कुंभलगढ़ फोर्ट: चीन की दीवार को टक्कर देता है भारत का ये अजूबा!

Tripoto

भारत ऐसी भूमि है जो दुनिया को अचंभित करती रही है। प्रकृति ने यहाँ अपना पूरा प्रेम लुटाया है तो वहीं अपने प्राचीन इतिहास से लेकर अभी तक मानव समुदाय ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। हम कुछेक चीजों को देखने भले समुन्दर पार कर दूर के देशों में जाते हैं लेकिन अपने देश के भीतर ही कई जगहें हैं जो  हर किसी की ट्रैवल लिस्ट का हिस्सा ज़रूर होनी चाहिए। ‘द ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना' के बारे में तो आप जानते ही होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि इसके टक्कर की ही के दीवार अपने देश में ही मौजूद है?

श्रेय: फ्लिकर

Photo of कुम्भलगढ़ फोर्ट, Kumbhalgarh, Rajasthan, India by Rupesh Kumar Jha

जी हाँ! चीन की दीवार देखने से पहले अपनी ये दीवार ज़रूर देख आएँ जो कि दुनिया की दूसरी सबसे मज़बूत और लंबी दीवार है। राजस्थान के राजसमंद ज़िले में स्थित कुंभलगढ़ किला अपनी इसी खासियत की वजह से टूरिस्टों की लिस्ट में कायम है। यूँ तो राजस्थान पर्यटकों की पसंदीदा जगह है और अगर आप भी राजस्थान का रुख करते हैं तो कुंभलगढ़ किला ज़रूर जाएँ। दिलचस्प बात है कि लगभग 36 कि.मी. लम्बी इस दीवार को भेदना सम्राट अक़बर के लिए भी संभव नहीं हो पाया था।

बताया जाता है कि 9 मई 1540 को महाराणा प्रताप ने इसी किले में जन्म लिया था। यह किला अपनी मजबूती से संकट के समय मेवाड़ की हिफाजत करता रहा है। राजपूतों की धरती राजस्थान के प्रमुख किलों में शुमार कुंभलगढ़ किला उदयपुर शहर से लगभग 82 कि.मी. दूर अरावली की चोटी पर अवस्थित है।

ऐसे हुआ था इस मज़बूत किले का निर्माण

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राणा कुंभा ने साल 1443 में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले का निर्माण शुरू किया। किले के चारों ओर दीवार बनाने की जब शुरुआत हुई तो बनती ही गई। हालांकि ये बेहद कठिन काम रहा जिसे राणा खुद बनवाते हुए महसूस कर रहे थे। इसे बीच में ही रोकने की इच्छा हुई तो एक संत ने उन्हें मोटिवेट किया और इसका निर्माण पूरा हुआ। उदयपुर के संस्थापक राजकुमार उदय ने भी इस पर शासन किया। स्थानीय लोगों की मानें तो किले में बाणमाता देवी का निवास था जो कि इसकी रक्षा करती थी। देवी के मंदिर अहमद शाह ने आक्रमण कर नष्ट कर दिया था।

इसकी लंबाई और चौड़ाई को देखते हुए इसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ़ इंडिया’ कहा जाता है। इसे सालों गुमनाम रखा गया ताकि आक्रमणों से बचाया जा सके। हालांकि इसकी मज़बूती और बनावट ने इसे अजेय किले के रूप में स्थापित किया। अरावली पहाड़ पर मजबूत पत्थरों से बना इस किले की दीवार 15 मीटर चौड़ी है, जिस पर कई घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं। बता दें कि समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1914 मीटर है।

किले में हैं 360 मंदिर

श्रेय: फ्लिकर

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आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि कुंभलगढ़ किले में 360 मंदिर मौजूद हैं। किले के अंदर प्रवेश के लिए 7 द्वार बने हुए हैं। बताया जाता है कि किले के लगभग 300 मंदिर जैन और 60 मंदिर हिन्दू देवताओं के हैं। खासतौर पर नीलकंठ महादेव का मंदिर आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ देर शाम लाइट और साउंड शो देखने के लिए टूरिस्ट जमा होते हैं। किले की दीवार पर मशालें लगाई गई हैं जो कि रात में जलती रहती हैं। रात के समय दीवार का नज़ारा अलग ही होता है। सैंकड़ों सालों से खड़ा ये दीवार आज भी अपने मूल रूप में खड़ा है। इसकी खासियतों की वजह से इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शुमार किया गया है।

आसपास क्या है ख़ास?

