1. मनमर्जी का मौका
न किसी की खुशामद का झंझट, न किसी का इमोशनल प्रेशर। जब मन किया घूमने निकल जाओ, जब तक मन करे होटल में सुस्ताते रहो। चलने का मन नहीं तो कार रेंट पर ले ली। एक शहर पसंद नहीं आया तो किसी और शहर की ओर निकल पड़े। वरना ग्रुप में घूमते हुए भी कितनी बार ऐसा होता है कि जब आपका मन म्यूजियम या आर्ट गैलरी देखने के बजाय सामने वाले पहाड़ पर चढ़ने को मचल रहा होता है, अपने दोस्तों की खातिर मन मारकर रह जाना पड़ता है।
2. माहौल का बेहतर अनुभव
साथ में कोई अपना न हो तो हम खुद-ब-खुद आसपास के माहौल का हिस्सा बनने की कोशिश करते हैं। अनजान लोगों से अपने आप बातचीत करने लगते हैं। माहौल को किसी और के नजरिए से समझने के बजाय खुद उसका सामने से अनुभव कर पाते हैं। किसी नई जगह, संस्कृति को देखने-समझने का इससे बढ़िया तरीका और क्या हो सकता है!
3. लोगों के लिए ज्यादा अप्रोचेबल
अक्सर अपनों के साथ यात्रा करते हुए हम आपस में इतने मशगूल हो जाते हैं कि अजनबियों से घुलने-मिलने का मौका ही नहीं मिल पाता।
4. ज्यादा कॉन्फिडेंस
सोलो ट्रैवलिंग में आपको मिलने वाले हर सुख-दुख के लिए आप खुद जिम्मेदार होते हैं। कोई गलती हुई तो उसका ठीकरा किसी और पर आप नहीं फोड़ सकते। लेकिन गलतियों से हम सीखते हैं और अकेले घूमते हुए हम ज्यादा जल्दी सीखते हैं। इस तरह घूमते हुए सीखे गए सबक ताउम्र याद रहते हैं और बेहतर जिंदगी जीने में मदद करते हैं। खराब हालात में भी मजबूती से डटे रहने का आत्मविश्वास अकेले घूमने से बहुत जल्दी आता है।
5.सस्ते में घूमने का सबसे बेहतर तरीका
बजट ट्रैवलर्स यानी कम पैसों में घूमने वालों के लिए सोलो ट्रैवलिंग सबसे बेहतर तरीका है। अपनी यात्राओं में हुए अनुभव इस बात की तस्दीक करते हैं। लिफ्ट मांगकर भी यात्रा पूरी कर सकते हैं ।
सस्ते में सोलो ट्रैवलिंग का राज
1. काउचसर्फिंग
कैसा हो अगर आप जिस जगह घूमने जा रहे हों, वहां किसी लोकल के घर में ठहरने को मिल जाए, उस परिवार के साथ आप एक ही टेबल पर बैठकर खाना खाएं, घंटों उनसे बतियाते रहें, वह अपनी गाड़ी में आपको अपना शहर दिखाए और यह सब एकदम फ्री हो..... । जी हाँ , यह संभव है काउचसर्फिंग से। couchsurfing.com एक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट है, जिसके सदस्य एक-दूसरे के घर में बतौर मेहमान ठहर सकते हैं या किसी यात्री को अपने घर ठहरा सकते हैं। लाखों भारतीय इस वेबसाइट के सदस्य हैं। अपनी विदेश यात्राओं में मैं काउचसर्फिंग करते हुए कई लोगों के घर ठहरा और उनके साथ बिताए वक्त ने सफर की यादों को और खुशनुमा बना दिया।
2. हिचहाइकिंग
हिचहाइकिंग का मतलब है लिफ्ट मांगकर यात्रा करना। दुनिया के कई देशों, खासतौर पर पश्चिमी देशों में हिचहाइकिंग प्रचलित है इसलिए एक हिचहाइकर को लिफ्ट के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। दूसरे देशों में पश्चिम की तरह लिफ्ट उतनी आसानी से नहीं मिल पाती, लेकिन मदद मांगने का तरीका सही हो तो आप दुनियाभर में बिना एक पैसा खर्च किए, सिर्फ हिचहाइकिंग करते हुए भी घूम सकते हैं। वैसे, सोलो घुमक्कड़ों को लिफ्ट मिलने में आसानी होती है।
3. हॉस्टल
