
लखनऊ का जिक्र होते ही जो चित्र हमारे मन-मस्तिष्क में बनता है वो है नवाबों का। नवाबों का दौर तो चला गया लेकिन लखनऊ की नवाबी अंदाज़ नहीं। खाने-पीने से लेकर पहनने-ओढ़ने-घूमने तक, हर एक चीज़ में आपको इस शहर की शानोशौकत का अंदाज़ा लग ही जाएगा। खासकर इतिहास प्रेमियों की यात्रा इस लखनवी अंदाज को देखे बिना अधूरी ही समझिये। आज हम आपको दिखलाने जा रहे हैं लखनऊ की दो दिनों की यात्रा का एक प्रारूप, जिसे देखकर आप इस शहर की एक सफल यात्रा कर सकते हैं।
कैसे पहुँचें
दिल्ली शहर से लखनऊ लगभग 550 कि.मी. दूर है, और समय और सुविधा के लिए बेहतर ये रहेगा कि आप ट्रेन से यात्रा करें। दिल्ली से लखनऊ के लिए कई ट्रेनें जाती हैं मगर मेरी सलाह रहेगी कि आप लखनऊ मेल से यात्रा करें जो रात 10 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से खुलकर अगली सुबह 7 बजे आपको लखनऊ पहुँचा देती है। दिल्ली से लखनऊ रात में निकलने का फायदा ये रहेगा कि आपके पास नींद लेने के साथ-साथ यात्रा के लिए अधिक समय बचाने का भी मौका रहेगा।
लखनऊ पहुँचकर अपने पहले दिन की यात्रा आपको बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रेसीडेंसी, नवाब वाजिद अली शाह जूलोजिकल पार्क, रूमी दरवाजा के लिए सुरक्षित कर लेनी चाहिए।
1. बड़ा इमामबाड़ा/अस्फी इमामबाड़ा
नवाबी रचनात्मकता का सबसे बड़ा उदाहरण है ये अस्फी इमामबाड़ा जोकि बड़ा इमामबाड़ा नाम से भी मशहूर है। इसका निर्माण तत्कालीन अवध नवाब अस्फ-उद-दौला ने इस्लाम श्रद्धास्थल के रूप में करवाया था। कहते हैं यहाँ अंदर जाने के लिए तो सैकड़ों रास्ते हैं, मगर बाहर आने के लिए बस दो। लखनऊ का मुख्य आकर्षण बड़ा इमामबाड़ा अपने भूल-भुलैये के लिए बेहद मशहूर है।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त अच्छा समय।
प्रवेश शुल्क: ₹25/- प्रति व्यक्ति।

2. छोटा इमामबाड़ा
बड़ा इमामबाड़ा से बस दो कि.मी. दूर स्थित छोटा इमामबाड़ा अपनी खूबसूरती के लिए रोशनियों का महल भी कहलाता है। इसका निर्माण अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह ने मुहर्रम मनाने के लिए करवाया था। पवित्र पाँच को दर्शाने के लिए यहाँ पाँच दरवाजों का निर्माण किया गया है।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त अच्छा समय।
प्रवेश शुल्क: ₹25/- प्रति व्यक्ति।

3. रेसिडेंसी
लखनऊ का रेसिडेंसी वर्तमान खंडहर हो गया है, बावजूद इसके इसकी शान में कोई कमी नहीं आई। अपनी महत्ता ये आज भी बनाए रखा है, और संरक्षित स्मारक के रूप में सुरक्षित है। 1857 के विद्रोह में ये अंग्रेजों का निवास स्थान था, और उसकी झलक आपको यहाँ की दीवारों पर भी दिख जाएगी।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त अच्छा समय।
प्रवेश शुल्क: ₹25/- प्रति व्यक्ति।

4. नवाब वाजिद अली शाह ज़ूलॉजिकल पार्क
लगभग 30 हेक्टेयर में फैला ये विशालकाय ज़ू हज़़ारों जानवरों को खुद में सहेजे हुए है। जिराफ, गैंडे, दरियाई घोड़े, लंगूर की प्रजाति, सैकड़ों तरह के साँप, चिड़िया के साथ-साथ अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो सफेद बाघ भी दिख जाएगा।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त अच्छा समय।
प्रवेश शुल्क: ₹60/- प्रति व्यक्ति।

5. रूमी दरवाज़ा
लखनऊ शहर का दिल कह सकते हैं रूमी दरवाज़े को। शहर के बीचो-बीच खड़ा ये विशालकाय दरवाज़ा वक्त, शासन और लोग बदलने के बाद भी जस-का-तस खड़ा है। कहते हैं कि जब उस दौर में महामारी फैली थी, तब अवध के नवाब ने सबको काम व खाना देने के बदले रूमी दरवाजा निर्माण करने का प्रस्ताव दिया था। इसलिए आज भी जब लोग इस रूमी दरवाजे को देखते हैं तो नवाबी शान के साथ-साथ आम जनता का संघर्ष भी नज़र आता है।
समय: हर वक्त
प्रवेश शुल्क: निःशुल्क।

पहले दिन की यात्रा के लिए इतना काफीहै। दूसरे दिन की यात्रा आपको लखनऊ के विशालकाय पार्कों के लिए रखना चाहिए। अंबडेकर पार्क, कांशीराम इको गार्डन, गोमती रिवर फ्रंट, गौतम बुद्ध पार्क, बेगम हजरत महल पार्क आप दूसरे दिन जा सकते हैं।
1. अंबेडकर पार्क
डॉ० भीमराव अंबेडकर के नाम पर बना ये पार्क इतना भव्य है कि आपको एक पल को ऐसा महसूस होने लगे कि कहीं आप रोम तो नहीं चले आए। आधे-किलोमीटर से भी अधिक दूसरी तक पंक्ति में खड़े हाथी स्वर्ग में स्वागत करते से प्रतीत होते हैं। यह पार्क आधुनिक युग का है लेकिन अपने निर्माण कौशल से नवाबों को भी बड़ी टक्कर दे देता है।
समय: सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक।
प्रवेश शुल्क:- ₹10/- प्रति व्यक्ति।

