जैसा की हम सब जानते है नवरात्रि का त्यौहार आने वाला है।नवरात्रि हिंदुओ का एक प्रमुख त्यौहार है जिसका अर्थ है नौ राते अर्थात शरद ऋतु के वो नौ राते जब देवी या अन्य देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है।नवरात्रि का पर्व भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग ढंग से मनाया जाता है।ये विभिन्नता भारत की विभिन्न संस्कृति के कारण है।परंतु इस त्योहार को मानने का सिर्फ एक ही उद्देश्य है और वो यह की बुराई का मार्ग छोर के हम सब अच्छाई के मार्ग पर अग्रसर हो।आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत के विभिन्न हिस्सों में नवरात्रि मनाए जाने वाले अलग अलग ढंग के बारे में बताएंगे।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्रि का त्यौहार मनाने के ढंग
उत्तर भारत
पूरा उत्तर भारत नवरात्रि को दुर्गा पूजा और रामलीला के रूप में मनाया है।उत्तर प्रदेश,बिहार और दिल्ली के आस पास के क्षेत्र में नवरात्रि के दिनों में घर घर मां दुर्गा की पूजा अर्चना होती और इस दौरान कन्याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है।उत्तर भारत के कई हिस्सों में रामलीला का मंचन किया जाता है।इस दौरान भगवान राम के जीवन को किरदार बनाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते है और रावण का पुतला दहन कर बुराई का अंत करते है।रामलीला का यह दृश्य देखने लोग दूर दूर से आते है।रामलीला को यूनेस्को के विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है।
पश्चिम बंगाल
जैसा की हम सब जानते है दुर्गा पूजा का त्यौहार बंगालियों का एक प्रमुख त्यौहार है।पूरे पूर्व भारत में नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है।देश के पूर्वी भागों में पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में नवरात्री के 6वें दिन यानी षष्ठी पूजा से दुर्गा पूजा का आयोजन होता है।पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा उत्सव के लिए भव्य पंडाल बनाए जाते है।इन पंडालों में बंगाली लोग अपनी पारम्परिक वेश भूषा में आते है और माता की पूजा में भाग लेते हैं इस दौरान वे धुनुची नृत्य के द्वारा मां के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाते है।कोलकाता में तो यह त्यौहार काफी भव्य तरीके से मनाया जाता है।पूरे शहर को रोशनी और अलग अलग तरह के भव्य पंडालों से सजाया जाता है।असम, झारखंड और त्रिपुरा में भी देवी की पूजा करने की इसी तरह की प्रथा का पालन करता है।
गुजरात
गुजरात में नवरात्रि का अलग ही रंग देखने को मिलता है। यहां नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक लोग उपवास रखते है और देवी मां के नौ रूपों की पूजा अर्चना करते है।साथ ही यहां के लोग दियो से जगमगाते मिट्टी के बर्तन जिसे वहां गरबों कहा जाता है उसे लेकर एक विशेष प्रकार का नृत्य करती है।गरबों नामक इस मिट्टी के बर्तन को जीवन के प्रकाश का प्रतीक माना जाता है ।ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से हमारे अंदर का अंधकार दूर होगा और नए प्रकाश का संचालन होगा।यहां पर नवरात्रि के दौरान ही यहां के लोगो द्वारा गरबा और डांडिया रास का भी आयोजन किया जाता है जो कि यहां का पारम्परिक नृत्य है। यहां के पारंपरिक लिबास में यहां के सभी लोग इस रास में शामिल होते है।
आंध्र प्रदेश
दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में नवरात्रि का त्यौहार बतुक्म्मा उत्सव नाम से मनाया जाता है।तेलुगु में बतुक्म्मा का अर्थ है देवी मां जीवित है।इस उत्सव में वहां की महिलाए माता गौरी की पूजा अर्चना करती है और अविवाहित कन्याएं सुयोग्य वर पाने हेतु इस उत्सव में शामिल होती है।पूजा के दौरान यहां की महिलाएं स्थानीय फूलों से पारंपरिक तरीके से अलग अलग तरह की आकृतियां बनाती है।उत्सव के समापन पर इन अकृतियों को किसी झील या किसी नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में देवी मां के बहुत से मंदिर और शक्तिपीठ भी है इस लिए वहां नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा अर्चना होती है।हिमाचल के कुल्लू शहर का दशहरा देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक प्रसिद्ध है।नवरात्रि के दसवें दिन कुल्लू में कुल्लू दशहरा के रूप में मनाया जाता है।यह कुल्लू शहर के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।इस दिन यहां के स्थानीय लोग भगवान रघुनाथ की मूर्ति को एक रथ पर रख कर पूरे शहर में घूमते है।इस दौरान यहां अलग ही छटा देखने को मिलती है।पूरा शहर रोशनी और रंगो से सजा होता है।देश भर से लोग इस उत्सव में शामिल होने के लिए आते है।
राजस्थान
राजस्थान में नवरात्रि का त्यौहार सभी त्योहारों के शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।राजस्थान का दशहरा अपनी सबसे ऊंचा रावण का पुतला 72 फूट का जलाया जाता है साथ ही बहुत बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है।जिसमे शामिल होने के लिए लोग दूर दूर से आते है।इसके अलावा वहां के कई शहरों में दशहरे से लेकर धनतेरस तक मेले लगते है जो दिवाली की शुरुआत मानी जाती है।
कर्नाटक
कर्नाटक के मैसूर में मनाए जाने वाला दशहरा इस राज्य का राज्य त्योहार है।जिसे वहां बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है।इस त्योहार को पहली बार सन 1610 में राजा वोडयार्ड द्वारा मनाया गया था।इस दौरान नवरात्रि के महानवमी के दिन शाही तलवार को सिंहासन पर रखा जाता है और पूजा अर्चना करने के बाद इसे हाथी घोड़े के जुलूस के साथ ले जाया जाता है।10वें दिन (दशमी) को, नर्तकियों और संगीतकारों का एक भव्य जुलूस निकाला जाता है, जिसमें एक हाथी के ऊपर सोने की काठी पर सवार देवी चामुंडेश्वरी (दुर्गा का एक रूप) की मूर्ति को शहर में घुमाया जाता है।
तमिलनाडु
दक्षिण भारत के तमिलनाडु में सिर्फ मां दुर्गा ही नहीं बल्कि मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की भी पूजा अर्चना की जाती है। यहां की मान्यता के अनुसार तीन दिन अलग अलग देवी देवता की पूजा अर्चना करना शुभ होता है।इस दौरान यहां के लोग मिठाई,फल फूल,कपड़े और नारियल जैसे चीज़ से देवी मां की पूजा करते है।तमिलनाडु में नवरात्रि समारोहों का एक अन्य रिवाज कोलू (गुड़िया की मूर्तियां) का प्रदर्शन है, जिन्हें हिंदू धर्मग्रंथों से लोकप्रिय लेजेंड्स को बताने के लिए अरेंज किया जाता है।
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