नहीं आएंगी वो आपको अच्छे से समझा पाएंगे।

अंत में ऑटो वाले या गाइड आपको एक दुकान पर ले जाते हैं जहां पर विभिन्न प्रकार के शॉपिंग आइटम मिलते हैं। यहाँ बहुत महँगी चीज़ें लेने से बचें। छोटी-छोटी चीज़ें यदि आपको मूल्य उचित लगे तो ले सकते हैं।

शाम को यहाँ लाइट एंड साउंड शो होता है जो कि देखने लायक होता है।

क़िले से सूर्यास्त का दृश्य

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भोजन के लिए

रेलवे स्टेशन के निकट आशीर्वाद रेस्टोरेंट है। यहाँ आप मात्र 150 रुपए में अनलिमिटेड थाली ले सकते हैं। दाल--बाटी चूरमा भी कई रेस्टोरेंट पर आसानी से मिल जाता है।

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