केरल की खूबसूरती के किस्से तो आपने खूब सुन रखे होंगे। इस बार मैं आपको यहाँ के एक अजीब सच के बारे में बताने जा रहा हूँ। आपको सुनकर हैरानी होगी कि खूबसूरत केरल में एक गाँव ऐसा भी है जहाँ आप जाते ही भौंचक्के रह जाते हैं! इस गाँव के कई लोग एक जैसे ही दिखते हैं। अचानक अगर आप यहाँ पहुँचते हैं तो पक्का खुद पर यकीन नहीं होगा। कोदिन्ही नाम के इस गाँव के हर घर में जुड़वाँ बच्चे हैं। लिहाजा यहाँ की आबादी में कई लोग एक जैसे दिखने वाले हैं। तभी इसे ‘जुड़वाँ लोगों का गाँव’ भी कहा जाता है।
कैसा है ये गाँव?
कोच्चि शहर से लगभग 150 कि.मी. दूर मलप्पुरम जिले में स्थित कोदिन्ही ऐसा गाँव है जहाँ घर-घर जुड़वाँ लोग हैं। इस गाँव में एंट्री करते ही आपको वेलकम करता बोर्ड दिखता है, इस पर लिखा है कि ईश्वर के अपने ट्विन विलेज में आपका स्वागत है। हमारे लिए ये किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं है कि एक साथ आप सैकड़ों जुड़वा लोगों को देख पाते हैं। यहाँ जुड़वाँ बच्चे होने का सिलसिला 60-70 साल पुराना है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर किसी लड़के की शादी दूसरे गाँव की लड़की से होती है तो बच्चे जुड़वाँ होते हैं। इतना ही नहीं, इस गाँव की लकड़ियाँ अगर कहीं ब्याह कर दूसरी जगह जाती हैं तो भी जुड़वा बच्चे होने के चांस होते हैं। ये हमारे लिए भले ही रोमांचकारी हो लेकिन वहाँ के लोगों के लिए अब एक समस्या बन चुकी है। जानकारों का मानना है कि यहाँ के पानी में कुछ केमिकल हैं जिससे कि ऐसा होता है।
हमशक्लों की वजह से कन्फ्यूज़न
दुनिया में मिलते-जुलते शक्ल के कई लोग होते हैं। उनमें जुड़वाँ बच्चों की शक्ल लगभग एक सी होती है। बताया जाता है कि 1000 बच्चों पर 4 जुड़वा बच्चे होते हैं लेकिन ये अलग-अलग जगह पर होते हैं। यहाँ पर ये आकंड़ा कई गुना ज्यादा है। यहाँ जन्म लेने वाले जुड़वा बच्चों की शक्लें भी एक हैं। लिहाजा पूरा कन्फ्यूजन का माहौल होता है। खासकर स्कूल के शिक्षक इसको लेकर ज्यादा ही परेशानी झेलते हैं। वे कई बार अपने दो स्टूडेंट्स को पहचानने में धोखा खा जाते हैं।
इस छोटे से गाँव की आबादी महज 2000 के आसपास है, उनमें 500 से अधिक लोग जुड़वा हैं। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि वहाँ कैसे हालात होंगे! आप अगर इस गाँव की यात्रा करते हैं तो देखेंगे कि सभी उम्र के एक से दिखने वाले लोग आसपास टहल रहे हैं।
गाँव बन चुका है विज्ञानिकों का घर
यहाँ होने वाली इस अजीब घटना के बारे में कई रिसर्च हो चुकी हैं। वैज्ञानिक भी इसके सटीक कारणों का पता लगाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। हालांकि अब ये गाँव ट्विन विलेज के रूप में पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका है। कई देशों से लोग आकर यहाँ के इस अजीब वाकये का अध्ययन करते हैं। भारत के साथ-साथ ब्रिटेन और जर्मनी के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर चुके हैं। वो लोग किसी पक्के परिणाम तक नहीं पहुँच सके कि आखिर ऐसा किस कारण से होता है। गौरतलब है कि नाइजीरिया और ब्राजील में भी एक-एक ऐसे गाँव मौजूद हैं। प्रयागराज के करीब मोहम्मदपुर उमरी गाँव में भी इतने ज्यादा तो नहीं लेकिन अच्छी संख्या में ट्विन्स हैं।
आसपास क्या है खास?
अगर आप इस गाँव की यात्रा करते हैं तो आसपास कुछ और जगहें हैं जहाँ का रुख कर सकते हैं। कोदिन्ही से केरलमकुंडू वाटरफॉल घूमने निकल सकते हैं जहाँ बेहतरीन झरना आपके मिज़ाज को खुश कर देता है। ये झरना समुद्र तल से 1500 फीट की ऊँचाई पर मौजूद है। झरना चट्टान से नीचे एक बड़े कुंड में गिरता है। चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ सुननी हो तो कडालुंडी बर्ड सैंक्चुरी की तरफ निकल सकते हैं। यहाँ कडालुंडी नदी अरब सागर की ओर बहती है। आसपास आपको कई आकर्षक और दुर्लभ पक्षी देखने को मिल सकते हैं जिनमें ग्रीनशंक, टर्न, सीगल आदि प्रवासी पक्षी भी रहते हैं। प्रकृति के बीच बसे गाँवों का आनंद लेना हो तो वायनाड की ओर बढ़ सकते हैं। ये पूरा टूर आपके लिए प्रकृति की खूबसूरती और चमत्कार को एक साथ देखने वाला हो सकता है।
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कैसे पहुँचें
हवाई मार्ग: कोदिन्ही पहुँचने के लिए आप कालीकट इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर लैंड कर सकते हैं। यहाँ से कैब बुक कर कोदिन्ही पहुँच सकते हैं, जो कि 40 कि.मी. की दूरी पर मौजूद है।
रेल मार्ग: कोदिन्ही के करीब तंदूर और परपननगडी रेलवे स्टेशन मौजूद हैं। वहीं कोझीकोड रेलवे स्टेशन यहाँ से 33 कि.मी. दूर है जो देश के कई रूटों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से आप बस या टैक्सी से कोदिन्ही पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग: कोदिन्ही सड़क के रास्ते भी पहुँच सकते हैं। यहाँ बैंगलोर सहित कई शहरों से बसें आती हैं। कैब या पब्लिक बस से भी आप यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।
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