हिमाचल प्रदेश रोमांच से भरपूर है ,हिमाचल में ऐसी ही एक जगह है खीरगंगा। इसके बारे में माना जाता है कि यह वह जगह है जहां भगवान शिव ने 3000 सालों तक ध्यान और चिंतन किया था।
और ऐसा मानना है कि यहां शिवजी के बड़े बेटे कार्तिक जी ने तप किया था ।
हम अपने दो दोस्तों के साथ खीरगंगा की ट्रिप की योजना बना लिया। और निकल पड़े देल्ही से कसोल ( हिमाचल प्रदेश) के लिए और वहाँ से बारसैनी के लिए। क्युकी देल्ही से सीधी कोई बस नहीं है। फिर हम अपने दोस्तों के साथ बारसैनी से खीरगंगा ट्रैकिंग के लिए निकलने से पहले हमने दोपहर का खाना खाया और उसी समय खीरगंगा ट्रैकिंग पे जाने के लिए और जानकारी प्राप्त कि। यह ट्रैक समुद्रतल से 13,051 फीट ऊंचाई पर है। खीरगंगा ट्रैकिंग के लिए दो रास्ते हैं एक गाँव कि ओर से जाता है और दूसरा जंगल से होकर। जंगल का रास्ते से हम चले क्युकी जंगल के रास्ते में फुल रोमांच था और इसिलिए हमने ये रास्ते का चुनाव किया। रास्ते में कई सारे झरने देखने को मिला जो बहुत ही रोमांचक था और घने जंगलों में पत्थरो के बीच से पानी भी रिस रहा था और हम अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए और सूर्यास्त होने से पहले हम अपने कैंप पहूंच गए। रात का जो नजारा था चारों ओर से पहाड़ो कि चोटियाँ बर्फ से ढकी हुईं आसमान में तारे टिमटिमाते हुए और ठंडी-ठंडी हवाऐ और हम आग जला कर गाने चला कर नाच गा कर मस्ती कर रहे थे और फिर सब अपने कैंप में सोने चले गए।
अगली सुबह हमने पारवती कुण्ड में जहाँ हमेशा गर्म पानी ही आता रहता है और यहाँ इस कुंड में दुध की मलाई जैसे कण देखने को भी मिलती हैं। जो खीरगंगा नदी से आती है और ऐसा भी कहा जाता है कि, इन कुंडो का पानी बेहद औषधीय होता है। पौराणिक कथा के मुताबिक, खीरगंगा के बारे में कहा जाता है कि कभी यहां भगवान शिव की कृपा से खीर निकलती थी। लेकिन जब परशुराम जी ने देखा कि लोग इस खीर को खाने के लालच में बावले हुये जा रहे हैं तो उन्होंने श्राप दे दिया कि अब यहां से कोई खीर नहीं निकलेगी। और बस, तभी से खीर निकलनी बंद। हालांकि आज भी दूध की मलाई जैसी चीज गरम खौलते पानी के साथ निरंतर निकलती रहती है। फिर हमने बहुत देर तक नहाते हुए डुबकी भी लगाते रहे और हमारी सारी थकान दूर हो गयी और बाहर निकलते ही थंड लगने लगी। कुछ देर बाद हमने नाश्ता किया और वहाँ से चल दिए।
कब जाये
खीर गंगा जाने के लिए सबसे अच्छा समय मध्य अप्रैल से सितंबर के अंत के बीच है।
खीरगंगा ट्रैकिंग एडवेंचर्स लवर्स को हिमाचल प्रदेश के खीरगंगा जरूर जाना चाहिए।
कैसे जाऐ
दिल्ली से 575 किलोमीटर दूरी पर है खीरगंगा।
खीरगंगा ट्रैक हिमाचल के कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर पश्चिम में स्थित है दिल्ली से खीर गंगा के बीच की दूरी करीब 575 किलोमीटर है । दिल्ली से कसोल के लिए बस मिलती है और वहाँ से बर्शेणी तक जाने के लिए प्राइवेट बस और जीप आसानी से मिल जाती है। खीरगंगा का निकटतम शहर बर्शेणी है खीर गंगा पहुंचने के लिए भुंतर, कसोल, मणिकरण और बर्शेणी तक सड़क मार्ग को वाहन से तय कर सकते हैं और आगे का 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना होता गए।
नोट: आप जब भी जाऐ तो 3 बजे से पहले जाऐ उसके बाद जाना बंद कर दिया जाता है।
Link 🎥Video YouTube https://youtu.be/b2TBtItz7x8