कलयुग उद्धारक *खाटू श्याम मंदिर* की यात्रा ___
वैसे तो भारत में अनेक देवी देवता पूजे जाते हैं लेकिन एक ऐसे देवता हैं जिनके केवल सर की पूजा करने पर ही मानव मात्र का उद्धार हो जाता है | आईए जानते हैं ! कलयुगी अवतार खाटू श्याम जी मंदिर के बारे में , जिन्हें श्याम बाबा के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता के रूप में जाने जाते हैं, जो भारत के राजस्थान के सीकर में स्थित है | खाटू श्याम मंदिर को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जहां हर साल बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। इस तीर्थ स्थल में कृष्ण और बर्बरीक पूज्य देवता हैं | मूर्ति दुर्लभ पत्थर से बनी है।
भक्तों का मानना है कि मंदिर में बर्बरीक या खाटूश्याम का सिर है, जो एक महान योद्धा थे, जिसने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान कृष्ण के अनुरोध पर अपना सिर बलिदान कर दिया था।
खाटू श्याम मंदिर बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं -:
खाटू श्याम जी को महाभारत के समय के पाँच पांडवों में से एक भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र बार्बरिक थे | हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बार्बरिक एक साहसी योद्धा था | वह योद्धा देवी की कृपा से त्रिकोणी तीर और असामान्य धनुष: जैसी शक्ति अपने पास रखता था | उसके पास ऐसा अद्भुत धनुष था जिसका प्रत्येक तीर का अलग-अलग उद्देश्य था | पहला तीर लक्ष्य समूह को निर्दिष्ट करता था। दूसरा तीर बताता था किसे मारना है तथा तीसरा तीर वास्तविक हत्या करता था। इस अद्भुत धनुष के साथ किसी भी युद्ध को त्वरित जीता जा सकता था। महाभारत युद्ध की घोषणा होने पर, बार्बरिक एक योद्धा के रूप में भाग लेना चाहते थे।
बार्बरिका के त्रिकोणी तीर को देखकर, कृष्ण ने यह देखा कि अगर बार्बरिक ने युद्ध किया तो वह युद्ध जीतकर अकेला बच जाएगा |
राजस्थान सीकर मेला :
हर साल फाल्गुन महीने की एकादशी को बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. ऐसे में यहां हर साल फाल्गुन महीने में ही लक्खी मेले का भी आयोजन किया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भक्त फाल्गुन महीने में बाबा खाटू श्याम के मंदिर में माथा टेकने आता है तो बाबा के दर्शन मात्र से उस भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है | खास बात यह है कि इस दिन बाबा खाटू श्याम जी की नगरी में हर भक्त बाबा श्याम के रंग में रंगा हुआ रहता है | पूरे देश में इस दिन को सभी भक्त बड़े धूमधाम से मानते हैं |
क्यों लगता है बाबा खाटू श्याम का मेला ?
मान्यता है कि जब बर्बरीक से भगवान श्री कृष्ण ने शीश मांगा तो, बर्बरीक ने रातभर भजन किया | साथ ही फाल्गुन शुक्ल द्वादशी के दिन स्नान करके पूजा की | भजन, स्नान, पूजा करने के बाद बर्बरीक ने प्रभु श्रीकृष्ण जी को अपना शीश काटकर दे दिया | इसलिए इस दिन की याद में इस दिन लक्खी मेला लगता है |
‘शीश के दानी’ बर्बरीक के इस चमत्कार से, हैरान रह गए थे और श्री कृष्ण भगवान ने अपने नाम श्याम के साथ कलयुग के भक्तों का उद्धार करने का आदेश दिया |
खाटू श्याम जी का 10 दिनों तक चलने वाला यह मेला भक्तों की सहूलियत और श्याम के सुगम दर्शनों को लेकर मंदिर कमेटी और प्रशासन लगातार व्यवस्थाएं करते रहते हैं | श्री श्याम मंदिर कमेटी 2024 में होने वाले मेले की तिथि जारी करते हुए कहा है कि इस साल बाबा श्याम का लक्खी मेला 12 मार्च (तृतीया) से शुरू होकर 21 मार्च (द्वादशी) तक आयोजित होगा | बाबा श्याम को सुजानगढ़ का निशान चढ़ाने के बाद मेले का समापन माना जाएगा |