माता का महल छोड़कर जाने से मना कर दिया था रामलला ने, इसलिए सालों से सूना पड़ा है यह भव्य मंदिर

Tripoto
Photo of माता का महल छोड़कर जाने से मना कर दिया था रामलला ने, इसलिए सालों से सूना पड़ा है यह भव्य मंदिर by Yayawar_monk

पुरातत्व एवं ऐतिहासिक दृष्टि से ओरछा स्थित चतुर्भुज मंदिर एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा मधुकरशाह (1554-1592 ईस्वी) ने महारानी गणेश कुंवरि के आराध्य देव राजाराम की स्थापना हेतु प्रारम्भ करवाया था, किंतु पश्चिमी बुंदेलखण्ड पर मुग़ल आक्रमण व राजकुमार होरलदेव की मृत्यु के कारण यह पूर्ण नहीं हुआ। इसलिए रानी ने रामलला की प्रतिमा को अपने महल में ही स्थापित कर दिया। मंदिर का निर्माण दूसरे चरण में महाराजा वीरसिंह (1605-1627 ई) के शासनकाल में पूर्ण हुआ।

Photo of माता का महल छोड़कर जाने से मना कर दिया था रामलला ने, इसलिए सालों से सूना पड़ा है यह भव्य मंदिर by Yayawar_monk

ओरछा का यह अत्यंत विशाल मंदिर ऊंची नींव से ऊपरी ओर निर्मित है जो तल विन्यास में गर्भगृह अंतराल व अर्द्धमण्डप युक्त है। इसके गर्भगृह का शिखर नागर शैली तथा कोनों पर लघु शिखर हैं। मण्डप गुम्बदाकार शिखर से ताज सदृश अलंकृत है। मंदिर के दूसरे चरण में निर्माण ईंट-चूने का होकर बुंदेला शैली के महत्त्वपूर्ण स्थापत्य की परिपूर्णता का उदाहरण है।

चतुर्भुज मंदिर का भीतरी दृश्य

Photo of माता का महल छोड़कर जाने से मना कर दिया था रामलला ने, इसलिए सालों से सूना पड़ा है यह भव्य मंदिर by Yayawar_monk

अयोध्या से पधारे रामलला

उपरोक्त जानकारी यहाँ मंदिर के बाहर पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के एक सूचना पट्ट से प्राप्त होती है। किंतु, रामलला यह मंदिर क्यों रिक्त रहा और रामलला यहाँ क्यों नहीं विराजे इससे सम्बंधित एक बड़ी प्रसिद्ध कथा यहाँ लोक में प्रचलित है।

ओरछा नरेश मधुकर शाह की पत्नी महारानी गणेश कुंवरि भगवान श्रीराम की अनन्य भक्त थीं। वे चाहती थीं कि रामलला उनके राज्य ओरछा में निवास करें। इसी पावन उद्देश्य से महारानी रामलला को लेने अयोध्या गईं और वहाँ से रामलला का एक अत्यंत संुदर विग्रह वे ओरछा लेकर आईं। राजाराम राम के लिए इस चतुर्भुज मंदिर का निर्माण करवाया गया था। महारानी जब रामलला को अपने साथ लेकर आईं तो रात को भगवान की मूर्ति को उन्हाेंने अपने महल में ही रखा। दूसरे दिन भव्य मंदिर में रामलला सरकार की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली थी।

अगले दिन जब भगवान की मूर्ति को महल से ले जाने की कोशिश की गई तो मूर्ति किसी से नहीं हिली। उस रात रामलला ने महारानी गणेश कुंवरि को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि वे अयोध्या से उन्हें ही माता मानकर ओरछा आए थे। इसलिए वे मंदिर में नहीं, महारानी के साथ महल में ही रहेंगे।

भगवान महल में ही निवास करने लगे और और उनके लिए तैयार यह भव्य मंदिर रिक्त ही रहा। इसी चतुर्भुज मंदिर के निकट महारानी गणेश कुंवरि का महल स्थित है और उसे ही आज राजाराम सरकार के मंदिर के रूप में जाना जाता है।

रामराजा सरकार का मौजूदा मंदिर

Photo of माता का महल छोड़कर जाने से मना कर दिया था रामलला ने, इसलिए सालों से सूना पड़ा है यह भव्य मंदिर by Yayawar_monk

भगवान राम यहाँ के राजा के रूप में प्रतिष्ठित हैं इसलिए ओरछा को राजाराम की नगरी कहा जाता है।

कैसे पहुँचे ओरछा?

ओरछा भौगोलिक रूप से मध्यप्रदेश के निवारी ज़िले की सीमा के भीतर है किंतु यह उत्तरप्रदेश के झाँसी से अत्यंत नज़दीक है। ओरछा जाने के लिए सबसे पहले झाँसी जाएँ। यहाँ से ओरछा की दूरी मात्र 15 किमी है। यहाँ बस स्टैण्ड से 20-30 रुपये प्रति सवारी में ओरछा जाने के लिए शेयरिंग ऑटो, मैजिक, बस मिल जाते हैं। अकेले ले जाने वाले ऑटो से बचें, वे आपसे 400-600 रुपए सिर्फ़ ओरछा तक जाने के माँग सकते हैं।

Photo of माता का महल छोड़कर जाने से मना कर दिया था रामलला ने, इसलिए सालों से सूना पड़ा है यह भव्य मंदिर by Yayawar_monk

Further Reads