सर्दियों के kheerganga trek ने रोमांच और डर दोनों का एहसास करवाया

Tripoto
9th Feb 2021
Photo of सर्दियों के kheerganga trek ने रोमांच और डर दोनों का एहसास करवाया by Prashant Pal
Day 1

मेरा नाम प्रशांत पाल है  मैं आज पहली बार ऐसी कोई कहानी लिख  रहा हूं  मुझे लिखने का कोई ऐसा एक्सपीरियंस नहीं है  पर फिर भी सोचा था कि सब को आकर बताऊंगा.
और यह कहानी मेरी ही है वैसे मुझे घूमना बहुत पसंद है लेकिन वह आरामदायक होना चाहिए पैदल ट्रैक मुझे बहुत कम पसंद है तो दोस्तों की जिसकी वजह से सोचा चलो इस बार कुछ रोमांचक करते हैं सफर की शुरुआत  kalga village  से कर रहा हूं जो कि कसोल के आगे है हम हम लोग वहीं cafe में ठहरे हुए थे

Snow line cafe

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ऐसा मैंने सुना था कितुझे ऐसा मैंने सुना था कि पैदल ट्रैक मैं लगभग 10 से 12 घंटे लगते हैं खीरगंगा तक पहुंचने के लिए तो उसके लिए सुबह से ही निकलना चाहिए और हम लोगों ने  निकलने मैं बहुत ही देर कर दी , हम लोग kalga village se लगभग 3:30pm पर निकले
आज तक कभी ऐसा ट्रेक पहले कभी किया नहीं था तो मन में एक रोमांच भी था और खतरों के बारे में तो मैंने सोचा ही नहीं था कि ऐसा कुछ भी होगा
चलिए अपने साथियों का परिचय दे देता हूं हम चार दोस्त थे और हमारे साथ तीन गाइड जो कि हमारे मित्र ही थे और एक डॉग हस्की (shadow)
तो कुल मिलाकर हम 8 लोग थे

Dog (shadow)

Photo of Kheerganga Trek by Prashant Pal

तो शुरुआत में ही  हम लोगों ने अपना थोड़ा थोड़ा सामान रात में रुकने के लिए टेंट थोड़ा बहुत खाने पीने का सामान लेकर सफर के लिए निकल पड़े
शुरुआत के सफर में ही पार्वती नदी पड़ती है बहुत ही सुंदर नदी है
नदी का बहता हुआ पानी और उसमें से निकलती आवाज एक अजीब सा ही खामोशी को बयां कर रही थी

Parvati river

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अभी तो दोपहर ही थी तो सफर में तो बहुत ही रोमांस और रोमांच का अनुभव हो रहा था और बहुत ही मजा आता था पराग चलते-चलते थकान से बहुत बुरा हाल था क्योंकि जब हम ऊपर चढ़ते हैं तो बहुत ज्यादा थकान हो जाती है और वह पथरीले रास्ते , रास्ते में ऐसे बहुत से लोग मिले जो आधे रास्ते से ही वापस आ रहे थे उनको देखकर तो लग रहा था कि हम लोग भी वापस चले चले पर हमारे साथ हमारे गाइड थे जो कि हमेशा हौसला बढ़ाते थे कि बस बस अब ज्यादा दूर नहीं है

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उबड़ खाबड़ और पथरीले रास्तों में चलकर मेरा भी बुरा हाल था पर मन में यह भी ख्याल था कि जब निकल आया है तो वहां तक जाकर ही जाएंगे 
बस अब चलते जा रहे थे नजारों का आनंद लेते जा रहे थे
और सोच रहे थे जब यह हमारे साथ वाले गाइड कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते
और हमारे साथ हमारे गाइड अविनाश भाई जी मैं तो इतना बड़ा बैक थाम रखा था कि मुझे देखकर ही चक्कर आ जा रहा था फिर सोचा मेरा तो इतना छोटा बह गया तो मैं तो कर ही लूंगा

Avinash bhai ji

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तू सफर में काफी आगे तक पहुंच चुके थे nagthang village
के करीब पहुंचने वाले थे

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सर्दियों में भी पसीने से   भरा हुआ था क्योंकि चढ़ने यह बात तो जैसे गर्मी ही जाती जा रही है और पता नहीं था कितना थका देने वाला यह trek  है मैं सोचता था कि ऐसे पैदल चल करऐसे पैदल चलकर थकान से घूम कर क्या फायदा है मैं 2 सिक्किम की यात्रा कर चुका हूं
तुम मुझे लगता था आराम से कार से जाओ आराम से फोटोस खिंचवा को सुकून का आनंद लो और बस तू ऐसा ट्रक का कोई ज्ञान नहीं था मेरे पास यही सब सोचते सोचते शाम भी डालने को आ गई

