भारत विविधता से भरा देश है। जहाँ डग-डग बोली और वेशभूषा बदल जाती है। इसे एक क्लीशे वाली लाइन कहा जा सकता है लेकिन ये सच भी है। भारत को अच्छे से घूमना बेहद मुश्किल है और इसकी वजह यही विविधता है। ठेठ घुमक्कड़ हर जगह जाते हैं। वो हर नई और पुरानी जगह को देखने को हसरत रखते हैं। चाहे वो फिर इतिहास से जुड़ा किला हो या फिर कोई मंदिर। भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है। यहाँ हर जगह मंदिर ही हैं। उनमें से कुछ मंदिर बहुत फेमस हैं और कुछ बहुत दिलचस्प हैं। आज आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे मे बताने जा रहा हूं जिसे धरती का बैकुंठ कहते हैं। तमिलनाडु का श्री रंगनाथ स्वामी बेहद खूबसूरत और रोचकता से भरा हुआ है।
श्री रंगनाथ स्वामी भारत के सबसे बड़े और पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को 2017 में यूनेस्को एशिया प्रशांत पुरस्कार मेरिट में रखा गया है। ये विश्व को सबसे विशाल चलिम मंदिर है। तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में स्थित इस मंदिर को कई नामों से जाना जाता है तिरुवरंगम तिरुपति, भूलोक बैकुण्ठ और पेरियाकोइल। तिरूचिरापल्ली का पुराना नाम श्रीरंगम है इसलिए इस मंदिर को श्रीरंगम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप तमिलनाडु घूमने जाते हैं तो आपको एक पूरा दिन रंगनाथ स्वामी मंदिर को देना चाहिए। इसके लिए आपको मंदिर के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए।
1. पौराणिक कथा
श्री रंगनाथ स्वामी भगवान शिव का मंदिर है। भगवान विष्णु का ये एकमात्र मंदिर है जिसमें उनकी लेटे हुए मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के बारे में कुछ पौराणिक कथाएं हैं। जिनमें से एक है कि गौतम ऋषि का आश्रम गोदावरी के तट पर था। उनकी प्रसिद्धी को देख दूसरे ऋषि जलने लगे। उन्होंने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगाते हुए आश्रम से बाहर निकाल दिया। जिसके बाद उन्होंने श्रीरंगम आकर भगवान विष्णु की तपस्या की। भगवान विष्णु ने श्री रंगनाथ स्वामी के दर्शन दिए। इस वजह से यहाँ पर मंदिर बनाया गया।
दूसरी पौराणिक कथा ये है कि रावण को हराने के बाद यहीं पर श्रीराम ने देवाताओं को लंका के राजा विभीषण को दे दिया था। लंका से वापस लौटते समय भगवान विष्णु ने विभीषण से यहाँ बसने की इच्छा बताई थी। माना जाता है कि उसके बाद से भगवान विष्णु श्रीरंगनाथ स्वामी के रूप में यहीं वास करते हैं।
2. इतिहास
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर को कब बनाया गया है? इसके बारे में सटीक जानकारी किसी को नहीं है फिर भी कहा जाता है कि चोल वंश के राजा को तोता का पीछा करते हुए मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति मिली थी। उसी ने इस मंदिर को बनवाना शुरू किया था। जिसके बाद चोल, पांड्य, होयसल और विजयनगर राजवंश के राजाओं ने इसा विस्तार करवाया था। माना जाता है कि मैसूर से पास होने की वजह से टीपू सुल्तान ने मंदिर के विस्तार में मदद की थी। इस मंदिर को 14वीं शताब्दी में पुनर्निर्माण करवाया था।
3. मंदिर के बारे में
त्रिची का श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में फेमस है। लाखों लोग इसे देखने के लिए आते हैं। लगभग 156 एकड़ में फैला ये मंदिर 21 गोपुरम से मिलकर बना है। जिसमें सबसे मुख्य गोपुरम सोने का बना जाता है। मंदिर का मुख्य गोपुरम 236 फीट उंचा है, जिसे राजगोपुरम कहा जाता है। कहा जाता है कि मंदिर के सबसे ऊँचे गोपुरम से श्रीलंका का तट दिखाई देता है।