घुमक्कड़ों के लिए दुनिया के कई देशों में ठहरने के लिए सस्ते विकल्प मौजूद हैं, जिन्हें हॉस्टल कहा जाता है। बैकपैकर्स हॉस्टल के नाम से मशहूर इन हॉस्टलों में होटलों की तरह ठाठ-बाट नहीं होते, लेकिन साफ-सुथरे कमरे, बिस्तर, वॉशरूम्स जैसी बुनियादी सुविधाएं मिल जाती हैं। फ्री वाईफाई, किचन और फ्री ब्रेकफास्ट की सुविधा भी अच्छे होस्टलों में मिल जाती है। सोने के लिए यहां आमतौर पर बंक बेड होते हैं। किसी डॉरमेटरी की तरह एक कमरे में कई बेड हो सकते हैं। एक कमरे में कई अनजान घुमक्कड़ मिलते हैं, तो माहौल दुनियाभर के किस्से-कहानियों से जीवंत हो जाता है। अपनी कई यात्राओं में मैं हॉस्टलों में रुका और कई दिलचस्प लोगों से मिला। इस तरह के हॉस्टलों में एक रात का किराया 200 से 500 रुपये होता है। ओनली लेजीज़ रूम भी होते हैं।
शुरुआत कैसे करें
1. मशहूर लोकेशन से सुरुआत करें ।
शुरुआत में मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशंस पर घूमने जाएं। ऐसी जगहों पर आमतौर पर रहने, खाने और घूमने के लिए तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद रहती हैं। एक चीज के लिए कई विकल्प मिल जाते हैं, जो हमें अपनी जरूरत के हिसाब से चुनाव करना सिखाते हैं। कोई परेशानी होने पर पुलिस, अस्पताल या कोई और मदद फौरन मिल सकती है। ऐसी जगहों पर सोलो ट्रैवलिंग के प्रति बुनियादी समझ विकसित होगी और धीरे-धीरे आत्मविश्वास आएगा।
2. छोटी यात्राओं से शुरू करें।
एक दिन की छुट्टी लेकर या वीकेंड पर आसपास की किसी नई जगह को देखने निकल जाएं। फिर धीरे-धीरे यात्रा का टाइम बढ़ाएं। इससे आपको लंबी यात्राओं के लिए कॉन्फिडेंस आएगा।
3. प्राइवेट के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट।
अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत बहुत खराब न हो तो प्राइवेट कार या ऑटो रेंट पर लेने के बजाय बस, मेट्रो या लोकल ट्रेन से यात्रा करें। इससे आपको माहौल समझने में आसानी होगी और परिस्थितियों के हिसाब से चीजें हैंडल करना सीख पाएंगे। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुरक्षा के नजरिए से ज्यादा भरोसेमंद और सस्ता पड़ता है।
4. विदेश से पहले अपना देश।
हमारे देश की सबसे बड़ी खूबी है इसका विशाल और विविधता भरा होना। दिल्ली में रहते हैं तो पूर्वोत्तर भारत या दक्षिण में कहीं निकल जाएं। अलग भाषा, संस्कृति और रहन-सहन देखने और उसके हिसाब से ढलने की आदत अपने देश से ही पड़ जाएगी। उसके बाद विदेश यात्राएं शुरू करना ज्यादा मुनासिब होगा। शुरुआत में ही अकेले विदेश यात्रा पर निकले पड़ेंगे तो कल्चरल शॉक लगेगा और उससे घूमने का उत्साह ठंडा पड़ सकता है।
5. वीज़ा ऑन अराइवल वाले देशों में पहले जाएं
किसी भी देश में जाने के लिए वीज़ा जरूरी है। वीज़ा लेने के लिए उस देश की एंबेसी से संपर्क करना पड़ता है। हालांकि थाइलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, केन्या और श्रीलंका जैसे कुछ ऐसे भी देश है जहां हम भारतीयों को वीज़ा-ऑन-अराइवल की सुविधा मिलती है। यानी पहले से वीज़ा लेने के बजाय, उस देश में पहुंचकर वीजा लेने की सुविधा। पहले इन देशों में घूमने की योजना बनाएं। हमारे लिए करीब 35 देशों में जैसे कि थाइलैंड, कंबोडिया, लाओस, मॉरिशस, केन्या, इथियोपिया आदि में इस कैटिगरी में आते हैं। बाकी शर्तों का भी ख्याल रखें, जैसे कि म्यांमार में वीज़ा मिलने के बावजूद मुझे वापस लौटा दिया गया क्योंकि मेरे पास स्पेशल परमिट लेटर नहीं था, जबकि इस लेटर के बारे में ना एंबेसी ने जानकारी दी, न ही किसी ट्रैवल एजेंसी ने। इसी तरह रूस का वीज़ा पाने के लिए आपको वहां की ट्रैवल एजेंसी का लेटर चाहिए होता है।
