किला रायपुर स्पोर्ट्स फेस्टिवल- इस अनूठी खेल प्रतियोगिता के बारे में मुझे पहली बार तब पता चला जब पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने बैलगाड़ी की दौड़ के विरोध में विवाद खड़ा कर दिया था | मुझे याद है कि किसी ट्रैवल मैगज़ीन ने यहाँ होने वाले अलग-अलग खेलों के बारे में एक ऐसा लेख लिखा था जिसे पढ़कर लगा था जैसे मैं सीधा वहीं, उसी मैदान में पहुंच गया हूँ |
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किला रायपुर
फरवरी में मैंने तय कर लिया था कि इससे पहले ये त्योहार लोकप्रिय होकर, भीड़-भाड़ का केंद्र बने, मैं यहाँ घूमकर आउँगा | इंटरनेट पर मुझे यहाँ की आधिकारिक वेबसाइट तो मिल गयी मगर वहाँ सब कुछ पंजाबी में लिखा हुआ था | कुछ ब्लॉग और आर्टिकल पढ़कर मैंने थोड़ी बहुत ज़रूरी जानकारी जुटाई।
लुधियाना से कुछ ही किलोमीटर दूर किला रायपुर स्पोर्ट्स फेस्टिवल लगता है जिसे प्यार से यहाँ के लोग किल्ला राप्पर भी कहते हैं | ढिल्लों तक आपको बस ले जाएगी और आगे फेस्टिवल ग्राउंड पहुँचने के लिए आप टुक-टुक ले सकते हैं या चाहे तो लुधियाना से ही टैक्सी कर सकते हैं | पहले वाला तरीका सस्ता पड़ेगा और दूसरा वाला तरीका आपको मेला ग्राउंड में शाम 7 बजे तक सुनसान होने तक रहने की आज़ादी देगा |
3 दिन तक चलने वाला ये फेस्टिवल पंजाब के कोने-कोने से प्रतियोगियों को आकर्षित करता है | यहाँ तक की प्रतियोगी कनाडा से भी आते हैं (जिसे यहाँ कानेड्डया भी कहा जाता है) | यहाँ की प्रतिस्पर्धाओं में 100, 400 व 1600 मीटर की दौड़, देशी या स्पोर्ट्स साइकल की रेस, सेना के दिग्गजों के लिए व्हीलचेयर रेस, ट्रक टायर और गेहूं की बोरियों के साथ वेट लिफ्टिंग शामिल है | ये अपने आप में एक अनोखा त्यौहार है जहाँ आदमी और जानवर बराबर रूप से लोगों की तालियों के लिए होड़ में लगे रहते हैं | पंजाब पुलिस के शिकारी कुत्ते, खच्चरों, घोड़ों और यहाँ तक कि ऊंटों को अपनी खूबसूरत सजावट की झलक दिखाकर दर्शकों को प्रभावित करने की पूरी कोशिश करते देखा जा सकता हैं।
जब मैं खेल परिसर में पहुँचा तो दोपहर के 12.30 बज रहे थे | देखकर ये अलग लगा कि प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के लिए किसी एनर्जी ड्रिंग या दूसरे ब्रांड के पोस्टर और बैनर नहीं लगे थे | ये खेल प्रतियोगिता आज भी कंपनियों और भीड़-भाड़ वाले पर्यटन की पकड़ से मुक्त है | मुझे प्रतियोगिता मैदान में प्रवेश करने से रोक दिया गया क्योंकी मेरे पास प्रेस का पास नहीं था | मैंने एक बार फिर से प्रयास किया लेकिन पंजाब पुलिस के हाथ काफ़ी लंबे निकले | हताश होकर मैं उस समय तो वहाँ से चला गया लेकिन मुझे खेतों में से होते हुए एक रास्ता मिल ही गया | अगले तीन दिनों तक मैं आयोजकों और पुलिसकर्मियों से छिपता रहा ताकि वे मुझे बाहर ना निकाल दें |
पंजाब के अलग-अलग जिलों से आई टीमें कबड्डी के ज़बरदस्त मुक़ाबले में एक दूसरे को चित्त करने की कोशिश कर रहीं थी | ऐसे-ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने पहले नैशनल कबड्डी लीग में भी मुक़ाबले का सामना किया हुआ था | मैच के दौरान एक खिलाड़ी उछल कर प्रतिद्वंदी टीम की ओर आया | दूसरी टीम ने लपक कर उसे पकड़ना चाहा | उछल कर आए खिलाड़ी ने प्रतिद्वंदी टीम के कम से कम एक खिलाड़ी को तो छू कर आउट करना चाहा | दोनो ही पक्ष अपनी कोशिश में नाकाम रहे और मैच चलता रहा | मैच का रोमांच इतना चरम पर था कि आप खेल के बारे में कुछ जानो या ना जानो, मगर किसी खिलाड़ी को दूसरी टीम के खिलाड़ियों द्वारा पकड़ लिए जाने पर रोंगटे आपके भी खड़े हो जाएँगे | खिलाड़ी किसी तरह रेंगता हुआ सफेद पट्टी को हाथ लगाने की कोशिश करता है और प्रतिद्वंदी टीम के खिलाड़ी उसे पीछे खींचने की | इस खींचा-तानी में आपके पसीने भी छूट ही जाते हैं |
