इस सीक्रेट आइलैंड पर मिलेगा ऑफबीट घुमक्कड़ी का अनोखा अनुभव!

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भारत इतना प्यारा देश है कि यहाँ आते ही हर घुमक्कड़ का दिल खुश हो जाता है। भारत की विविधता के किस्से हर गली में सुनाई देते हैं। यहाँ पर खाना, बोली और पहनावे से लेकर रहन-सहन के तरीके तक में आपको वैरायटी दिखाई देगी। देश के हर हिस्से में आपको कोई ना कोई ऐसी नायाब चीज मिल जाएगी जिसको देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएँगे। भारत में जितनी खूबसूरती है यकीन मानिए ये कदम-कदम पर आपकी उतनी ही परीक्षा भी लेता है। भारत इतना बड़ा है कि आप घूमते-घूमते थक जाएँगे लेकिन जगहों की गिनती नहीं खत्म होगी। इसलिए अगर आप अच्छे से भारत भ्रमण चाहते हैं तो आपको एक बार में किसी एक हिस्से को घूमने का प्लान बनाना चाहिए और इसकी शुरुआत आपको दक्षिण भारत की सुंदरता को देखने से करनी चाहिए।

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भारत का दक्षिणी हिस्सा इतना मोहक है कि आपको पहली नजर में ही इससे प्यार हो जाएगा। जैसा कल्चर और खाना आपको इस हिस्से में मिलेगा वैसा आपको भारत के किसी और हिस्से में नहीं मिलेगा। तट से लगातार टकराती हुई लहरें, नारियल की खुशबू वाली हवा और मखमली धूप। दक्षिण भारत आपको जिंदगी के कुछ सबसे प्यारे लम्हों को जीने का मौका देता है। ऐसा ही एक खूबसूरत राज्य है केरल। ये जगह इतनी सुन्दर है कि आप यहाँ आते ही अपनी सारी परेशानियों को भूल जाएँगे। केरल घूमने के लिए आपके पास दो तरीके हैं। पहला तरीका ये कि आप फेमस जगहों पर जा सकते हैं और दूसरा ये कि आप उन फेमस जगहों में भी कुछ अनछुई जगहों को देख सकते हैं। मेरे हिसाब से दूसरे तरीके से केरल घूमने में आपको ज्यादा मजा आएगा।

नेदुंगढ़ की कहानी

कोच्चि में कुछ चीजें ऐसी हैं जिनकी वजह से ये जगह केवल भारतीयों को ही नहीं बल्कि विदेशियों को भी खूब पसंद आती है। इस शहर की वाइब, पुरानी पुर्तगाली इमारतें और चर्च और आकर्षक समुद्री किनारे। जो भी हो कुल मिलाकर कोच्चि आपका मन मोह लेता है। लेकिन ऐसा केवल कोच्चि में ही नहीं है, केरल की लगभग हर जगह पर आपको बहुत सारी संस्कृतियों और परम्पराओं का मिश्रण देखने के लिए मिलता है। कोच्चि सिर्फ एक उदाहरण है। यहाँ की सिनागॉग लेन, पुरानी दुकानें, नक्काशीदार और विंटेज जगहें सबकुछ केरल में मिलने वाले क्राफ्ट और मसालों के साथ फिट बैठता है।

लेकिन इस बार में भी कोई आश्चर्य नहीं है कि कोच्चि के आसपास अनछुई जगहों का भंडार है। ऐसा ही एक छोटा-सा द्वीप है नेदुंगढ़। नेदुंगढ़ एर्नाकुलम जिले का हिस्सा है। इस आइलैंड तक आने के लिए आपको कुल 6 छोटे पुलों को पर करने के बाद फेरी बोट लेकर यहाँ आना होता है। नेदुंगढ़ टापू होने की वजह से चारों तरफ से वेंबनाद झील से घिरा हुआ है इसलिए मछली पकड़ने के लिए बहुत सारे ऑप्शन्स मिल जाते हैं। नेदुंगढ़ की खास बात ये है कि यहाँ झींगों की खेती भी की जाती है।

क्या करें?

नेदुंगढ़ बहुत फेमस नहीं है। इस जगह के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इस द्वीप पर टूरिस्टों की भीड़ नहीं रहती है और यही वजह है कि नेदुंगढ़ में आपको प्रकृति को निहारने के लिए भरपूर समय मिलेगा।

1. प्राकृतिक सौंदर्य देखें

नेदुंगढ़ आपको बिल्कुल किसी पेंटिंग की तरह लगेगा। दूर तक बिछे पानी के बीच बसा ये छोटा-सा टापू देखने में बेहद सुंदर है। क्योंकि ये जगह शहर से थोड़ा दूर भी है इसलिए यहाँ शोर-शराबा मिलने का भी कोई चांस नहीं है। ऊँचे ताड़ के पेड़ों से घिरा ये द्वीप आरामदायक छुट्टियाँ बिताने के लिए बढ़िया जगह है। अगर आप नेदुंगढ़ आ रहे हैं तो आपको यहाँ का सनराइज और सनसेट एकदम नहीं मिस करना चाहिए। सूरज की लालिमा से पूरा इलाका जगमगा उठता है और वो दृश्य बेहद खूबसूरत होता है।

