
अल्माटी,कजाकिस्तान में पहले ही दिन हम बिना हमारे अपार्टमेंट में गए,सीधा yandex go app से टैक्सी मंगवा कर चले गए यहां की एक प्रसिद्ध जगह पर जिसका नाम हैं : shymbulak ski resort....
यह जगह शहर से केवल 25 किमी दूर स्थित थी और करीब 30 min में हम पहुंच गए अपने डेस्टिनेशन पर। यहां आ कर पता लगा कि यह एक पहाड़ी इलाका हैं और हमें काफी दूर तक के पहाड़ों पर पहुंचना होगा। इसके लिए यहां गंडोला राइड थी। कई लोग पैदल भी वहां ट्रेक करते हैं जिसमे काफी ज्यादा समय लगता हैं,साइकिल से भी लोग वहां पहुंचते हैं। टिकट काउंटर पर पता लगा कि सबसे अंतिम प्रसिद्ध पहाड़ी तक जाने के लिए हम 3 बार गंडोला राइड (केबल कार) लेनी होगी ,वो भी अलग अलग ऊंचाई से। करीब 5000 tange का प्रति व्यक्ति टिकट पड़ा। भाषा की दिक्कत काफी हुई हमें टिकट लेते समय। इंटरनेट भी एक ही साथी के पास था जो भी काफी धीमा चल रहा था।


यहां की केबल कार दुनिया की तीसरी सबसे लंबी मानी जाती हैं। पहली राइड में ही करीब 25 से 30 मिनट का सफर रहा।जगह जगह हरियाली और रंग बिरंगे फूल हमें पहाड़ों पर दिख रहे थे केबल कार में से।
पहली राइड से जहां हम पहुंचे उस जगह काफी सारी एडवेंचर एक्टिविटीज और अन्य गतिविधियां थी। हां,एक बात... यहां पानी की बड़ी दिक्कत रहती हैं हर जगह आपको पानी खरीदना होता हैं।करीब 1500 tange में हमको पानी खरीदना पड़ा।यहां चंगेज खान की ड्रेस में बाज के साथ फोटो खिंचाने वाला अट्रेक्शन सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
हम इसी तरह दूसरी राइड से और ऊपर गए एक कैफे तक ।फिर तीसरी राइड से हम पहुंचे talghar दर्रे तक। केवल 25km दूर जहां हमें पसीने पसीने हो रहे थे वहां यहां इस जगह ठंड काफी थी। बर्फ पिघल गई थी ,केवल ऊंचे पहाड़ों पर दिख रही थी और कुछ टुकड़े बचे थे जिनपर लोग फोटोज ले रहे थे। यह जगह 3200m की ऊंचाई पर थी।यहां रहने के लिए भी शानदार कॉटेज थे,ट्रेकिंग के लिए कई लोग और ऊंचाई पर जा रहे थे।

यह जगह वहां के लोगों के लिए एक तरह से पिकनिक एरिया हैं,वहां का छोटा सा मनाली समझ लो। करीब 6 से 7 घंटे हमें इस पूरी यात्रा में लगे,काफी एक्टिविटीज भी हमने की यहां। और फिर सीधे केबल कार से नीचे उतर कर हम चढ़े यहां की लोकल बस में।
असल में हमने सोचा हुआ था कि हम यहां के हर ट्रांसपोर्ट मोड का इस्तेमाल करेंगे । हम बस में चढ़ तो गए लेकिन बाद में पता लगा कि उसमें केश नहीं चलता हैं।हमने हमारा कार्ड भी इस्तेमाल करना चाहा जो भी उसमें चला नहीं। शायद इसके लिए कोई एक एप थी और कोई एक कार्ड था जिसको सब स्कैन करके पैसा कटवा रहे थे। हमने बस में लोकल्स से ट्रांसलेटर की मदद से मदद चाही,लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आया। तब तक हमारा मैट्रो स्टेशन आ गया और हम उतर गए। मेट्रो के बाहर कुछ लड़किया मिली जिन्हे थोड़ी बहुत अंग्रेजी आती थी,उनकी मदद से हमने मेट्रो के टिकट्स लिए जी कि करीब 30 भारतीय रुपए प्रति व्यक्ति लगे। यहां की को स्वचालित सीढियां थी इतनी लंबी सीढियां मैने तो आजतक कभी नहीं देखी। जैसे तैसे हम मेट्रो तक पहुंचे और भागते भागते ट्रेन में चढ़ गए...to be continued
अभी हमको जाना था मास्को मॉल में सिम लेने के लिए...यह वीडियो आप rishabh Bharawa Vlogs पर देख सकते हैं।