एक खुशनुमा शाम के लिए परफेक्ट है उत्तर प्रदेश के ये झील

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Photo of एक खुशनुमा शाम के लिए परफेक्ट है उत्तर प्रदेश के ये झील by Priya Yadav
Day 1

भारत के सबसे बड़े राज्य के रूप में जाना जाने वाला उत्तर प्रदेश की धरती को बहुत ही पावन माना जाता है ,क्योंकि यही वो धरती जहाँ भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था,जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।यही पर दुनिया के सात अजूबो में शामिल और प्यार की निशानी ताजमहल है।पर्यटन के मामले में भी हमारा उत्तर प्रदेश कुछ कम नही है।

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ऐतिहासिक,मंदिर ,नदी,झरने और भी बहुत कुछ है यहाँ, तभी तो इसे उत्तम प्रदेश कहते है।इन पर्यटन स्थलो में यहाँ के झीले भी है जहाँ आप अपनी एक खुशनुमा शाम बिता सकते है तो आये जाने उत्तर प्रदेश के कुछ खास झीलों के विषय में।

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मोती झील

मोती झील कानपुर के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है।यह एक बहुत ही ख़ूबसूरत झील है।इसका निर्माण ब्रिटिश शासन काल में पीने के पानी के स्त्रोत के रूप में किया गया था।बाद में इसे एक उद्यान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।जिसमें बच्चे और बड़े घूमने के लिए या पिकनिक मनाने के लिए आ सके।झील के चारो तरफ सुन्दर फूलो के पेड़ और पानी पर तैरते बत्तखओ का झुण्ड बहुत ही लुभावन लगता है।जहाँ आप अपनी एक खुशनुमा शाम बिता सकते है।

Photo of Moti Jheel by Priya Yadav

शेखावत झील

अलीगढ़ से पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित शेखावत झील जैव विविधता से भरा बहुत ही सुंदर झील है।यह यहाँ के इलाके में सिंचाई नहर का भी कार्य करता है।कुल मिलाकर यह झील यहाँ के पानी का मुख्य स्रोत है।झील के एक तरफ दूर-दूर तक कृषि के लिए फैली हुई जमीन है और दूसरी तरफ सर्दियों के मौसम में निवास के लिए आये सुन्दर प्रवासी पंछी।यहाँ का यह नजारा प्रकृति प्रमियों के लिए बहुत खास है।कई वनस्पति विज्ञानी और पंछी प्रेमी यहाँ अध्यन के लिए भी आया करते है।अगर आप भी एक पंछी प्रेमी है तो आप यहाँ अपनी खुशनुमा शाम बिता सकते है।

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श्री राधा कुंड

पौराणिक मान्यता है कि राधा जी ने इस कुंड को अपने कंगन से खोदा था।इसी कारण इसे कंगन कुंड भी कहते है।इसी कुंड में स्नान करने के बाद राधा जी और श्री कृष्ण ने रास रचाया था।कहते है इस कुंड में स्नान करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।इसीलिए आज भी हजारो दंपति इसमें स्नान कर पुत्र प्राप्ति की कामना करते है।ऐसा माना जाता है कि आज भी कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण रात्रि बारह बजे तक राधाजी के साथ राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं।मथुरा के इस पावन कुंड को देखने आप अपने परिवार के साथ आ सकते है यहाँ का भक्तिमय माहौल आपको अंदर तक पावन कर देगा।

Photo of Radha Kund by Priya Yadav

गोविंद बल्लभ पंत सागर

गोविंद बल्लभ पंत सागर को रिहंद बांध के नाम से भी जाना जाता है।यह भारत की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है।यह झील सोनभद्र जिले में स्थित है।यह स्थान चारो तरफ से खूबसूरत पहाड़ियों और जंगलों से घिरा हुआ है।बारिश के मौसम में जब इसमें पानी ओवरफ्लो होता है तो रिहंद बाँध के दरवाजे खोल जाते है इस दृश्य को देखने के लिए पर्यटक यहाँ हजारो की संख्या में इकठे होते है।इस बांध में 13 गेट है।यहाँ सालो भर लोगो का तांता लगा रहता है।आपके परिवार या दोस्तों के साथ अपनी शाम बिताने के लिए यह एक अच्छी जगह है।

