जब भी हम सुकून की तलाश में होते हैं तो सबसे पहले ऐसी जगह की तलाश करते हैं जहां पहुंचकर हमे शांति मिले और ऐसी शांति और सुकून तो बस पहाड़ों में ही मिलती है,प्रकृति के बीच में। पहाड़ो का जिक्र होते ही जेहन में सबसे पहला नाम उत्तराखण्ड या हिमाचल का आता है और अगर बात देवभूमि उत्तराखंड की करे तो इससे ज्यादा पवित्र और शांति की जगह और कहीं हो ही नहीं सकती। उत्तराखण्ड में ऐसी कई जगह भरे पड़े जो पौराणिक काल से जुड़े हुए हैं,जो देखने और सुनने में आलौकिक और अद्भुत है। उत्तराखण्ड की ऐसी ही एक जगह है लाखामंडल,जिसका संबंध महाभारत काल से माना जाता है।माना जाता है कि द्वापर युग में दुर्योधन ने पांचों पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए यहां लाक्षागृह का निर्माण किया था। एएसआइ को खुदाई के दौरान यहां मिले सैकड़ों शिवलिंग व दुर्लभ मूर्तियां इसकी गवाह हैं।तो आइए जानते है लाखामंडल के बारे में।
लाखामंडल
यमुना नदी के उत्तरी छोर पर स्थित देहरादून जिले के जौनसार-बावर का लाखामंडल एक बहुत ही खूबसूरत और अद्भुत गांव है जिसका संबंध महाभारत काल से माना जाता है।यह गांव समुद्रतल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है देहरादून से इसकी दूरी 128 किमी, चकराता से 60 किमी और पहाड़ों की रानी मसूरी से 75 किमी की दूरी पर है।मान्यता है कि इसी जगह कौरवों ने पांडवों व उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए ही लाक्षागृह (लाख का घर) का निर्माण कराया था।बताया जाता हैं कि लाखामंडल में वह ऐतिहासिक गुफा आज भी मौजूद है, जिससे होकर पांडव सकुशल बाहर निकल आए थे। इसके बाद पांडवों ने 'चक्रनगरी' में एक माह बिताया, जिसे आज चकराता कहते हैं।लाखामंडल के अलावा हनोल, थैना व मैंद्रथ में खुदाई के दौरान मिले पौराणिक शिवलिंग व मूर्तियां इस बात की गवाह हैं कि इस क्षेत्र में पांडवों का वास रहा है।
लाखामंडल के मुख्य आर्कषण
लाखामंडल शिव मंदिर
यहां का शिव मंदिर बहुत ही खास और पौराणिक है।ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण पांडवो ने किया था।कहते हैं कि पांडवों के अज्ञातवास काल में युधिष्ठिर ने लाखामंडल स्थित लाक्षेश्वर मंदिर के प्रांगण में जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वह आज भी विद्यमान है। इसी लिंग के सामने दो द्वारपालों की मूर्तियां हैं, जो पश्चिम की ओर मुंह करके खड़े हैं। इनमें से एक का हाथ कटा हुआ है। शिव को समर्पित लाक्षेश्वर मंदिर 12-13वीं सदी में निर्मित नागर शैली का मंदिर है। इस मदिंर के अंदर आपको पार्वती जी के पैरों के निशान भी देखने को मिलेंगे। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है।गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है। लेकिन इस बात का रहस्य क्या है यह आज तक कोई नहीं जान पाया।
मंथाट गांव
लाखामंडल से करीबन 10किमी की दूरी पर स्थित यह एक बहुत ही खूबसूरत छोटा सा गांव है। जहां आपको चारो तरफ पहाड़ ही पहाड़ दिखेगा।ऊंचाई पर बसे इस गांव में आप अपने निजी कार या जिप्सी की मदद से जा सकते हैं। यहां पर फैली हरियाली और प्राकृति नजारे देख कर यकीनन आपको सुकून और शांति मिलेगी।
चकराता
लाखामंडल से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित चकराता एक पहाड़ी गांव है।चकराता अपने शुद्ध और शांत वातावरण के लिए पर्यटकों के बीच काफी फेमस है। यहां पर आपको चारो ओर शांति और सुकून के साथ ही साथ प्रकृति के सुंदर नजारे देखने को मिलेंगे।ऊंचे ऊंचे देवदार के पेड़ और पर्वतों की चोटियां आपको सभी तनावों से मुक्त करके एकदम डिफ्रेश कर देगा।
टाइगर फॉल्स
लाखामंडल से कुछ दूरी पर स्थित चकराता के पास स्थित टाइगर फॉल्स एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है।आप यहां ट्रेकिंग करके जा सकते हैं।50 मीटर की ऊंचाई से गिरता हुआ झरना और उसके नीचे पानी में भीगने के मजे ले सकते है।चारो तरफ से घिरे जंगल और हरियाली के बीच आपको यकीनन बहुत अच्छा लगेगा।
लाखामंडल में क्या है खास?
अगर आप यहां मानसून के महीने में आते हैं, खासतौर पर अगस्त तो आपको यहां मेला देखने को मिलेगा।जहां हजार से ज्यादा की संख्या में लोग एकत्र होते हैं।यहां पर आपको खाने से लेकर कपड़े तक सब कुछ मिलेगा। साथ ही ढोल और बजे भी बजाया जाता है, जिस पर गांव की महिलाएं और पुरुष मिलकर पारंपरिक लोक नृत्य करते हैं।इसके अलावा लाखामंडल के गांव की दिवाली भी बेहद शानदार होती है। इसके अलावा अप्रैल में भी यहां मेला भी लगता है।
लाखामंडल कैसे पहुंचें
हवाई जहाज द्वारा
लाखामंडल का सबसे निकटम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है।जोकि यहां से 130 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से आप किसी भी निजी साधन के द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
रेल द्वारा
यहां का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है जो यहां से लगभग 107 किमी की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग द्वारा
लाखामंडल चकराता और मसूरी से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है।आप यहां बस या निजी किसी भी साधन के द्वारा यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
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