2. कांशीराम इको पार्क
बहुजन समाजवादी पार्टी की नींव रखने वाले नेता कांशीराम की याद में इस पार्क का निर्माण किया गया है। साज-सज्जा-स्वच्छता से आपका मन मोह लेने वाले इस पार्क के मध्य भवन में विशालकाय गुम्बद भी इसके आकर्षण का केन्द्र है।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त अच्छा समय।
प्रवेश शुल्क: ₹10/- प्रति व्यक्ति।

3. गोमती रिवर फ्रंट
तकनीक और प्रकृति का खूबसूरत सामंजस्य है ये जगह। ₹10 की टिकट और नदी के तट पर बैठकर स्नैक्स के साथ ठंडी हवाओं का लुत्फ उठाइये। सुबह-शाम या रात, ये जगह हमेशा आपका मन मोहेगी।
समय: सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक।
प्रवेश शुल्क: ₹10/- प्रति व्यक्ति।

4. बेगम हज़रतमहल पार्क
वीर सेनानी बेगम हज़रतमहल को समर्पित ये पार्क वक्त बिताने के लिए बेहतरीन जगह है। खूबसूरत मौसम और वातावरण में यहाँ आप अपनी लखनऊ यात्रा की थकान को मिटा सकते हैं।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त अच्छा समय।
प्रवेश शुल्क: ₹10/- प्रति व्यक्ति।

लखनऊ का ज़ायका
अगर आप दो दिन की यात्रा पर लखनऊ आए हैं तो इन जगहों पर ज़रूर जाएँ। कम लागत में ज्यादा घुमाता है आपको ये नवाबों का शहर। और हाँ, इस यात्रा में अगर भूख लगे तो कहीं भी ठहर स्ट्रीट फूड का लुत्फ भी ज़रूर उठाइए। लखनऊ की गली-गली में नवाबगिरी है, और यहाँ का स्वाद भी लाजवाब। कुछ ऐसी ही जगहों के नाम नीचे दिए गए हैं, जहाँ का स्वाद आपको ज़रूर चखना चाहिए।
1. रहीम का निहारी-कुलचा
सौ साल से भी ज़्यादा हुए इस होटल का निहारी-कुलचा विश्वविख्यात है। निहारी एक मीट करी है जिसे धीमी आँच में पूरी रात पकाकर नरम कुलचों के साथ परोसा जाता है। यहाँ का स्वाद एक बार चखने पर आप कभी भूल नहीं सकते। निहारी-कुलचा के अलावा आप यहाँ का सींक कबाब, पाए, शीरमल, काकोरी कबाब और खीर भी चख सकते हैं।
पता: 29, फूल वाली गली, चौक, लखनऊ।

2. वहीद मियाँ बिरयानी की अवध बिरयानी
लखनऊ आकर बिरयानी नहीं चखा तो कुछ नहीं चखा। अवधी शैली में बनाई जाने वाली ये बिरयानी मुलायम और मसालेदार होती है। इसे दो घन्टे से भी अधिक समय तक मसालेदार पानी में उबाला जाता है और यही वजह है कि ये अन्य बिरयानी की तुलना में मुलायम और गीली होती है। 1955 में अपनी स्थापना के बाद से इस बिरयानी का स्वाद आजतक नहीं बदला।
पता: वहीद मियाँ बिरयानी, अमीनाबाद, लखनऊ।

3. रॉयल कैफ़े की चाट टोकरी
आलू को टोकरी के आकार में फ्राई करके उसमें मसाले, पापड़ी, टिक्की, मटर आदि डालकर इसे तैयार किया जाता है। कई तरह के और मसाले डालने के बाद इसे आपके सामने परोसा जाता है, जिसे चखकर आप इसका स्वाद कभी नहीं भूला पाएँगे।
पता- 9/7, शाहनजफ़ रोड, सहारा गंज मॉल के उलट, प्रेम नगर, हजरतगंज, लखनऊ।

4. शुक्ला चाट हाउस की मटर चाट
लखनऊ की यात्रा इसे चखे बिना अधूरी है। आलू और मटर को प्याज और हरी मिर्च के मसाले में भूनकर, उसे दही और इमली की चटनी के साथ जब आपको परोसा जाता है, तो मुँह में पानी आ जाना बिल्कुल स्वाभाविक है।
पता: 11, शाहनजफ रोड, चर्च बिल्डिंग के पास, हजरतगंज, लखनऊ।

5. चौक की निमिश (मक्खन मलाई)
चाँदनी के वर्क में सजाई गाढ़े दूध में केसर, ओस, इलाइची और गुलाबजल से तैयार की गई ये मिठाई लखनऊ की पसंदीदा है। निमिश के लिए आपको कहीं दूर भी नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि पतझड़ का मौसम आते ही ये गली-गली में मिलने लगता है।

तो लीजिए, इस तरह आपकी दो दिन की यात्रा पूरी होती है जहाँ कम से कम लागत में आपने घूमने और स्वाद चखने का लुत्फ उठाया। लखनऊ उन कुछेक शहरों में से एक है जो अपने इतिहास के साथ-साथ खानपान के लिए भी दुनियाभर में मशहूर है। जब यहाँ आप बाहर निकलेंगे तो इस शहर का नवाबीपन आपसे मुस्कुराकर कहेगा-"मुस्कुराइए! आप लखनऊ में हैं!"