बागोर की हवेली

पिछोला झील के निकट स्थित ये हवेली कुंभलगढ़ किले के पास एक महत्वपूर्ण जगह है। इसे 18वीं शताब्दी में मेवाड़ के शाही मुख्यमंत्री अमीर चंद बड़वा ने बनवाया था, जिसे साल 1878 में बागोर के महाराणा शक्ति सिंह ने रहने के लिए चुना। लिहाजा इसे बागोर की हवेली कहा जाता है। यहाँ मौजूद संग्रहालय का दौरा करें ताकि राजशाही सामान और इतिहास की बातों को जान सकें। इसकी बनावट और वास्तुकला टूरिस्टों को अपनी ओर आकर्षित करती है। हवेली देखने पहुँचें पिछोला लेक ज़रूर जाएँ जो कि एक मानव निर्मित झील है। उदयपुर शहर इसी झील के किनारे मौजूद है और पहाड़ों, इमारतों और स्नान घाटों को देखकर आप विशेष अनुभव करेंगे। इस परिसर में ही लेक पैलेस मौजूद है जहाँ कई हॉलीवुड और बॉलीवुड की शूटिंग हो चुकी है।

मोती मगरी

महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो आपने सुन ही रखा होगा। फतेह सागर झील की एक पहाड़ी पर प्रिय घोड़े चेतक की याद में महाराणा प्रताप ने मोती मगरी का निर्माण कराया था। महाराणा प्रताप से जुड़ी बातों को जानने-समझने के लिए यहाँ ज़रूर आएंँ मोती मगरी फतेह कुंभलगढ़ किले के निकट ही मौजूद है।

शिल्पग्राम

ग्रामीण कला और कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए शिल्पग्राम एक आदर्श जगह है। अरावली पर्वतमाला पर लगभग 70 एकड़ भूमि में फैला ये परिसर सांस्कृतिक आयोजनों के लिए जाना जाता है। स्थानीय कला-संस्कृति को जानने की ललक हो तो आप यहाँ ज़रूर आएँ। बता दें कि ओपन एयर एम्फीथिएटर यहाँ का मुख्य आकर्षण है जिसमें कई आर्ट फेस्टिवल होते रहते हैं।

कार संग्रहालय

श्रेय: विकिपीडिया

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कुंभलगढ़ किले की यात्रा पर हों तो विंटेज कार संग्रहालय का दौरा ज़रूर करें। कारों के शौक़ीन लोगों के लिए तो ये किसी जन्नत से कम नहीं है। साल 2000 के फरवरी में शुरू हुआ ये म्यूजियम देखते ही देखते पॉपुलर टूरिस्ट प्लेस बन चुका है जहाँ 1934 के रोल्स-रॉयस फैंटम से लेकर कई दुर्लभ रोल्स रॉयस मॉडल की कारें रखी हुई हैं। शहर की आपाधापी से दूर शांतिपूर्ण वातावरण में कारों को निहार सकते हैं और जानकारी जुटा सकते हैं।

सिटी पैलेस

पिछोला लेक के आसपास कई टूरिस्ट अट्रैक्शन मौजूद हैं जिनमें सिटी पैलेस का अपना ख़ास स्थान है। आखिर उदयपुर के महाराणा उदय सिंह ने इसका निर्माण जो किया था! पैलेस में वे खुद रहा करते थे जिसमें कमरे, आंगन, मंडप, गलियारे और छत है। यहाँ आप कला और संस्कृति को प्रदर्शित करता एक संग्रहालय भी देख सकते हैं।

आसपास सहेलियों की बारी, फतेह सागर झील, जगदीश मंदिर आदि अनेक आकर्षण की जगहें मौजूद हैं जहाँ आप समय निकालकर जा सकते हैं। ये यात्रा आपको इतिहास और संस्कृति के सुनहरे दिनों में ले जाती है जो कि लम्बे समय तक आपके जहन में बसा रहता है।

कब और कैसे पहुँचें?

गर्मी के दिनों में यहाँ का वातावरण बेहद शुष्क रहता है और आप ऐसे समय ना जाएँ। आप अपनी यात्रा अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच करें जो कि बेहद आदर्श समय होता है। उदयपुर से लगभग 65 कि.मी. दूर होने की वजह से कुंभलगढ़ किला पहुँचना बेहद आसान है। हवाई मार्ग से आप उदयपुर एयरपोर्ट पर आकर बस या टैक्सी से कुंभलगढ़ कूच कर सकते हैं। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन फालना रेलवे स्टेशन और विकल्प के रूप में उदयपुर रेलवे स्टेशन भी आ सकते हैं। यहाँ की रोड कनेक्टिविटी भी अच्छी है। उदयपुर सहित राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।

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