सुबह के साढ़े तीन बज रहे थे जब मैं उत्तराखंंड की एक शांत शहर की यात्रा पर निकला। हल्द्वानी बस स्टैंड पर बर्फानी हवा और टैक्सी चालकों की भीड़ ने हमारा स्वागत किया। उन से कुछ देर मोल-भाव करने और 30 मिनट के इंतज़ार के बाद खचा-खच भरी ऑल्टो में हम रानीखेत के लिए रवाना हुए। यह मज़ेदार ड्राइव लगभग तीन घंटे की थी। साँप जैसी घुमावदार सड़कों पर ऊँचे - ऊँचे देवदार के पेड़ों के बीच इस सफ़र ने मानों हमारी थकी हुई आत्मा को तृप्त कर दिया।
शांति और खूबसूरती का अद्भुत नज़ारा
वैसे रानीखेत की शांति उन मुसाफिरों को हैरान कर सकती है जो दूसरे हिल स्टेशन्स की तरह यहाँ भी शोरगुल की उम्मीद रखते हैं। यहाँ ना तो शोर मचाने वाले टूरिस्ट हैं और ना ही ज़ोर शोर से हनी सिंह का म्यूज़िक बजाने वाली कारें और न ही फैंसी फ़ास्ट फ़ूड के जॉइन्ट। बस नज़र आए तो रोड पर कुछ ट्यूडर कॉटेजेस, आर्मी के परेड ग्राउंड्स, बड़ा सा गोल्फ कोर्स और एक छोटा सा लोकल मार्किट।
पैदल चलने वालों के लिए तो रानीखेत किसी स्वर्ग से कम नहीं है। इस जगह को अनुभव करने का असली मज़ा तो यहाँ की घुमावदार गलियों में घूमकर ही आ सकता है और अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो फिर हरे भरे जंगल की पगडंडियों पर हाइकिंग का आनंद ले सकते हैं।जिन्हें एडवेंचर पसंद नहीं ,उनके लिए प्रशासन ने यहाँ के सभी रुट का नक्शा तैयार किया हुआ है।
यहाँ आप पक्षियों को स्पॉट सकते हैं, या फिर आस-पास की जगहों को देखने जा सकते हैं, नहीं तो, गोल्फ का मज़ा ले सकते हैं या फिर आराम से बैठकर बर्फ से ढकी चोटियों को निहार सकते हैं। हालांकि यहाँ पर कार से भी घूमा जा सकता है लेकिन शायद ही यह पैदल चलने जितना मज़ेदार हो।
रानीखेत में कहाँ ठहरें?
हालांकि, रुकने के लिए रानीखेत में ही बहुत सारे होटल और लॉज मौजूद हैं, लेकिन अगर आपके परफेक्ट वीकेंड का आईडिया, लोगों की भीड़-भाड़ से दूर, नेचर के बीच कोई एकांत जगह है, तो फिर मजखली जाएँ।
मजखली, रानीखेत से 11 कि.मी. दूर एक छोटा सा गाँव है। यहाँ ठहरने के लिए कुछ बड़े ही शानदार रज़ॉर्ट हैं जिसमें हेरिटेज बंगले और नफ़ासत से तैयार किए गए कॉटेज हैं।
रानीखेत में ‘कॉसमॉस रानीखेत’ रुकने के लिए बहुत ही उम्दा जगह है। मैं भी यहीं ठहरा था।
रानीखेत में क्या खाएँ?
जब कुमाऊँ में हैं तो वो ही करें जो कुमाऊँनी करते हैं। अपना खाना घर में ही तैयार करवाएँ या पहले से ही बुक करें तो उसका अच्छे से आनंद ले पाएँगे। स्वीट बन के साथ यहाँ का लोकल भूत्वा ( भेड़ की आंत ) जरूर ट्राई करें। हार्ड कोर मांसाहारियों को यह ज़रूर पसंद आएगा। सोने से पहले कुछ कुमाउँनी मटन और रोटी भी खायी जा सकती है।और अगर आप अपने शहरी भोजन को मिस नहीं कर रहे हैं, तो मेन बाजार में सड़क के किनारे कुछ फ़ूड स्टॉल हैं, जो स्वादिष्ट चाउमीन और मोमोज परोसते हैं।
और हाँ, मीठे में यहाँ की मशहूर 'बाल मिठाई'(ब्राउन चॉकलेट फज की तरह,भुने हुए खोये से बनी हुई मिठाई जिसे शुगर बॉल्स से कोट किया जाता है) खाना तो बिल्कुल ना भूलें!
रानीखेत में क्या करें?
यहाँ के मंदिरों, संग्रहालयों और बागों की सैर करें। गोल्फ कोर्स पर टहलें ।शॉपिंग के लिए मेन मार्किट से बड़े ही अच्छे दामों पर बढ़िया क्वालिटी का ऊनी फैब्रिक और कुमाउँनी शॉल खरीद सकते हैं
और इन सबसे भी ज्यादा ज़रूरी है यहाँ की हसीन वादियों के नज़ारों को अपनी आखों में भर लेना। यहाँ की शांति में सुस्ताते हुए कोई पसंदीदा किताब पढ़े या फिर अद्भुत हिमालय पर कभी-कभार नज़र डालते हुए जंगल में टहलें।
कैसे पहुँचा जाए रानीखेत?
रानीखेत पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है और निकटतम बस स्टॉप हल्द्वानी में है।यहाँ के लिए बसें और ट्रेन, नई दिल्ली से लगातार चलती हैं।
इन पहाड़ी क्षेत्रों में शेयर करके बहुत सी टैक्सियाँ भी चलती हैं जो यहाँ के जीवन का ताना-बाना हैं और रानीखेत से 80 कि.मी. की दूरी तय करने के लिए ऐसी बहुत सारी टैक्सियाँ मौजूद हैं।
क्या आप पहले कभी रानीखेत गये हैं ? अपने अनुभव Tripoto पर साथी मुसाफिरों के साथ बाँटें।