ऐसे करें दिल्ली से लाहौल वैली की पूरी यात्रा, ये रही सारी जानकारी

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Photo of ऐसे करें दिल्ली से लाहौल वैली की पूरी यात्रा, ये रही सारी जानकारी by Rishabh Dev

हिमाचल प्रदेश बेहद खूबसूरत है इसलिए तो हर कोई यहाँ जाना चाहता है। ज्यादातर लोग ऐसा सोचते हैं कि हिमाचल में लाहौल और स्पीति एक ही जगह है। लाहौल स्पीति जिला तो एक है लेकिन लाहौल घाटी और स्पीति घाटी अलग-अलग हैं। हिमाचल की दोनों घाटियां काफी अंदरूनी इलाके में आती हैं लेकिन बेहद खूबसूरत है। लाहौल वैली तो लद्दाख की सुंदरता को भी मात दे देती है। लाहौल वैली की पूरी यात्रा कैसे करें? इसके पूरी जानकारी हम आपको दे देते हैं।

दिल्ली से लाहौल वैली का सफर:

दिन 1

दिल्ली से मनाली

दिल्ली से मनाली के लिए बहुत सारी बसें चलती हैं। दिल्ली के कश्मीरी गेट आईएसबीटी से आप हिमाचल रोडवेज की बस से भी मनाली जा सकते हैं और वॉल्वो बस से भी मनाली पहुँच सकते हैं। दिल्ली से मनाली की दूरी लगभग 531 किमी. है। दिल्ली से मनाली पहुँचने में आपको लगभग 13-14 घंटे आराम से लग सकते हैं। कई बार जाम के चलते ज्यादा समय भी लग सकता है। दिल्ली से चंडीगढ़ भुंतर होते हुए आप मनाली पहुँचेंगे।

दिन 2

मनाली को एक्सप्लोर करें

मनाली हिमाचल प्रदेश की सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है। हर कोई सबसे पहले मनाली को घूमना चाहता है। दिल्ली से मनाली पहुँचने के बाद अगले दिन आप मनाली को एक्सप्लोर करें। मनाली में आप मॉल रोड, हडिंबा देवी मंदिर, भृगु लेक, जोगिनी फॉल्स और वाण विहार नेशनल पार्क भी जा सकते हैं। इसके अलावा मनाली की आसपास की जगहों पर भी आप जा सकते हैं। मनाली से सोलंग पास में है जिसे आप एक्सप्लोर कर सकते हैं।

दिन 3

मनाली से जिस्पा

मनाली से 33 किमी. दूरी अटल टनल को पार करने के बाद आप लाहौल के इलाके में प्रवेश कर जाएँगे। लाहौल में आते ही नजारे एकदम बदल जाएँगे। ऊंचे-ऊंचे और हरे-भरे पहाड़ आपको देखने को मिलेंगे। इस दिन आप मनाली से जिस्पा पहुँचेंगे हालांकि आप रास्ते में कई शानदार जगहों को देख सकते हैं। मनाली से जिस्पा की दूरी 92 किमी. है। रास्ते में आपको सिस्सू और केलोंग जैसी शानदार जगहें मिलेंगी। आप इस सफर में सिस्सू वाटरफॉल, लाबरांग गोंपा और शशुर गोंपा जरूर देखें।

दिन 4

जिस्पा टू सर्चु

अगले दिन जब आप जिस्पा से आगे बढ़ेंगे तो रास्ते में आपको लाहौल वैली की कई शानदार जगहें देखने को मिलेंगी। सबसे पहले आप दीपक ताल, सूरज ताल देखेंगे। इसके बाद आप पहुचेंगे बारालाचा ला। बारालाचा पास की खूबसूरत देखकर तो आप दंग रह जाएँगे। इस जगह की सुंदरता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। बारालाचा के बाद आपकी दिन की यात्रा सर्चू में पूरी होगी। सर्चू में आप रात गुजारेंगे। पहाड़ों में रहने की आदत ना होने की वजह से आप थोड़ी थकावट भी महसूस कर सकते हैं। अपने साथ मेडिसिन किट जरूर रखें।

दिन 5 & 6

जिस्पा- केलोंग- उदयपुर

जिस्पा में आराम करने के बाद अगले दिन केलोगं की तरफ चल पड़िए। जिस्पा से केलोंग लगभग 98 किमी. की दूरी पर है। रास्ते में आप उन जगहों को देख सकते हैं जो पहले नहीं देख पाए थे। केलोंग पहुँचने पर रात वहीं गुजारिए। क्या आपको पता है हिमाचल प्रदेश में भी एक उदयपुर है? केलोंग से अगले दिन उसी उदयपुर की तरफ निकल पड़िए। केलोंग से उदयपुर 53 किमी. की दूरी पर है। उदयपुर लाहौल की पट्टन वैली में आता है। उदयपुर लाहौल की सबसे कम एक्सप्लोर की गई जगहों में से एक है। आपको उदयपुर और उसके आसपास की जगहों को एक्सप्लोर करना चाहिए। रात में उदयपुर में ही ठहरना चाहिए।

दिन 7

उदयपुर से मनाली

उदयपुर में लाहौल वैली की यात्रा खत्म होती है। यहाँ से आपको वापस मनाली की ओर लौटना होगा। उदयपुर से मनाली 109 किमी. की दूरी पर है। उदयपुर से केलोंग होते हुए आप मनाली पहुँच सकते हैं। मनाली पहुँचने के बाद आप मनाली आराम कर सकते हैं या फिर दिल्ली के लिए सीधी बस पकड़ सकते हैं। मनाली से दिल्ली के लिए बसें चलती ही रहती हैं। आपको आराम से दिल्ली के लिए बस मिल जाएगी।

कब जाएँ?

लाहौल वैली में मौसम वैसे तो पूरे साल अच्छा रहता है सिवाय सर्दियों के। सर्दियों में ठंड भी बहुत पड़ती है और भारी बर्फबारी के चलते रास्ते भी बंद हो जाते हैं। सर्दियों में लाहौल वैली की यात्रा करना कठिन है। मई से जुलाई तक का महीना लाहौल वैली की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस दौरान आप लाहौल घाटी को अच्छे से एक्सप्लोर कर पाएँगे।

कहाँ ठहरें?

लाहौल घाटी हिमाचल प्रदेश के अंदरूनी इलाकों में जरूर आता है लेकिन यहाँ ठहरने के काफी विकल्प आपको मिल जाएँगे। लाहौल में आपको ठहरने के लिए कोई दिक्कत नहीं होगी। यहाँ आप होटल और होमस्टे में ठहर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने साथ टेंट रख सकते हैं। अगर कहीं दिक्कत हुई तो अपना टेंट लगाकर ठहर सकते हैं। लाहौल वैली की यात्रा करने के बाद आपकी घुमक्कड़ी में चार चांद लग जाएँगे।

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