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और पूरे सफर में हमारा डॉग शैडो सबसे आगे चल रहा था लग रहा था उसने एनर्जी ड्रिंक पी हो सबसे तेज और सबसे आगे वही चल रहा है तो सबको रास्ता दिखा रहा था

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और फिर 7:00 बजे के बाद का जो सफल रहा वह तो यादगार ही रहेगा अरे रास्ते में बीच-बीच में बहुत ही ज्यादा snow हर जगह पर फिसलन और जैसा कि मैंने बताया कि ट्रैक kaमुझे ज्यादा कोई एक्सपीरियंस है नहीं 

पहाड़ों में जल्दी अंधेरा हो जाता है और रात में तो हर जगह एकदम खामोशी ही नजर आती है हम लोगों ने मोबाइल का फ्लैश जला कर आगे बढ़ रहे थे बस अब हर जगह घना अंधेरा और आसमान में टिमटिमाते हुए तारे दिख रहे थे जितने रोमांच से मैं वहां से निकला था दोपहर में ,वह पूरा खत्म हो चुका था और मेरे चलने की इच्छा शक्ति भी, रास्ता बहुत ही पथरीला उबर खाबर होने की वजह से जितनी बार जमीन में गिरता था हर बात मन में वही आता था कि क्यों आ गए यहां पर आप सोच कर देखिए एकदम पतली सी रास्ता उसमें बर्फ जमी हो और बगल में बहुत बड़ी खाई हो अब दोनों तरफ से फंस चुके थे नहीं वापस जा सकते थे एक ही रास्ता था सिर्फ आगे जाने का फिर हमारी गाइड ने सलाह दी की खाई की तरफ से चलो वह  फिसलन भरी नहीं है जिस बर्फ पर ज्यादा लोग जलते हैं तो वह फिसलन भरी हो जाती है
हर 10min मैं मैं थक जा रहा था और बैठने के लिए कह रहा था
और अपने गाइड से पूछ रहा था और कितनी दूर है बस वह कह देते वह देखो बस थोड़ी सी दूर है चलते रहो पर ऐसा लग रहा था पैरों ने जवाब दे दिया मन में ख्याल आ रहा था कि बस ठीक-ठाक वहां तक पहुंच जाएं कैसे भी करके
और फिर आखरी के रास्ते में जहां बर्फ होती थी वहां मैं बैठकर फिसल जाता था और पहले देख लेता था कि फिसलने के बाद कहीं से पैर फसाने की जगह मिल जाए मेरे हाथों में भी छाले पड़ गए थे
और फिर भी कहीं कोई लगभग 9:30 तक हम लोग जैसे तैसे गिरते पड़ते वहां तक पहुंच गए
जल्दी से चाय पी और मैगी खाई और बस थक कर लेट गए और फिर रात के खाने में दाल और चावल खाए , उस दिन वहां पर बहुत ही तेज हवा चल रही थी मैंने 5 कंबल उठाए सबको एक साथ लपेटा और बस ढेर हो गया

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Day 2

गुड मॉर्निंग पहले सुबह हो चुकी थी वहां पर मैंने सोचा था कि रात में इतना थक जाने के बाद बहुत ही अच्छी नींद आएगी पर बिल्कुल भी नींद नहीं आई camp कपड़े का बना हुआ था और रात भर इतनी तेज हवा में उसमें से आवाजें आ रही थी और शायद मुझे ऐसी आवाजों के साथ सोना पसंद नहीं था या आदत नहीं थी पर अब थोड़ी सी धूप निकल आई थी और हवा भी कम हो गई थी तो काफी सुकून मिल रहा था और फिर गरम चाय मंगाई और खुले  आसमान में बैठ कर आराम से पी कर उसका लुफ्त ले रहा था और मेरे बाकी साथी पता नहीं सब को कितनी नींद आती है सब अभी तक सो रहे थे मैंने शैडो को उठाया सोचा उसे बाहर घुमा दूंगा मैं भी बाहर घूम लूं शैडो भी मेरी तरह जल्दी सुबह उठ जाता है और उसे बाहर घूमने का शौक भी है