सच कहें तो असली जोश और रोमांच तो यहाँ के स्थानीय दर्शक भरते हैं | इन लोगों के लिए ये खिलाड़ी इनके गाँवों का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं | जोश में आकर ये जनता ऐसा चिल्लती है कि इनके शोर के तले कुतुब मीनार के ऊपर से गुज़रते हुए हवाई जहाज़ का शोर भी कुछ नहीं है |
पंजाब पुलिस के शिकारी कुत्तों की दौड़ देखकर आपके रोंगटे तो खड़े होंगे ही साथ ही आपका दिल भी दहल जाएगा | जब इन्हें पकड़ कर रखने वाले इन्हें आज़ाद करते हैं तो गोली की रफ़्तार से दौड़ते हुए ये कुत्ते देखते ही देखते आँखों से ओझल हो जाते हैं | कुत्ते कहीं उन पर ना कूद जाएँ , इस डर से सब पीछे हट गये | कुत्ते इतना तेज़ दौड़ रहे थे कि मैं उन्हें अपने कैमरे में कैद ही नहीं कर पाया | इतनी तेज़ रफ्तार से दौड़ते हुए कुत्ते खुद अपनी रफ़्तार पर काबू नहीं पा रहे थे और दौड़ ख़त्म हों पर रुकते हुए वो आगे खेतों में घुस गये | कोई बड़ी बात नहीं है, उन्होंने एक खास सीटी के ज़रिए अपने संचालकों को पहचान लिया और कुछ ही समय में ढूँढ लिए गये | एक पत्रकार ने मुझे अपने बड़े से कैमरे में रेस की कुछ तस्वीरें दिखाई | मेरा नाइकॉन डी3300 उसके भारी भरकम उपकरणों के सामने बौना लग रहा था |
आख़िरकार जिसका मुझे था इंतज़ार वो घड़ी आ गई | घुड़ दौड़ शुरू हो गई | राजस्थान, हरियाणा और मेज़बान राज्य पंजाब से बहुत से प्रतियोगी आए हुए थे | हवा में गोली चलने की आवाज़ हुई ही थी, घोड़े और उनके सवार निकल छूटे फिनिश लाइन की ओर | घोड़े दौड़ नहीं, बल्कि उड़ रहे थे | उनके चेहरों से रोमांच टपक रहा था | जैसे ही सवार चीखता, घोड़ा उतने ही जोश से प्रतिद्वंदी को हराने के लिए भागने लगता |
अगर आप पंजाब की संस्कृति और सभ्यता को करीब से देखना चाहते हैं तो किला रायपुर आपको ज़रूर पसंद आएगा | खेलकूद की स्पर्धाएँ ग्रेवाल फाउंडेशन द्वारा आयोजित करवाई जाती हैं और पंजाब के दूर-दराज के इलाक़ों यहाँ तक की कनाडा से भी खिलाड़ी आते हैं | चाहे आप खेलकूद में रूचि रखते हों या फोटोग्राफर हों या संस्कृति की ओर रुझान रखते हों, किला में आपको अपनी मनपसंद चीज़ ज़रूर देखने को मिलेगी | खेलकूद में महिलाओं, पुरुषों और वृद्धों की 100, 400 और 1600 मीटर की दौड़ होती है | सेना के दिग्गजों के लिए व्हील्चैर रेस होती है और वेट लिफ्टिंग में ट्रक के टायर व गेहूँ की बोरियाँ उठाने की प्रतिस्पर्धा होती है |
किला रायपुर आपको ग्रामीण और देहाती पंजाब की झलक देता है। हरे भरे खेत, लस्सी के गिलास, गन्ने का रस और मसालेदार छोले कुल्चे आपको असीम आनंद देते हैं | भांगड़ा करने वाले कलाकार आपका दिल जीत लेते हैं, और निहंगों द्वारा दिखाए जाने वाले स्टंट साँसे थाम देते हैं | इससे पहले की यहाँ भी सैलानियों की भीड़ उमड़ जाए, किला रायपुर की मस्ती एक बार ज़रूर देखें |
कब: किला रायपुर ग्रामीण ओलंपिक हर साल फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है
कैसे पहुंचें: लुधियाना निकटतम शहर है जहाँ आप रह सकते हैं। आईएसबीटी से हर आधे घंटे में ढिल्लों के लिए बसें चलती हैं। ढिल्लों से आप खेल मैदान तक के लिए एक टुकटुक पकड़ सकते हैं।
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