6. यूथ हॉस्टल कैंप्स
यूथ हॉस्टल्स इंटरनैशनल लेवल का संगठन है, जो एडवेंचर टूरिज़म को बढ़ावा देता है। भारत में साल भर, कहीं-न-कहीं यूथ हॉस्टल के कैंप लगते रहते हैं, जहां ट्रैकिंग, बाइकिंग, डेजर्ट कैंपिंग आदि कराई जाती है। देशभर से लोग इन कैंपों में आते हैं। यहां अनुशासन का ख्याल सबसे ज्यादा रखा जाता है। इसलिए इसमें हिस्सा लेने वालों में अकेली लड़कियों की संख्या भी अच्छी-खासी होती है। इन कैंपों में सिखाई गई बातें सोलो ट्रैवलिंग में काफी मददगार साबित होती हैं। यूथ हॉस्टल्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट है: yhaindia.org
शुरुआत अपने देश से ही करें
वैसे तो घुमक्कड़ी के लिए जहां चाहें निकल जाएं, लेकिन शुरुआती सोलो ट्रैवलर्स को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा, ठहरने और आने-जाने के साधनों की उपलब्धता के आधार पर कुछ जगहें ज्यादा अनुकूल हो सकती हैं।
धर्मशाला
हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं में बसा धर्मशाला हिमाचल प्रदेश का एक जाना-माना टूरिस्ट स्पॉट है। सालभर देसी और विदेशी टूरिस्टों का जमावड़ा यहां लगा रहता है। पास में बीड़ और बीलिंग गांव हैं, जहां पैरा-ग्लाइडिंग करने निकल जाएं। ट्रेकिंग का मन हो तो त्रियुंड चले जाएं। टेंट में रहने का मन हो तो त्रियुंड में कैंपिंग भी की जा सकती है। नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है और एयरपोर्ट है गग्गल, कांगड़ा।
ऋषिकेश
किसी आश्रम में जाकर योग और ध्यान करना चाहते हों या गंगा की तेज धाराओं में राफ्टिंग, तो ऋषिकेश में आपका स्वागत है। यहां आएंगे तो आपको अपनी तरह के कितने ही सोलो ट्रैवलर्स अपना बैकपैक टांगे नजर आ जाएंगे। भारत आने वाले ज्यादातर विदेशी बैकपैकर्स ऋषिकेश जरूर आते हैं। मन करे तो यहां से लोकल बस पकड़कर उत्तराखंड के पहाड़ों में कहीं भी निकल जाएं। नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है और एयरपोर्ट है जॉली ग्रांट, देहरादूऩ।
सिक्किम
पूर्वोत्तर में भारत का छोटा-सा राज्य सिक्किम सोलो ट्रैवलर्स के लिए काफी सुरक्षित है। चारों तरफ हिमालय है, जहां चाहे निकल जाएं। आने-जाने के लिए टैक्सी रिजर्व कर सकते हैं। कम पैसों में घूमना हो तो शेयर्ड टैक्सी ले सकते हैं। राजधानी गंगटोक में होटलों और गेस्टहाउसों की कमी नहीं है। पेलिंग, लाचेन, लाचुंग, गुरूडोंगमार झील और नाथू ला जैसी जगहें जरूर जाएं। यहां जैसे नजारे शायद ही कहीं और मिलें। यहां के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है और एयरपोर्ट है बागडोगरा।
मणिपुर
