देवी तालाब मंदिर का इतिहास
देवी तालाब मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे कई सदियों से भी पहले स्थापित किया गया था। मान्यता के अनुसार, देवी तालाब मंदिर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी, और यह स्थान माता सती के पुनर्जन्म के स्थानों में से एक माना जाता है। माता सती का अध्यात्मिक महत्व इस स्थान को एक शक्तिपीठ बना देता है, जिसमें भक्तजन उनकी पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनके माता-पिता ने 51 प्रतिमाओं में से, उनकी दाहिना स्तन को इस स्थान पर गिरा दिया था, जहां मंदिर के अंदर माता त्रिपुरमालिनी मंदिर का निर्माण हुआ था।
पवित्र सरोवर पर बना है यह मंदिर
देवी तालाब मंदिर के सरोवर या तालाब का इतिहास इसके मंदिर के इतिहास के साथ ही गहराई से जुड़ा हुआ है। इस तालाब को अत्यंत पवित्र माना जाता है, और यह मंदिर के परिसर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। धार्मिक एवं पवित्र होने के कारण यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण सरोवर है। श्री देवी तालाब मंदिर की परिक्रमा करते हुए मां त्रिपुरमालिनी का मंदिर आता है। जिसके चरणों में पवित्र सरोवर का निर्माण हुआ है। इसलिए ही इस मंदिर को देवी तालाब का नाम दिया गया है। देवी तालाब का सरोवर न केवल देवी तालाब मंदिर के आध्यात्मिक परिसर का एक अभिन्न अंग है बल्कि यह जालंधर और इसके आसपास के क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है।
देवी तालाब मंदिर भारत के पंजाब राज्य के जालंधर शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। खास बात यह है कि यह मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है। यहीं पर श्री सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी का धाम है। मंदिर का मुख्य आकर्षण इसके केंद्र में स्थित एक पवित्र तालाब है, जिसके कारण इसका नाम देवी तालाब मंदिर पड़ा। यहाँ पर हर वर्ष दुर्गा पूजा और नवरात्रि के दौरान बड़े पैमाने पर उत्सव मनाए जाते हैं, जिसमें देशभर से श्रद्धालु आते हैं। देवी तालाब मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि यह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को भी संजोए हुए है, जो इसे जालंधर शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनाता है।
मंदिर परिसर में क्या क्या देखे?
देवी तालाब मंदिर परिसर में कई धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल हैं जो यात्रीगण को आकर्षित करते हैं। यहां आपको धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के अलावा भी कुछ देखने योग्य स्थान मिलते हैं:
माँ दुर्गा का मंदिर: मुख्य मंदिर जो माँ दुर्गा को समर्पित है, यहां के प्रमुख धार्मिक आराधना का स्थान है। मंदिर की सुंदर आर्किटेक्चर, मूर्तियाँ, और विशाल सभा मंदप यात्रीगण को प्रभावित करते हैं।
वैष्णो देवी और अमरनाथ की गुफा: मंदिर परिसर में आपको वैष्णो देवी और अमरनाथ की गुफा भी देखने को मिल जायेगी जिससे की आप जालंधर में ही वैष्णो देवी और अमरनाथ के दर्शन कर सकते हों।
तालाब (सरोवर): मंदिर के स्थान पर स्थित एक पवित्र तालाब जिसे भक्तगण पूजा और स्नान के लिए उपयोग करते हैं। यहां जल स्नान का महत्व है और इसे धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल किया जाता है।
भंडारा भवन: यहां भंडारा भवन होता है जो यात्रीगण को भोजन का व्यवस्था करता है। विशेषकर धार्मिक त्योहारों और उत्सवों के समय, भंडारा यहां आयोजित किए जाते हैं।
पार्क और विश्राम गार्डन: इस मंदिर परिसर में पार्क और विश्राम गार्डन हैं जो यात्रीगण को शांति और आत्म-समर्पण के लिए स्थल प्रदान करते हैं।
प्रवचन हॉल और साधु-संत सभा: कुछ मंदिरों में प्रवचन हॉल और साधु-संत सभा होती है, जहां धार्मिक उपदेशों और भगवान के कथानकों का सुनावा जाता है। इस मंदिर में भी आपको यह सुविधा मिल जायेगी।
इन स्थानों का दौरा करके यात्रीगण धार्मिकता, सांस्कृतिक धरोहर, और शांति का आनंद लेते हैं।
देवी तालाब मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
अक्टूबर से दिसंबर तक जालंधर का मौसम बहुत सुहावना रहता है। इस दौरान मंदिर के दर्शन के लिए अधिक आनंददायक और संतुष्टिदायक होगा।
कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग:नजदीकी विमानस्थल से जालंधर पहुंचना सबसे तेज और सही विकल्प हो सकता है। जालंधर का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा राजा सन्गत सिंह इंटरनैशनल एयरपोर्ट है जिससे आप विभिन्न शहरों से उड़ान भर सकते हैं। यहां से आप ऑटो या टैक्सी से बहुत ही आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
रेलवे मार्ग: जालंधर का मुख्य रेलवे स्टेशन एक महत्वपूर्ण रेलवे हब है। आप भारतीय रेलवे के ट्रेन सेवाओं का उपयोग करके यहां पहुंच सकते हैं।
बस सेवा: जालंधर से अनेक शहरों के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आप अपने स्थान से बस सेवाओं का उपयोग करके या नजदीकी बस स्टैंड से जालंधर पहुंच सकते हैं।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।
क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto