लोंगवा गाँव: पूर्वोत्तर के आखिरी गाँव में आखिर क्या है ख़ास?

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Photo of लोंगवा गाँव: पूर्वोत्तर के आखिरी गाँव में आखिर क्या है ख़ास? by Ankit Kumar

भारत को पूरे विश्व में विविधतापूर्ण संस्कृति आदि के अलावा यहाॅं के वंडर्स के लिए भी जाना जाता है। भारत में हमको बहुत से आश्चर्य (वंडर्स) देखने को मिल जाएँगे। भारत के पूर्वोत्तर इलाके के सात राज्यों को ‘सात बहनों (सेवेन सिस्टर्स)’ के नाम से जाना जाता है। पूर्वोत्तर का क्षेत्र भारत के उन इलाकों में से एक है जहाँ लोग ज़्यादातर घूमने जाया करते हैं और भारत की ख़ूबसूरती का आनन्द उठाते हैं। सात बहने शहरी शोर-शराबे से दूर गाँव की मन को आंदोलित करने वाली प्राकृतिक सौंदर्य प्रस्तुत करती हैं। इन्ही गाँव के बीच एक ऐसा गाँव हैं जहाँ के लोग खाना भारत में खाते हैं तो सोते किसी और देश में हैं।

लोंगवा पूर्वोत्तर का आश्चर्यजनक गाँव है जहाँ की ख़ूबसूरती किसी जन्नत से कमतर नहीं। उसमें भी हैरत की बात यह है कि यहाँ के लोग दो देशों की नागरिकता प्राप्त किए बैठे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यहाँ के मूल निवासी बॉर्डर की अवधारणा को मानते ही नहीं है। मोन टाउन से 42 किलोमीटर दूर इस गाँव को हर घुम्मकड़ को एक न एक बार ज़रूर एक्स्प्लोर करना चाहिए।

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कैसे जाएँ?

किसी भी राज्य से नागालैंड के लिए ट्रेन से जाएँ, फिर वहाँ से मोन के लिए बस या कार लें और उसके बाद वहाँ से 42 किलोमीटर की दूरी पर लोंगवा है। आप बाइक और कार रेंट पर ले कर जा सकते हैं। इस पूरे सफ़र में आपको नागालैंड की ख़ूबसूरती दिखेगी। लोंगवा जा रहे तो कम से कम 4 से 5 दिन का समय निकाल कर ही जाएँ क्योंकि यहाँ के लिए तो एक-दो दिन बहुत ही कम पड़ने वाले हैं।

क्या करें?

लोंगवा एक ऐसी जगह है जहाँ पर बहुत-सी मज़ेदार और रोचक चीज़े है करने के लिए और घूमने के लिए तो है ही बहुत कुछ।

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नागालैंड साइंस सेन्टर

नागालैंड साइंस सेन्टर लोंगवा के क़रीब एक ऐसा सेन्टर है जहाँ पर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की टेक्नोलॉजी से सम्बन्धित काफ़ी कुछ देखने और जानने को मिल जाएगा। साथ ही आपको यहाँ पर यह भी जानने को मिलेगा कि पूर्वोत्तरी क्षेत्र के लोग टेक्नोलॉजी में कितना आगे निकल गए हैं। कैसे टेक्नोलॉजी के माध्यम से विकास करते हुए भी प्रकृति और गाँव की सौम्यता को बचाए हुए हैं, प्रकृति और मानव सभ्यता का कोएक्सिस्टेंस यहाॅं आपको देखने मिलेगा जो विश्व में कहीं और दुर्लभ है!

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होंग कॉन्ग मार्किट

होंग कॉन्ग मार्किट एक ऐसी जगह है जहाँ पर लोंगवा के लोग रोज़ाना अपना और अपने घर की ज़रूरत का सामान लेने जाते हैं। यह किसी आम मार्किट से बहुत अलग है, यहाँ की मार्किट में मूल निवासी अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। अगर आप पूर्वोत्तर की संस्कृति को जानना चाह रहे तो होंग कॉन्ग मार्किट ज़रूर जाएँ।

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शिलॉग नदी

शिलॉग नदी लोंगवा की ख़ूबसूरती को चार गुना और बढ़ा देती है। एक तो ख़ूबसूरत गाँव और ऊपर से नदी के पास होना उसको इतना ज़्यादा प्रकृति के क़रीब ले आता है कि आप एक साथ ही प्रकृति के सारे अजूबों को देख पाएँगे। शिलॉग नदी लोंगवा गाँव के पास होने के करण यही काम कर रही है।

कहाँ रुके?

लोंगवा एक टूरिस्ट प्लेस होने के कारण यहाँ पर रुकने के लिए होटल और रेस्टोरेंट की काफ़ी सही व्यवस्ता है। अगर आप किसी होटल में नहीं रुकना चाह रहे तो टेंट में भी रुक सकते हैं। मेरी मानें तो किसी मूल निवासी के साथ रुकने का अवसर मिले तब आप लोंगवा को बेहतर जान सकेंगे।

कब जाएँ?

वर्ष के अक्टूबर से मार्च महीने का समय सबसे बेस्ट है। इन महीनों में लोंगवा का मौसम अपनी पीक पर होता है। और इसी वक़्त यहाँ पर अधिकतर त्यौहार मनाएँ जाते हैं। मेरी मानो तो घूम आओ और अपनी ज़िन्दगी के कुछ यादगार तस्वीरें इकट्ठी कर लो।

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