सुदूर पूर्वोत्तर भारत में मणिपुर भी कम खूबसूरत नहीं है। हालांकि यह जगह अनुभवी सोलो ट्रैवलर्स के लिए सही है। उखरूल की पहाड़ियों में शिरोय चोटी से म्यांमार के पहाड़ साफ देखे जा सकते हैं। भारत के अंतिम गांव मोरे से भारतीय एक दिन के लिए म्यांमार में बिना वीजा आ-जा सकते हैं। मणिपुर के साथ म्यांमार की झलक भी देखने को मिल जाए, तो सोने पे सुहागा। तामेंगलॉन्ग की पहाड़ियों पर होने वाले संतरों की मिठास नागपुर के संतरों से कम नहीं है। नागा और दूसरी जनजातियों के किसी भी गांव में जाना न भूलें। नजदीकी रेलवे स्टेशन दीमापुर है और एयरपोर्ट इम्फाल।
केरल
शुरुआती सोलो ट्रैवलर्स के लिए केरल मुफीद जगह है। इस छोटे-से राज्य में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अच्छी सुविधा है। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए सड़क, रेल और यहां तक कि स्टीमर से भी यात्रा कर सकते हैं। एक तरफ मुन्नार की पहाड़ियों पर फैले चाय के बागान हैं तो दूसरी तरफ एलेप्पी के बैकवाटर्स। कोवलम और वरकला के बीच विदेशी टूरिस्टों को बहुत लुभाते हैं। एर्णाकुलम/कोचीन और तिरुवनंतपुरम में बड़े रेलवे स्टेशन और इंटरनैशनल एयरपोर्ट हैं।
जैसलमेर
सोने जैसी रेत वाला रेगिस्तान, किले, हवेलियां और राजसी ठाठबाट की झलक देखनी हो तो चलिए भारत के पश्चिमी कोने में। दिन में जैसलमेर किला देखने के बाद सम के रेगिस्तान की ओर निकल जाएं। शाम को वहां मीलों फैले रेगिस्तान में ऊंट की सवारी करते हुए रेत के टीलों के पीछे ढलते सूरज को देखने का अहसास अलौकिक होता है। रात में रेगिस्तान में तारों भरे आसमान के नीचे कैंपिंग कर सकते हैं। दूर-दूर तक शहरी चकाचौंध का नामोंनिशान नहीं मिलेगा। केर-सांगरी की सब्जी, दाल बाटी और चूरमा खाने को मिल जाए तो समझिए आपकी यात्रा सफल हो गई। नजदीकी रेलवे स्टेशन जैसलमेर है और एयरपोर्ट है जोधपुर।
पैकिंग में अपने साथ क्या-क्या रखें
मौसम की जानकारी ले लें, उसी के मुताबिक पैकिंग और टूर प्लान करें। सामान जितना कम रखेंगे, यात्रा उतनी सुखद रहेगी। सामान हमेशा कम रखें। कैप्सूल पैकिंग करें यानी कपड़ों को फोल्ड करके नहीं, रोल करके पैक करें। इससे ज्यादा कपड़े कम जगह में फिट हो सकेंगे। कपड़े ऐसे हों, जिन्हें प्रेस करने की जरूरत न हो तो बेहतर है। टी-शर्ट और लोअर रखना बेहतर है। ट्राउजर्स ज्यादा न रखें। उनके साथ टॉप बदलकर पहनें। साथ ही कई स्कार्फ रखें। ये आपकी ड्रेस को नया लुक देंगे। कपड़ों के अलावा पीने का पानी भरने के लिए बोतल रखें। खाने के लिए ड्राई-फ्रूट्स, चॉकलेट्स, बिस्कुट, थेपला, भाकरबड़ी आदि रख सकते हैं। कैमरा और चार्जर, मोबाइल फोन और चार्जर और यात्रा के लिए जरूरी कागजात जैसे कि पासपोर्ट, वीज़ा आदि साथ जरूर रखें। इसके अलावा, सोप, फेसवॉश, फेसवाइप, क्रीम, लोशन, नेलकटर आदि भी रखें।
लड़कियों के लिए सेफ्टी टिप्स
1. जिस जगह जा रही हैं, वहां की अच्छी जानकारी हासिल करें।
2. अपनी लोकेशन अपने किसी करीबी से लगातार शेयर करती रहें।
3. मोबाइल में हिम्मत, सेफ्टी पिन जैसे सिक्योरिटी ऐप डाउनलोड करके रखें?
4. इमर्जेंसी नंबरों को हमेशा याद रखें, जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद लें।
5. सारा कैश एक ही जगह की बजाय अलग-अलग जगहों पर रखें। बड़े नोट्स इनरवेयर में रखे जा सकते हैं।
6. पासपोर्ट, वीज़ा, टिकट और जरूरी कागजात को स्कैन करके खुद को ईमेल कर लें या गूगल ड्राइव।
यात्रा सभी के लिए हैं।
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