दो देशों के बीच बसा नागालैंड का अनोखा गांव, आपको हैरत में डाल देगा।

Tripoto
7th Feb 2021
Photo of दो देशों के बीच बसा नागालैंड का अनोखा गांव, आपको हैरत में डाल देगा। by Prince Verma

पूर्वोत्तर भारत की यात्रा में आज आपको एक ऐसे स्थान पर ले चलेंगे, जो न केवल अपनी पारंपरिक और प्राकृतिक सौन्दर्य का आकर्षण लिए है, बल्कि अपनी भोगोलिक स्थिति को लेकर अलग पहचान बनाये हुए है।‌ दरअसल यह स्थान भारत और म्यांमार(बर्मा) की अंतरर्राष्ट्रीय सीमा के दोनों तरफ स्थित है। इस अनोखे गांव का नाम है लुंगवा(Lungwa), नागालैंड के मोन जिले में यह भारत का अंतिम गांव है। नागा जनजाति के प्रमुख उपवर्ग में से एक है कोयांक( Konyak), इस जनजाति समुह के भारत और म्यांमार दोनों देशों में लगभग 16 गांव है। जिसमें से लगभग 6 गांव भारत में और 10 गांव म्यांमार में है। यह जनजाति अपने शिकार के खतरनाक तरीको के लिए जानी जाती हैं, अंग्रेजी दास्तावेजों में इस जनजाति को" हेडहंटर्स" बोला जाता था। क्योंकि ये अपने शत्रु का सर काट कर अपने घरों की दीवारों पर सजाया करते हैं, दरअसल आपस की जनजातियों में अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने के एक पारस्परिक संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। कोयांक अपने खतरनाक और शत्रु के मन में भय पैदा करने वाले तरीकों के कारण खुद को श्रेष्ठ साबित करते रहे हैं। किन्तु भारत सरकार से समझौते के साथ इस परंपरा का सार्वजनिक रुप से प्रदर्शित करना गैर कानूनी है। गांव के कुछ युवकों से बात करने से पता लगा, ईसाई धर्म के अनुसरण और अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार के बाद इस इलाके में लोगों के जीवन में परिवर्तन आया है। अब केवल पूरे इलाके में सिर्फ कुछ गिनती के २० हेडहंटर्स बचे हैं, और वो अपनी पीढ़ी के आखिरी है।

अगर आप शाकाहारी हैं, तो इस स्थान की यात्रा आपको थोड़ा सा परेशान कर सकती हैं, क्योंकि चावल और अनन्नास (Pineapple) के अलावा कुछ भी शाकाहारी नहीं मिलेगा। और मांसाहार के अनोखे प्रचलन है जैसे मांस में खट्टा स्वाद लाने के लिए यहां के लोग कुछ जंगली लाल चींटियों को पीसकर चटनी बनाते हैं, और उसे मांस पकाते हुए उसमें मिला देते हैं। इसके अलावा बिल्ली और कुत्ते के मांस खाने की परंपरा है, कुछ युवकों ने सांप खाने की बात भी स्वीकार की है।

किन्तु महिलाओं का समाज में पुरुषों से ऊंचा स्थान है, मुख्यत: एक महिला प्रधान समाज है।

कैसे पहुंचें: नागालैंड में आपको परिवहन को लेकर कुछ परेशानी हो सकती है, लुंगवा गांव मोन जिले में स्थित है यहां तक पहुंचने सबसे सही तरीका है, पहले डिब्रूगढ़ (आसाम) पहुंच जाए, उसके बाद वहां से बस या टैक्सी से यहां तक आ जाये।

नोट- नागालैंड में प्रवेश के लिए आपको इनर लाइन परिमिट(ILP) लेना होगा, जो नागालैंड स्टेट की बेबसाइट से लिया जा सकता है।

लांगवा गांव का दृश्य।

Photo of Longwa by Prince Verma

नागालैंड के मोन‌ जिले का प्रवेश द्वार।

Photo of Longwa by Prince Verma

शिकार के बाद जानवरों का सर काट के द्वार पर सजावट ।

Photo of Longwa by Prince Verma

नागा जनजाति की उपजाति कोयांक समुह के एक पारंपरिक घर का मुख्य द्वार।

Photo of Longwa by Prince Verma

एक कोयांक हेडहंटर( Konyak head hunter) वृद्ध शिकारी जो अपनी पीढ़ी के आखिरी लोगों में से एक है।

Photo of Longwa by Prince Verma

गांव के सरपंच का घर, म्यांमार के साथ सीमा इस घर के बीचों-बीच गुजरती है। इस तस्वीर में मेरा एक पैर भारत में और दूसरा म्यांमार में है। द्वार पर बने झंडे के निशान से हम पता कर सकते हैं कौन सा भारत कौन सा म्यांमार।

Photo of Longwa by Prince Verma

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