हिमाचल के इस शहर में एक भी पैसा खर्च किए बिना खाने को मिल गया पारंपरिक हिमाचली धाम

Tripoto
Photo of हिमाचल के इस शहर में एक भी पैसा खर्च किए बिना खाने को मिल गया पारंपरिक हिमाचली धाम by Rishabh Dev

आप जिस नई जगह पर घूमने जा रहे हैं, वहाँ का खाने का स्वाद ज़रूर लें। हिमाचल प्रदेश अपनी लोकप्रिय और दूर तलक की खूबसूरत जगहों के लिए जाना जाता है लेकिन जब तक आपने यहाँ पारंपरिक खाना नहीं खाया तो यात्रा अधूरी ही रहेगी। कहा जाता है कि हिमाचल में अगर आपने हिमाचली धाम नहीं खाया तो आपकी यात्रा अधूरी रहेगी। मैं कई बार हिमाचल गया लेकिन धाम खाने का मौक़ा नहीं मिला लेकिन इस बार हिमाचल यात्रा में हिमाचली धाम खाने का मौक़ा मिल गया, वो भी बिना पैसा खर्च किए। तो आइए आज आपको अपने हिमाचली धाम के अनुभव के बारे में बताते हैं।

हिमाचली धाम

हिमाचली धाम हिमाचल प्रदेश में परोसे जाने वाली एक पारंपरिक थाली है। हिमाचली धाम को किसी विशेष अवसर या त्योहारों पर बनाया जाता है। हिमाचल की शादियों में भी आपको हिमाचली धाम मिल जाएगा। इस लोकप्रिय थाली को पारंपरिक मसालों स्थानीय सामग्रियों का उपयोग करके बनाया जाता है। पहले इसे मंदिर में भगवान को प्रसाद चढ़ाने के लिए बनाया जाता था लेकिन अब इसे दूसरे अवसरों पर भी बनाया जाने लगा है।

Photo of हिमाचल के इस शहर में एक भी पैसा खर्च किए बिना खाने को मिल गया पारंपरिक हिमाचली धाम by Rishabh Dev

हिमाचल प्रदेश में परोसे जाने वाले धाम में कई तरह के पहाड़ी और पारंपरिक व्यंजनों परोसा जाता है। आमतौर पर इसमें दाल, चावल राजमा, मद्रा, सेपी बड़ी, कढ़ी और दूसरे व्यंजनों को साल के पत्तों पर परोसा जाता है। इसके अलावा इसमें काले चने का खट्टा, बूर की कढ़ी और गुड़ जैसी दूसरी चीजों को भी शामिल किया जाता है। परंपरा के अनुसार, हिमाचली धाम में शाकाहारी व्यंजनों को ही शामिल किया जाता है लेकिन कहीं-कहीं पर अब इसमें मांसाहारी व्यंजनों को भी शामिल किया जाने लगा है।

धाम का इतिहास

हिमाचली धाम का भी एक इतिहास है। पहले हिमाचल में कोई पारंपरिक थाली नहीं होती थी। हिमाचली धाम की शुरूआत चंबा के राजा जयस्तंभ के द्वारा शुरू करवाई गई थी। चंबा के राजा जयस्तंभ एक बार कश्मीर के भ्रमण पर गए। वहाँ उन्होंने कश्मीर की पारंपरिक धाली का स्वाद लिया। कश्मीर से लौटने के बाद उन्होंने एक पारंपिरक थाली बनाने का आदेश दिया जो पूरी तरह से शाकाहारी हो। तो इस प्रकार की हिमाचल का पारंपरिक हिमाचली धाम की शुरूआत हुई।

मेरा अनुभव

हुआ कुछ ऐसा कि मैं हिमाचल के धर्मशाला में किराए की स्कूटी लेकर घूम रहा था। स्टेट वॉर म्यूज़ियम को देखने के बाद मैं धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम पहुँच गए। वहाँ जाकर पता चला कि लंच टाइम की वजह से थोड़ी देर के लिए अभी स्टेडियम बंद है। हमने सोचा कि इंतज़ार करने के बजाय पास की जगह को देख आते हैं। मैंने स्कूटी उठाई और माता कुनाल पथरी मंदिर के लिए निकल पड़ा। चाय के बाग़ानों को पार करने के बाद मैं पहुँच गया कुनाल पथरी मंदिर।

कुनाल पथरी मंदिर।

Photo of हिमाचल के इस शहर में एक भी पैसा खर्च किए बिना खाने को मिल गया पारंपरिक हिमाचली धाम by Rishabh Dev

कुनाल पथरी मंदिर के दर्शन करने के बाद हम वापस जाने लगे तो बूढ़े व्यक्ति ने मंदिर के सामने बने गुप्तेश्वर मंदिर की छत पर लंगर खाने के लिए कहा। हमने सोचा कि प्रसाद के रूप में थोड़ा खा लेंगे। लंगर खाने के लिए काफ़ी लोग थे। जब मैंने देखा कि लंगर में हिमाचली धाम मिल रहा है तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब तो इंतज़ार नहीं हो रहा था, बस जल्दी से जल्दी धाम खाने का मन होने लगा। हम धर्मशाला में हिमाचली धाम खाने का प्लान बना रहे थे और किसी होटल में धाम खोजने के बारे में सोच रहे थे लेकिन हमें क्या पता था कि धाम हमें इस मंदिर में प्रसाद के रूप में मिल जाएगा।

धाम

हिमाचली धाम।

Photo of हिमाचल के इस शहर में एक भी पैसा खर्च किए बिना खाने को मिल गया पारंपरिक हिमाचली धाम by Rishabh Dev

जब लंगर में खाने वाले लोग उठे तो हमारा नंबर आया। साफ़-सफाई हुई और फिर सभी के आगे साल के पत्ते डाल दिए गए। इसके बाद पत्ते पर चावल डाले गए। उसके बाद चावल पर मद्रा डाला गया, मद्रा के बाद राजमा की सब्ज़ी की डाली गई। आसपास के लोगों ने खाना शुरू कर दिया लेकिन मैं देखना चाहता था कि धाम में कौन-कौन सी और सब्ज़ी डाली जाएँगी। मद्रा और राजमा के बाद काली वाली माँ की दाल, मटर पनीर की सब्ज़ी, चने की दाल और चने का खट्टा डाला गया। आख़िर में बाद में मीठा चावल भी आया। इसके बाद मैंने हिमाचली धाम का मैंने पहला स्वाद लिया। यक़ीन मानिए मन तृप्त हो गया। मैंने कुछ देर पहले ही खाना खाया था लेकिन धाम के चक्कर में ज़्यादा खा गया। इस प्रकार मैंने पहली बार हिमाचली धाम खाया।

क्या आपने कभी हिमाचल में हिमाचली धाम का स्वाद लिया है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।

Further Reads