भारत एक ऐसा देश है जो अपनी सभ्यता, संस्कृति, और अपनी धरोहर के लिए पूरी दुनियां में जानी जाती है।प्राचीन काल से ही यहां अनेकों मंदिर और ऐतिहासिक इमारतें हैं जो भारत की अद्भुत कला और नुपुरता का प्रदर्शन करते है।तब से लेकर आज तक अपनी अद्भुत कला और नुपुरता का प्रदर्शन कर यह पूरी दुनियां में अपना डंका बजा रहा है।ऐसी ही एक अद्भुत कला का एक बेजोड़ उदाहरण है तेलंगाना का कमलधाम मंदिर जो की कमल की आकृति नही बल्कि पूरा का पूरा मंदिर ही एक कमल के फूल के ऊपर बनाया गया है।जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो कमल के फूल से कोई मंदिर बाहर निकल रहा है।इतनी अद्भुत कलाकारी और नक्काशी देखकर आप भी आश्चर्यचकित हो जायेंगे।तो आइए जानते है इस अनोखे मंदिर के विषय में।
कमलधाम मंदिर
कमलधाम मंदिर जिसे लोटस टेंपल के नाम से भी जाना जाता है तेलंगाना से 3 किमी पहले हिमायत नगर जंक्शन के पास राजमार्ग पर श्री स्वामीनारायण गुरुकुल में स्थित है।अद्भुत कला को प्रदर्शित करता यह मंदिर जितना भव्य है उतना खूबसूरत भी है।यह मंदिर एक बड़े से कमल के फूल पर बनाया गया है जोकि अद्भुत नक्काशी और वास्तुकला का उदहारण है।इसका निर्माण पूर्णतः ताम्र पत्रिका में किया गया है, जो कि लोटस के फूल की आकृति को प्रकट करता है। टेंपल का इमारती निर्माण उत्तम शिल्पकला की एक अद्वितीय मिश्रण है, जिसमें स्थापत्यकला, सांस्कृतिक धाराओं का समाहार, और आधुनिक डिज़ाइन का उपयोग किया गया है। यह आकर्षक टेंपल तेलंगाना की स्थापत्यकला की एक प्रमुख धरोहर है।
भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर
यह खूबसूरत मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।कहा जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग किसी पुरुषोत्तम भाई नामक भक्त को नर्मदा नदी के तट पर मिला था।जिसे उन्होंने यही स्थापित कर दिया बाद में यही पर इस भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। यहां स्थापित शिवलिंग कोई आम शिवलिंग नहीं बल्कि बहुत ही अद्भुत है जिस पर रुद्राक्ष, त्रिनेत्र और नाभि स्वाभाविक रूप से दिखाई देते हैं।इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं महादेव सामने खड़े है।इस मंदिर के प्रति लोगो की अपार आस्था और विश्वास है।सावन माह में यहां भक्तो की काफी भीड़ लगती है।मंदिर परिसर में अन्य देवी देवता जैसे हनुमान, लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी, राधा कृष्ण, वेंकटेश्वर स्वामी जैसे विभिन्न देवताओं के भी दर्शन होते है।
पंडित नहीं भक्तों द्वारा होता है भगवान का अभिषेक
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पर प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक पंडित द्वारा नहीं बल्कि भक्तो द्वारा किया जाता है।जी हां अपने सही सुना यहां रोज सुबह 8 बजे पूजा शुरू हो जाती है और सबसे पहले आने वाले भक्त के द्वारा ही भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कराया जाता है।यह अभिषेक निःशुल्क होता है,जबकि इसके बाद किए जाने वाले प्रत्येक अभिषेक के लिए 201 ₹ का शुल्क देना होता है।मंदिर के दोनों ओर आपको दो बड़े बड़े कलश दिखाई देंगे। जो इसकी भव्यता को और भी अधिक निखारने का कार्य करते है।इस मंदिर के परिसर में गौशाला और यज्ञशाला भी है साथ ही मंदिर परिसर में गुरुकुलम द्वारा एक फूड कोर्ट की भी व्यवस्था है। इसके अलावा यहां छोटे बच्चों के खेलने के लिए पार्क भी है।
प्रवेश का समय व शुल्क
मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:30 बजे से रात 10 बजे तक का है । जबकि मंदिर मे प्रवेश शुल्क 10 रुपये प्रति व्यक्ति है।
कैसे पहुंचे?
अगर आप भी इस मंदिर में दर्शन के लिए जाना चाहते है तो हैदराबाद में ही सेंट्रल रेलवे स्टेशन है, जो तेलंगाना के सभी मुख्य रेलवे लाइनों से जुड़ा हुआ है। वहाँ से आप एक टैक्सी या ऑटोरिक्शा मंदिर तक पहुंच सकते है।इस मंदिर तक पहुंचने के लिए मेहदीपट्टनम और सिकंदराबाद से भी कई बसें हैं। आप चाहे तो बस की सहायता से यहां पहुंच सकते है।चिलकुर बालाजी को वीजा वाले बालाजी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि बाबा के दर्शन मात्र से लोगों की नौकरी लग जाती है। यह मंदिर चिलकुर बालाजी मंदिर से 3 किमी दूर है आप यहां जाए तो इस मंदिर में दर्शन करना न भूले।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल हमे कमेंट में जरुर बताए।
क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।