2. लंबी वॉक पर जाएँ

छोटा होने की वजह से नेदुंगढ़ में आपको ज्यादा भीड़भाड़ नहीं मिलेगी। इसलिए अगर आप टहलने के शौकीन हैं तब आप आराम से यहाँ की सड़कों पर चलकदमी करने निकल सकते हैं। कहते हैं अगर किसी जगह को अच्छी तरह से देखना चाहते हैं तो उसको करने का सबसे अच्छा तरीका है पूरी जगह को पैदल नाप डालिए। नेदुंगढ़ घूमने के लिए भी आपको यही तरीका अपनाना चाहिए।

3. स्थानीय लोगों से बातें करें

किसी भी जगह को खास बनाने में वहाँ के स्थानीय लोगों का बड़ा योगदान होता है। इसलिए जब भी आप किसी नई जगह पर जाएँ तो लोकल लोगों से बातें करना बिल्कुल ना भूलें। अक्सर स्थानीय लोगों को कई ऐसी जगहों के बारे में पता होता है जो आपको गूगल या किसी टूर पैकेज में नहीं मिलेगी। नेदुंगढ़ के लोग बेहद सरल और सुलझे स्वभाव के हैं और हर समय आपकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। आप चाहें तो लोगों से बातें कर सकते हैं, उनके रहने के तरीके और कल्चर के बारे में जान सकते हैं। अगर किस्मत अच्छी रही तो आपको किसी के घर खाना खाने का न्योता भी मिल सकता है।

4. झींगे की खेती के बारे में जानें

नेदुंगढ़ के लोगों की आमदनी का बड़ा हिस्सा मछली पकड़ने और झींगों की खेती पर निर्भर करता है। सबसे अच्छी बात ये है कि इस काम को करने के लिए पुराने तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। झील के पास छोटे-छोटे तालाब बनाए जाते हैं जिसमें खेती की जाती है। ये तालाब बहुत ज्यादा गहरे नहीं होते हैं। ज्वार के समय समुद्र का पानी बढ़ जाता है। उस समय वो पानी बहकर वेंबनाद झील में आ जाता है जिसको खेती करने में इस्तेमाल किया जाता है। इस पूरी प्रोसेस को करने में लगभग 100 से 120 दिनों का समय लगता है। इसके अलावा इन तालाबों के आसपास बहुत बार कई तरह के लैंप से रोशनी भी कर दी जाती है। सूरज ढलने के बाद जब इन्हें जलाया जाता है तब ये पूरा इलाका जुगनुओं जैसा चमक उठता है।

कब जाएँ?

नेदुंगढ़ आने के लिए आपको किसी तय समय का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आप साल के किसी भी समय आराम से यहाँ आ सकते हैं। वैसे नेदुंगढ़ आने का सबसे सही समय दिसंबर से फरवरी का होता है। इस समय जब बाकी सभी जगहों पर कड़ाके की ठंड पड़ रही होती है, दक्षिण भारत में होने की वजह से इस टापू का मौसम खुशनुमा बना रहता है। अगर आप बारिश और गर्मी के मौसम में आने का प्लान बना रहें हैं तो थोड़ा सोच लेना चाहिए। दक्षिण भारत में गर्मी का मौसम तेज धूप और उमस से भरा होता है। जिसकी वजह से आपका घूमने का मजा खराब भी हो सकता है।

कैसे पहुँचें?

नेदुंगढ़ आने के लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी। नेदुंगढ़ में कोई एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन नहीं है। इसलिए अगर आप यहाँ आना चाहते हैं तो आपको सड़क के रास्ते ही आना पड़ेगा।

फ्लाइट से: नेदुंगढ़ में कोई एयरपोर्ट नहीं है। कोच्चि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है जो नेदुंगढ़ से लगभग 22 किमी. दूर स्थित है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या कैब लेकर नेदुंगढ़ पहुँच सकते हैं।

ट्रेन से: अगर आप ट्रेन के रास्ते नेदुंगढ़ आना चाहते हैं तो आपके पास दो विकल्प हैं- इडापल्ली स्टेशन और कलामस्सेरी रेलवे स्टेशन। दिल्ली और अन्य बड़े शहरों से इन दोनों स्टेशनों के लिए आसानी से ट्रेनें मिल जाती है इसलिए आपको परेशानी नहीं होगी। आप इन दोनों स्टेशनों में से किसी भी स्टेशन आकर नेदुंगढ़ पहुँच सकते हैं।

बस से: सड़क के रास्ते आने के लिए सबसे अच्छा तरीका है खुद की गाड़ी से आइए। इसके अलावा अगर आप बस से आना चाहते हैं तब आप केरल राज्य परिवहन की बसों से भी नेदुंगढ़ आ सकते हैं।

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