Photo of गोविन्द बल्लभ पंत सागर by Priya Yadav

कीठम झील

आगरा शहर से 20 किमी० दूर और सिकंदरा से 12 किमी० की दूरी पर स्थित कीथम झील नेशनल हाईवे -2 पर स्थित है।यह एक बहुत ही सुंदर पिकनिक स्पॉट है जो शहर के शोर से दूर एक शांत और प्राकृतिक के बीच में है।करीब 7.13 स्क्वायर किमी के जलग्रहण क्षेत्र में पानी के जमा होने से बने पंचभूज आकार का है।जहाँ पानी के पँछी और मछलियां उसकी खूबसूरती में चार -चांद लगाते है।इसके साथ ही साथ आप यह रंग-बिरंगे प्रवासी पंछियो की भी बहुत सी प्रजातियां देख सकते है।साथ ही 12 प्रजाति के स्तनपायी और 18 प्रजाति के सरीसृप का भी यह ठिकाना है। स्पूनबिल, साइबेरियन सारस, सरने सारस, ब्राहमनी बत्तख, बार-हेडेड गीसे और गाडवॉल्स व शोवेलर्स यहां पाई जानी वाली पक्षियों की कुछ प्रमुख प्रजातियां है।अपने रोज की भाग दौड़ की जिंदगी में अगर आप कुछ पल सुकून के बिताना चाहते है तो यह जगह आपके लिए बेस्ट है।

Photo of कीठम झील by Priya Yadav
Photo of कीठम झील by Priya Yadav

चितौरा झील

शहर से लगभग 8 किमी दूर बहराइच- गोंडा हाईवे पर स्थित

चितौरा झील पौराणिक व ऐतिहासिक दोनों ही धरोहर समेटे हुए है। पौराणिक ग्रन्थों में इसका उल्लेख कुटिला नदी के रूप में आया है। महाराजा जनक के कुल गुरू महर्षि अष्टाव्रक श्रापित होकर शरीर के आठ स्थानों से टेढ़े मेढ़े हो गए थे। उन्होंने टेढ़ी नदी के तट पर काफी समय तक आश्रम बनाकर रहे थे। नदी में रोजाना स्नान करने से उनके शरीर का कायाकल्प हो गया था।वही यह नदी सन 1034 ई. में वीर शिरोमणि महाराजा सुहेल देव व सैय्यद सालार मसऊद की सेना के बीच हुए महाभारत के बाद ऐसे युद्ध की साक्षी बनी। जिसमें सैय्यद सालार मसऊद की शहादत के साथ ही उनका एक भी सैनिक नहीं बचा था।आप यहाँ बोटिंग भी कर सकते है साथ ही यहाँ पर बने स्मारक भी देख सकते है।

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सुरहा ताल

सुरहा ताल जिसे सुरहा गंगा भी कहते है।यह ताल सरयू नदी के दोआब में स्थित एक गोमुख झील है।जोकि गंगा नदी द्वारा निर्मित है।यह झील बलिया जिले में स्थित है ,यह वहाँ का एक मुख्य पर्यटक स्थल है।इस झील को 1991 के बाद एक पक्षी अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया।आप यहाँ प्रवासी पंछियों का दीदार कर सकते है।शीत ऋतु के दस्तक देते ही सुरहा में लालसर जैसे मेहमान पक्षियों की जल क्रीड़ा प्रारंभ हो जाती है।सर्दियों में यहाँ का नजारा देखने लोग अधिक संख्या में आते है।

Photo of Surha tal by Priya Yadav

बटलर झील

लखनऊ शहर के बीच में स्थित बटलर झील चारो तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है।जो वहाँ आने वाले को सुकून और शांति देता है।यहाँ बैठ कर आप अपने किसी खास के साथ अपना समय बिता सकते है।यहाँ का स्वच्छ पानी और स्वच्छ हवा आपको शहर के शोर गुल में सुकून देगा।झील के पास ही वहाँ का मुख्य आकर्षण बटलर पैलेस है जो आप देख सकते है।पास के पार्क में आप कुछ समय शांति से बैठ कर अपना समय बिता सकते है।

Photo of बटलर कॉलोनी by Priya Yadav

जनेश्वर मिश्र पार्क झील

राजनीतिज्ञ जनेश्वर मिश्र की स्मृति में समर्पित लखनऊ के गोमतीनगर में स्थित इस शहरी पार्क में लखनऊ की सबसे बड़ी कृतिम झील है।इसके चारों तरफ 370 एकड़ में फैला पार्क आपके परिवार और बच्चो के लिए एक अच्छा पिकनिक स्पॉट है।पुरे साल यहाँ कई प्रवासी पंछियो का आना जाना लगा रहता है ।यहाँ पर किड्स प्ले एरिया, व्यायामशाला, थीम पार्क, फूड कोर्ट, जॉगिंग और साइडिंग ट्रैक, और एक एम्फीथ पार्क सहित अन्य आकर्षण हैं। कुल मिलाकर, यह लखनऊ में घूमने के लिए एक बेस्ट ऑप्शन है।

Photo of जनेश्वर मिश्र पार्क, लखनऊ by Priya Yadav

अगर आप भी अपने परिवार और दोस्तो के साथ अपना कुछ अमूल्य समय बिताना चाहते है तो इन झीलों का दीदार कर सकते है।

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