यह मेरी जिंदगी का पहला सोलो ट्रिप है , मैं बयान नही कर सकता लेकिन इसे महसूस जरूर कर सकता हूँ कि मैं एक पौने चार फुट का लड़का आज दिल्ली से ऋषिकेश बिना किसी ग्रुप और समूह के यहाँ तक आ गया , सच बताऊं तो मैं अपने इस नए अवतार को देखकर अचंभित हूँ कि कैसे मैं दिल्ली से ऋषिकेश बिना किसी के सहारे आ गया, आपको भी यकीन नही होगा एक बार मेरे दूसरे फोटोज देख लेना , खैर अभी आप इस पर ध्यान केंद्रित कीजिए कि मैं कैसे यहां तक पहुँचा , हालांकि मैं ट्रैन से आया चाहता तो अनजान बनकर ऑटो रिक्शा वाले अंकल को 500 रुपये महज 16 किमी के दे देता मगर न जाने स्टेशन से उतरने के बाद मेरे अंदर का वो 22 साला जवां लड़का जग गया और उसके बाद ही दस से पंद्रह ऑटो रिक्शा वालो ने मुझे लाख फुसलाया की मैं नया हूँ तो 500 दे दूं , पर भला कैसे दे देता मैं भी दिल्ली का आम लड़का था जो महज 15 रुपये में 20 किमी तय करता है चाहे दिल्ली के किसी भी कोने में जाना होगा अधिकतम 15 ही देता है और अगर बस ए सी वाली हो तो अधिकतम 25 रुपये चाहे वो सफर 15 किमी का हो या 50 किमी का भाई साहब दिल्ली आप है किराया बचाना जानते है , तो मैंने भी वही किया अड़ा रहा और बोला कि लक्ष्मण झूला कितने में जाओगे तो सबने 100 तो किसीने 150 बोला तो मैं भी बोल पड़ा अभी तो 25 रुपये बोल रहे थे आप , तो ऑटो वाले बोले कि वो सवारी गाड़ी थी चली गयी और अब तुम अकेले बचे हो , सबकी सकल देखी और पीछे से सुनाई दिया कि बाजार से हर जगह के लिए बस मिलती है , बस फिर क्या था मैंने बोलै बाजार छोड़ दो तो बोले 20 रुपये तो मैने बोला 10 दूंगा मगर फिर अंकल कोने में आकर बोले बेटा चल ले सवारी नही है और तू अकेला ही है तो 20 ही दे देना , फिर अंकल की बेबसी देख में भी सोचा 10 या 20 कुछ फर्द पड़ता है खाना तो मैं लेकर ही आया हूँ , अरे हाँ मैं बताना भूल गया मेरी मां और मेरी बहन से मेरे लिए ऐसा खाना बनाया की वो दो दिन आराम से कहा लू , हालांकि उन्होंने सोचा कि दो वक्त में ही मैं सारा खाना खा लूंगा क्योंकि खाने मैं मेरी पसंदीदा पनीर की सब्जी जो कि शुद्ध देसी तेल में तला हुआ था जो अभी तक खराब नही हुआ है दिया और तेल में तल के ही पूरी बना दी जो अभी तक वैसे ही नरम है , लेकिन अभी थोड़ी देर पहले मेरी बहन ने , पूरी खाने से मना कर दिया बोली मत खाइयो वो बासी हो गया है तो भी क्या बताऊँ इतनी अच्छी बनी थी कि मुझसे रहा नही गया और मैने खा ही लिया भाई पनीर तो अभी भी वैसे ही ताजा लग रहा है ऊपर से ये सर्दी का मौसम है तो खराब तो होना नही है , अरे यार वापस चलते है , गाड़ी पर हाँ तो मैं गाड़ी में बैठ गया और कुछ दूरी पर एक लेडी भी गाड़ी के पास आई उन्हें तपोवन जाना था , तो उनसे उस गाड़ी वाले ने 150 बोला और फिर मुझसे बाजार छोड़ने