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उसके बाद लगभग 12:00 बजे सब सो कर उठे उसके बाद parvati kund  में नहाना भी था जिसका नाम तो आपने सुना ही होगा  वहां गर्म पानी निकलता है जोकि केम से मात्र 10 मिनट की दूरी पर ही था
10 मिनट की दूरी तय करके जैसे ही parvati kund पहुंचे पानी तो बहुत ही गर्म था पर हवा भी एक अच्छी खासी चल रही थी और कपड़े कपड़े उतारने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर सोचा यहां तक आया हूं इतनी मुश्किलें पार करके तो फिर यह कोई बहुत बड़ी मुश्किल नहीं है और फिर क्या था फटाक से कपड़े उतारे और पार्वती कुंड में प्रवेश कर दिया और वाकई इस पानी में तो जादू ही था शरीर का सारा दर्द और थकान जैसे  मिट गई हो बहुत ही अजीब लग रहा था चारों तरफ से ढका हुआ माहौल था और कुंड के अंदर इतना गर्म पानी कुदरत भी कितनी अजीब चीज होती है इसे कोई समझ नहीं पाता

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नहाने के बाद वापस कैंप में आकर आलू के पराठे और चाय का लुफ्त उठाया और सब ने अपना बैकपैक किया और वापसी में इतना डर तो नहीं लग रहा था मैं सोच रहा था जो  बर्फ  वाले रास्ते हैं वह बस सूरज की रोशनी में ही पार हो जाए क्योंकि रात के अंधेरे में बस को पार करना बहुत ही मुश्किल होता है 
बस अब बैकपैक हो चुके थे फिर सोचा गया कि चिलम के कुछ  लिए जाएं और यहां से निकला जाए और अब काफी कुछ जानकारी ले ली थी मैंने इसलिए मैंने अपने मौजों को पॉलिथीन से कवर किया ताकि रास्ते में बहुत से waterfall में पैर गीला ना हो जूते और मोजे गीले होने से चलते नहीं बनता है इस बार मैंने पूरी होशियारी दिखाई और मौजों के ऊपर पॉलिथीन का सहारा लिया अब  मैं पैर पानी में भी डाल देता था क्योंकि पता था मुझे गीले नहीं होंगे इतनी ठंड में  पैर ठंडा होना चलने में बहुत तकलीफ दाई होता है

Camp inner view

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फिर क्या था सामान उठाकर सब लोग जोश और जुनून के साथ वापस के लिए निकल पड़े दिन के उजालों में मैंने देखा जहां पर मैं रात में बहुत डर रहा था दिन में ऐसा कुछ खास डर भी नहीं लग रहा था बस रास्ता बहुत फिसलन भरा था रात भर में काफी चीजें सीख चुका था मैं कि कैसे पैदल ट्रैक करते हैं अब तो जहां चिकनी ढलान आती वहां मैं बैठकर फिसल जाता और देता रहता है कहीं ना कहीं तो रुक ही जाऊंगा कई बार तो काफी ज्यादा फिसल कर नीचे गिरा तो हमारे गाइड ने चला ले जाकर मुझे एक दो बार पकड़ा पर दिन के सफर में उतना डर नहीं लगता है जितना रात के सफर में रात के सफल ने मुझे बहुत ज्यादा डरा दिया था पर अब अच्छे से आराम से वापस जाते रहे और रास्ते में जो भी मिल जाता उससे मैं यह जरूर कहता की रात होने के पहले वहां तक पहुंच जाना और बीच में समय बर्बाद मत करना जल्दी जल्दी चलना

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लगभग यहां तक आधा रास्ता पार कर लिया था और यहां तक बहुत तेजी में आए थे बस यही ताकि शाम होने से पहले आधा रास्ता पार करना ही है जहां पर फिसलन भरी बस नहीं होती थी वहां पर तो दौड़ कर रास्ता पार कर लेते थे और नहाने के बाद जैसे थकान गायब ही हो गई थी पैरों में दर्द भी नहीं हो रहा था तो बस लग रहा था दौड़े दौड़े चले जाऊं कहीं भी ना देखूं बस बीच में रुक कर चाय नाश्ता किया थोड़ा सा एक दो फुक चिलम के मारे और फिर जैसे मेरी बैटरी चार्ज हो गई और बस फिर तो तेजी में आगे बढ़ते रहें और सफर निकलता रहा लगभग 6:00 बजे के बाद अंधेरा होना शुरू हो गया था पर अब बर्फ वाली जगह हम लोग पीछे छोड़ चुके थे इतनी तेजी से आगे बढ़े हुए थे आप कहीं जाकर मेरी जान में जान आई सोचा तो कोई दिक्कत नहीं है
अब रास्ते भी आसान है  चलते चलते रात तो काफी हो गई थी लगभग लगभग 9:30 पर हम लोग अपने cafe  पहुंच गए थे यह सफर बहुत रोमांचकारी रहा , सोचा कि कभी ऐसी ट्रैक नहीं करूंगा,
बस यह थी मेरी कहानी मैंने हर  जगह की तस्वीरें भी डाल दी हैं जब आप कहानी पढ़ रहे होंगे तो तस्वीरों को देखकर कहानी का अर्थ और ज्यादा समझ में आएगा ......

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