भारत में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Sites in India), खजुराहो मंदिर मुख्य रूप से अपनी कामुक मूर्तियों (Erotic idols) के लिए विख्यात हैं। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) स्थित यह सुंदर मंदिरों की भूमि खजुराहो, दुनिया भर से यात्रियों को आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश पर्यटन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने के नाते, खजुराहो बीते युग के इतिहास और संस्कृति के बारे में बहुत कुछ बयां करती है। लेकिन ये मंदिर अपनी कामुक मूर्तियों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण और मायने रखती हैं!
खजुराहो समूह के स्मारक भारत में मध्य प्रदेश के झांसी (Jhansi) शहर से लगभग 175 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में छतरपुर जिले में स्थित हिंदू और जैन मंदिरों का एक समूह है। वे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं। मंदिर अपने नागर शैली के स्थापत्य प्रतीकवाद और 10% से भी कम कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
खजुराहो के बारे में कुछ रोचक तथ्यों को जानने की कोशिश करते हैं, जो आपको हैरान कर देंगे!
मंदिर की खोज (Khajuraho Ki Mandiron Ki Khoj Kisne Ki?)
खजुराहो के मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं। हालांकि कैप्टन टी.एस. बर्ट ने वर्ष 1838 में इन मंदिरों को फिर से खोजा और दुनिया के सामने पेश किया। उस वक्त श्री बर्ट एक ब्रिटिश सेना के कप्तान थे। उनकी पोस्टिंग खजुराहो में थी और गलती से एक अज्ञात मार्ग पर निकल जाते हैं, जो उन्हें इन छिपे हुए मंदिरों का पता दे दिया और उन्होंने विश्व को इस धरोहर से परिचय कराया। खजुराहो समूह के स्मारक मध्य प्रदेश के झांसी से लगभग 175 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में छतरपुर जिले में हिंदू मंदिरों और जैन मंदिरों का एक समूह है। इनका स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में है। मंदिर अपने नागर शैली के स्थापत्य प्रतीकवाद और उनकी कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
खजुराहो मंदिर में केवल 10% मूर्तियां ही कामुक
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध होने के बावजूद, इस मंदिर परिसर की केवल 10% नक्काशी यौन गतिविधियों को दर्शाती है। यह कम लोग ही जानते हैं कि बाकी 90% मूर्तियां उस समय के दौरान रहने वाले आम लोगों के जीवन को प्रदर्शित करने वाली सामान्य नक्काशी है। इन मूर्तियों में अधिकांशतः कुम्हारों, संगीतकारों, किसानों और महिलाओं की मूर्तियां हैं, लेकिन उन नक्काशियों की बात कोई नहीं करता।
वर्तमान में बचे हुए मंदिरों की संख्या
खजुराहो में 12वीं शताब्दी तक लगभग 85 मंदिर थे, लेकिन 13वीं शताब्दी में इनमें से कुछ को नष्ट कर दिया गया था। आज परिसर में केवल 22 मंदिर ही बचे हैं।
नामकरण
खजुराहो नाम हिंदी शब्द खजूर से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'खजूर' (एक फल)। ऐसा कहा जाता है कि किसी समय यह शहर खजूर के पेड़ों से घिरा हुआ था और इसके अलावा वहां और कुछ नहीं था। जिसके कारण इसका नाम खजुराहो पड़ा। इसके नाम के पीछे एक पौराणिक किंवदंती भी है, जिसमें कहा गया है कि नाम की उत्पत्ति खजुरा-वाहक (बिच्छू वाहक) से हुई है, जो भगवान शिव का एक प्रतीकात्मक नाम है।
खजुराहो की मंदिरों का निर्माण कब हुआ था? (Khajuraho Temples Ka Nirman Kab)
ये विश्व प्रसिद्ध भारतीय मंदिर चंदेल वंश के शासन काल के दौरान बनाए गए थे। इनमें से अधिकांश मंदिरों का निर्माण 950 और 1050 ईस्वी के बीच हिंदू राजाओं यासोवर्मन और धंगा के शासनकाल के दौरान किया गया था।
खजुराहो में मध्यकालीन मंदिरों का सबसे बड़ा समूह है
जी हां, भौंचक रह गए ना? दरअसल खजुराहो परिसर भारत में मध्यकालीन हिंदू और जैन मंदिरों के सबसे बड़े समूह का घर है। ये मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता और कामुक मूर्तियों के लिए न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में खूब प्रसिद्ध हैं।
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