पोराः किसी खज़ाने से कम नहीं है उत्तराखंड का ये गाँव

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पहाड़ हर जगह खूबसूरत ही लगता है, बस माहौल का अंतर होता है। मसूरी, देहरादून और नैनीताल में भीड़ की वजह से सुंदरता थोड़ी फीकी-सी लगती है। हम पहाड़ों में सिर्फ पहाड़ नहीं देखना चाहते हैं। पहाड़ तब ज्यादा खूबसूरत लगता है, जब शांति हो, सुकून हो। जहाँ हम रास्तों पर चलते हुए खूबसूरती को निहारें और चलते-चलते थके भी ना। अगर आप ऐसी ही जगह पर जाना चाहते हैं तो आपको उत्तराखंड के एक गाँव में के बारे में ज़रूर पता होना चाहिए। शांति और सुकून का एक शानदार मेल है , पोरा।

Photo of पोरा, Uttar Pradesh, India by Rishabh Dev

पोरा, नैनीताल और अल्मोड़ा के बीच पड़ता है। ये हिमालय की खूबसूरत चोटियों और घने जंगलों से घिरा एक छोटा-सा गाँव है। पोरा उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है। समुद्र तल से 1,997 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है ये गाँव मुक्तेश्वर से 10 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और अल्मोड़ा से 22 कि.मी. की दूरी पर। यहाँ की खूबसूरत छटा और छिपते हुए सूरज का नज़ारा बेहद ही सुंदर होता है। आपको यहाँ से हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला का शानदार नज़ारा देखने को मिलता है। इस जगह के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं इसलिए यहाँ बहुत कम ही लोग आते हैं। आपको एक बार उत्तराखंड के इस छोटे मगर सुकून से भरे गाँव में ज़रूर आना चाहिए।

पोरा: उत्तराखंड का फ्रूट बोल

जिस तरह रामगढ़ को कुमाऊँ का फ्रूट बोल कहा जाता है उसी तरह पोरा को ‘उत्तराखंड के फ्रूट बोल' के नाम से जाना जाता है। यहाँ सेब से लेकर आलूबुखारा, खुबानी और आड़ू काफी ज्यादा मात्रा में होते हैं। इसके अलावा पोरा अपने हर्बल प्रॉडक्ट्स के लिए भी फेमस है। हालांकि यहाँ कोई लोकल मार्केट नहीं है, जहाँ आप ये सब खरीद सकते हैं। पोरा में कोई शॉपिंग स्पेस नहीं है लेकिन हर्बल प्रॉडक्ट्स को आप लोकल हर्बल फैक्ट्री से खरीद सकते हैं। पोरा हरे-भरे साल, देवदार, ओक, बुरुन, काफल और बुरांश के पेड़ों से घिरा हुआ है।

गाँव की शांति में खुद को खोजें

कहते हैं प्रकृति के बीच आप खुद को बेहतर जान सकते हैं। पोरा में बहुत शांति और सुकून है। आपको यहाँ लोगों की कम और प्रकृति की आवाज़ ज्यादा साफ सुनाई देगी। आप यहाँ सुबह-शाम पक्षियों की चहचहाहट साफ-साफ सुन सकते हैं। ये जगह फोटोग्राफर्स के लिए बहुत अच्छी जगह मानी जाती है। आपको यहाँ प्रकृति के कई रंग देखने को मिलेंगे। इन सबके लिए ही तो पोरा जाना जाता है।

पैदल करें सैर

पोरा उन जगहों के लिए नहीं जाना जाता, जहाँ देखने के लिए बहुत सारे टूरिस्ट स्पाॅट हों। यहाँ देखने के लिए कोई फेमस जगह नहीं है क्योंकि यहाँ तो चारों तरफ खूबसूरती पसरी हुई है। यहाँ अगर खूबसूरती को देखना है कि तो किसी खास जगह पर जाने की ज़रूरत नहीं है बल्कि पैदल सैर करना चाहिए। आपको सैर करते हुए इस खूबसूरत गाँव को देखना चाहिए, यहाँ के जंगलों को देखना चाहिए। यहाँ रात को आकाश में जगमग तारों को देखते हुए बैठना सबसे सुंदर पल हो सकता है। इसके अलावा आप यहाँ कई जगहों पर ट्रेक कर सकते हैं और वाटरफाॅल का आनंद ले सकते हैं।

गांठ बांध लो ये बात

अगर आप पोरा जा रहे हैं तो एक बात का ध्यान ज़रूर रखें। पोरा में कोई मार्केट नहीं है इसलिए यहाँ ना कोई सामान मिलता है और ना ही कोई होटल है। इसलिए जब आप यहाँ जाएँ तो खाने-पीने का सामान अपने साथ ले जाएँ। पोरा गाँव में बहुत कम लोग रहते हैं इसलिए यहाँ होटल तो नहीं है लेकिन जहाँ ठहरें वो आपके कहने पर कुछ पका सकते हैं।

कहाँ ठहरें?

जब आपको यहाँ पर खाने की जगहें नहीं मिलेगी तो रहने की तो दूर की बात है। आप ऐसा ही कुछ सोच रहे होंगे लेकिन ऐसा नहीं है। आपको यहाँ ठहरने के लिए बजट में कुछ जगहें मिल ही जाएँगी।

डाक बंगला-डाक बंगला 1905 में बना हुआ एक शानदार बंगला है जिसे ब्रिटिशों ने बनवाया था। ये बंगला काठगोदाम-अल्मोड़ा-बागेश्वर सड़क मार्ग पर है। कई सालों बाद 2005 में इसे होमस्टे बना दिया गया। इसको पहले से बदला गया है लेकिन उसका मूल रूप आज भी बनाया रखा है। इस जगह से आपको खूबसूरती हरियाली और पहाड़ का मनोरम दृश्य नज़र आएगा।

रिजाॅर्ट-रिजाॅर्ट सीक्वेस्टर चार बड़े अपार्टमेंट का अच्छा विकल्प है जो पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यहाँ से आपको घाटी के सामने की पहाड़ी का खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है जहाँ सेब और खुबानी के बाग भी दिखाई देते हैं।

कब और कैसे जाएँ?

श्रेय: फेसबुक

Photo of पोराः किसी खज़ाने से कम नहीं है उत्तराखंड का ये गाँव by Rishabh Dev

पोरा जाने के लिए सबसे बेस्ट टाइम है मार्च, मई, जून, सितंबर और फिर अक्टूबर से लेकर दिसंबर। जनवरी और फरवरी में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है और खूब बर्फबारी होती है, यहाँ तक कि रास्ते तक बंद हो जाते हैं। इसीलिए उस वक्त यहाँ जाना बिल्कुल भी सही नहीं है।

पोरा से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो पोरा से 78 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से काठगोदाम जाने के लिए आप काठगोदाम शताब्दी पकड़ सकते हैं। आप काठगोदाम से टैक्सी बुक करके पोरा पहुँच सकते हैं।

तो जब आपके पास इस छोटी सी जन्नत तक पहुँचने का सारा प्लान है, तो आप इंतज़ार किस बात का कर रहे हैं? इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ बाँटों और अपनी ट्रैवल लिस्ट में तुरतं जोड़ लो।

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