के बजाय सीधा लक्ष्मण झूला ले गया और बोला सर् सबसे 40 लेता हूं आप 50 दे दीजिए मैंने सोचा यार 300 बचे हुए हैं 50 जिन्हें दूँगा तो 250 ही बचंगे फिर भी मैंने उन्हें दिए उतने भी साथ बैठी यंग लेडी ने बोला कि भइया मेरे पास कॅश नही है आप पे-टियम लोगे , तो वो ऑटो वाला अब सोच में पढ़ गया तो मैंने बोलै की आप पैसे मुझे दे दो पे-टियम से मैं इन्हें कॅश दे देता हूँ , फिर उन्होंने मेरा न. पूछा मैंने बता दिया फिर मेरे पास 100 आ गए और मैन उन्हें 150 दे दिया इस चक्कर मे उन लेडिस का 50 रुपये बच गया क्योंकि तपोवन में ही लक्षमण झूला है , और वह से मात्र 100 मीटर की दूरी पर उस लेडिस को जाना था , वैसे इस अंजान शहर में किसी अंजाने की मदद करके अच्छा लगा , खैर अब इस पे-टियम से अपने पैसे मुझे निकालने है वो कैसे निकलू सोच रहा हु 😁😁😁 , छोड़ो वापस आओ लक्षमण झूले पर , तो जब मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि , मैं एक जाने पहचाने स्थान पर पहुँच चुका हूं कैसे , क्योंकि तुम्हारा प्यार भाई इस जगह पर आज से चार साल पहले आ चुका है , हुररे , क्या बताऊँ पूरा झूला खाली था और बस एक या दो लोग फोटोशूट कर रहे थे , क्योंकि यह सुबह 8 बजे का वक़्त था या यूं कहो 8 बजे भी नही थे अभी ढंग से , मैं वह के उन घाटो पर गया जहाँ से पहले भी जा चुका था , यह जगह मेरे लिए बिल्कुल भी अनजान नही लग रहा था हालांकि मैं बाहर जैसे सिर्फ दिख रहा था लोगो को लेकिन मेरे चेहरे का जो तेज था वो साफ साफ कह रहा था कि मैं यही रहता हूँ इसलिए ही शायद किसी ने मुझे टूरिस्ट नही समझा , सब मुझे राम राम , करके आगे बढ़ रहे थे , और तुम्हारा भी फुल चौड़ में पुर पर करके घाट पर पहुँचा वहाँ घाट पर 3 बच्चे मछली का दाना बेच रहे थे , क्या बताऊँ उनकी मासूमियत में दिल जीत लिया उनके सवाल मुझे बिल्कुल वही का होने का एहसास दिला रहे थे जिस तरह से वो मुझसे बात कर रहे थे , जो भो हो मेरी जिंदगी का सबसे अनोखा पल था यह ओर अभी मैं अपने नेचर केअर विलेज जो एक होटल की तरह है जिसकी बुकिंग मैंने @Tripoto से ही किया था अपने क्रेडिट को उसे करके , मैं इस नेचर केअर विलेज में पहुँच गया , पहुँचने से पहले मैंने ठान लिया था कि मैं मोबाइल का मैप इस्तेमाल नही करूँगा सिर्फ पूछ के वह तक जाऊँगा ओर आख़िरकार मैं पूछ कर यह तक पहुँच गया , ये सच मुच नेचर की केअर करते है , आज का एक प्लान मैंने सोने की वजह से कैंसिल कर दिया अब कल का ब्लॉग आपको मिल जाएगा जब हम एक झरने के पास जाएंगे । बाकी आप नीचे फ़ोटो देखिये और इस जगह का आनंद लोजिये और इसकी वीडियो भी आपको कुछ दिनों में यूट्यूब चैनल पर मिल जाएगी सब्सक्राइब जरूर कर लोजिये मुसाफ़िर निज़ाम (Musafir Nizam) आइये करते है नेक्स्ट ट्रिप का इंतेज़ाम 😁😁😁