इस मंदिर में एक बहुत बड़ा हॉल है जो 953 बड़े-बड़े पिलरों से बना हुआ है। कहा जाता है इसको विजयनगर काल में बनाया गया था। इन स्तंभों पर खूबसूरत नक्काशी है जो देखने लायक है। श्री रंगनाथ स्वामी का आर्किटेक्चर बेहद नायाब है। ये तमिल और द्रविड़ शैली का बना हुआ है। वैसे तो पूरा मंदिर ग्रेनाइट से बना हुआ है लेकिन मंदिर की मुख्य मूर्ति स्टुको से बनी हुई है।
इस मंदिर में हर दिन 200 लोगों को फ्री में खाना खिलाया जाता है। कर्नाटक युद्ध में फ्रांसिसी सैनिकों ने मंदिर की मूर्ति की एक आंख का हीरा चुरा लिया था। 37 ग्राम का आरलोव हीरा मास्को क्रेमलिन के डायमंड फंड में सुरक्षित रखा गया है। इस मंदिर में दो बड़े टैंक हैं, चन्द्र पुष्करिणी और सूर्य पुष्करिणी। इन टैंकों में दो मिलियन लीटर पानी भरा जा सकता है।
4. 21 दिन का फेस्टिवल
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर में हर साल एक 21 दिन का त्यौहार होता है जिसे दक्षिण भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जात है। इस फेस्टिवल को बैकुंड एकादशी कहते हैं। ये त्यौहार तमिल महीने मर्गजी यानी कि दिसंबर-जनवरी में होता है। मंदिर उस समय बेहद खूबसूरत लगता है। दक्षिण भारत के कच्लर को समझने के लिए भी बैकुंठ फेस्टिवल बेहतरीन है। इसके अलावा अप्रैल-मई में ब्रह्मोत्सव होता है। आपको इन दोनों में किसी एक में तो जरूर शामिल होना चाहिए।
5. आसपास क्या देखें?
इस मंदिर के अलावा तिरुचिरापल्ली में बहुत कुछ देखने को है। तमिलनाडु भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। आप श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर के अलावा बहु कुछ देख सकते हैं। आप मंदिर से 2 किमी. दूर भारतीय पैनोरमा और 5 किमी. दूर राॅकफोर्ट यूसीची पिल्लार मंदिर को देख सकते हैं। इसके अलावा त्रिची में जंबुकेश्वर मंदिर, श्री रंगम रंग नाथर मंदिर और श्री रंगम मेलूर अय्यर मंदिर को भी देखकते हैं।
कैसे पहुँचे?
फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से त्रिची जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन तिरुचिरापल्ली है। एयरपोर्ट शहर से सिर्फ 5 किमी. की दूरी पर है। आप टैक्सी लेकर त्रिची पहुँच सकते हैं।
ट्रेनः यदि आप त्रिची ट्रेन से जाने का सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन शहर में तिरुचिरापल्ली जंक्शन है। ये स्टेशन देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। आप कहीं से भी त्रिची पहुँच सकते हैं।
वाया रोडः अगर आप वाया रोड त्रिची आना चाहते हैं तब भी कोई दिक्क्त नहीं होगी। त्रिची नेशनल हाईवे, 45, 45बी, एनएच 67, 210 और 227 से जुड़ा हुआ है। आप खुद की गाड़ी से आ सकते हैं या फिर बस से आ सकते हैं। त्रिची के लिए आपको साऊथ इंडिया के लगभग सभी बड़े शहरों से बस मिल जाएगी।
कहाँ ठहरें?
तिरुचिरापल्ली एक टूरिस्ट शहर है इसलिए यहाँ पर होटलों की कोई कमी नहीं है। आपको यहाँ पर छोटे से लेकर बड़े तक हर प्रकार के होटल मिल जाएंगे। जिनको आप अपने बजट के हिसाब से चुन सकते हैं। त्रिची घूमने के लिए सबसे बेस्ट टाइम का सर्दियों का रहता है। सर्दियों में आप तेज धूप और गर्मियों से बच जाते हैं। आपको तिरुचिरापल्ली दिसंबर से फरवरी के बीच में आने का प्लान बनाना चाहिए।
क्या खाएं?
वैसे तो त्रिची में जिस होटल में रहेंगे, वहाँ आपको खाने के लिए मिल ही जाएगा। फिर भी अगर आप त्रिची का बेस्ट खाना खाना चाहते हैं तो आपको होटल से बाहर निकलकर शहर की गलियों में घूमना पड़ेगा। जहाँ आपको केले के पत्ते पर लजीज और जायकेदार खाना मिलेगा।
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