केवल दीपों से नहीं, भारत में कुछ इस तरह मनाया जाता है दीपावली का त्योहार।

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Photo of केवल दीपों से नहीं, भारत में कुछ इस तरह मनाया जाता है दीपावली का त्योहार। by Ankit Kumar

भारत में वैसे तो सभी क्षेत्रीय त्योहारों को बहुत ही बढ़िया और रूचिकर ढ़ंग से मनाया जाता है पर दीपावली एक ऐसा त्योहार है जिसको पूरा भारत बहुत ही धूमधाम से मनाता है। इस दिन हर घर में दीपक जलाए जाते हैं और लोग एक-दूसरे को गिफ़्ट देते हैं, मिठाईयाॅं खिलाते हैं, साथ ही श्री गणेश और माॅं लक्ष्मी के पूजन से सकारात्मक वातावरण बना रहता है। दीपावली की शुरुआत मानी जाती है जब अयोध्या के राजा भगवान राम अपनी पत्नी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षीय वनवास काट अयोध्या नगरी लौटें तो अयोध्या के नागरिकों ने उनके स्वागत में सारे नगर को दीपकों की झिलमिल से रोशन कर दिया। तब से ही इस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है।

भारत में अलग-अलग संस्कृति होने के कारण दीपावली के पर्व को भारत के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।

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1. पश्चिम भारत में

महाराष्ट्र में कैसे मनाते हैं?

महाराष्ट्र बिल्कुल ही अलग तरह से इस त्योहार को मनाता है। यहाँ पर लोग दीवाली को 1 दिन नहीं पूरे 4 दिन तक मनाते हैं। पहला दिन ‘वसुर बरस’ होता है, जिसमें लोग आरती गाते हुए गाय और बछड़े का पूजन करते हैं। दूसरा दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें सब कोई न कोई लोहे की चीज़ को खरीदते हैं। तीसरे दिन पर नरक चतुर्दशी में सूर्योदय से पहले उबटन करके स्नान की परम्परा को निभाते हैं। फ़िर आख़री दिन में दीपावली मनाया जाता है जिसमें माॅं लक्ष्मी की पूजा की जाती है। और लोग भिन्न प्रकार की मिठाईयाॅं और पकवान बनाते-खाते हैं।

 गोआ में कैसे मनाते हैं?

गोआ में जैसे दीपावली का पर्व मनाया जाता है वैसा तो पूरे भारत में कहीं भी नहीं मनाते। गोआ में दीपावली नरक चतुर्दशी के दिन मनाते हैं। इस दिन नरकासुर का पुतला बनाकर पुतले को गलियों में घुमाया जाता है, फ़िर उस नरकासुर का दहन किया जाता है। लोगों का मानना है कि गोआ पर कभी नरकासुर ने राज किया था। उसके शासन में जनता बहुत परेशान रही थी फिर कुछ सालों बाद जब उसका वध हुआ तब से ही यहाँ के लोग दीपावली मनाते हैं।

गुजरात में कैसे मनाते हैं?

गुजरात में लोग लक्ष्मी माता को बहुत मानते हैं जिसके चलते दीपावली के दिन सभी अपने घर के बाहर लक्ष्मी जी के चरण लाल रंग से बनाते हैं, जिसको बहुत शुभ माना जाता है। दीपावली के दिन को लोग नए साल के रूप में मनाते हैं और माना जाता है कि इस दिन नया काम शुरू करना बहुत शुभ होता है। भारत के दूसरे राज्यों में दिवाली की रात दीये में से काजल लगाया जाता है परन्तु गुजरात में लोग अगली सुबह दीये से बना हुआ काजल लगाते हैं। गुजरात में यह एक शुभ प्रथा के रूप में माना जाता है।

2. पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में

पश्चिम बंगाल में कैसे मनाते हैं?

पश्चिम बंगाल में लोग दीपावली के पर्व पर माॅं काली की पूजा करते हैं। यहाँ पर हर घर में काली की पूजा होती है। काफ़ी लोगों द्वारा पंडाल भी लगाए जाते हैं। काली की पूजा बंगाल में बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन रात में हर घर में 14 दीपक जलाए जाते हैं। ऐसा मानना है कि 14 दीपक जलाने से बुरी शक्तियाँ भाग जाती हैं।

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बिहार और झारखंड में कैसे मनाते हैं?

बिहार और झारखंड में दिवाली को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यहाँ पर पूजा, गीत और नृत्य सब किया जाता है। यहाँ पर भी बंगाल की तरह माॅं काली की पूजा की जाती है। 

ओडिशा में कैसे मनाते हैं?

ओडिशा में दीपावली को पूरे पाॅंच दिन तक मनाया जाता है। यहाँ पहले दिन धनतेरस तो दूसरे दिन काली पूजा और महानिशा, तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा तो चौथे दिन अन्नकूट पूजा और गोवर्धन और आख़िरी दिन भाईदूज मनाया जाता है। 

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पूर्वोत्तर राज्यों में कैसे मनाते हैं?

मेघालय, असम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल, त्रिपुरा, सिक्किम और मिज़ोरम उत्तर-पूर्वी राज्यों में काली पूजा से दीपावली की शुरआत होती है। दीपावली की मध्य रात्रि को तंत्र साधना के लिए सबसे ख़ास माना जाता है। साथ ही लोग इस दिन बाकी राज्यों की तरह दीप जलाना, व्यंजन बनाना और पटाखे छोड़ने जैसे रस्म भी करते हैं।

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3. उत्तर भारत में

उत्तर भारत में दीपावली के उत्सव की शुरुआत दशहरे के दिन से ही हो जाती है जिसमें रामायण की कहानी को नाटकीय रूप से प्रदर्शित किया जाता है। यह नाटक 9 से 10 रातों तक चलता है, परन्तु रामायण के आख़िरी दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ होता है। लक्ष्मी पूजन के दिन हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड और अन्य आसपास के इलाकों में लोग घरों में दीप जलाते हैं और द्वार को रंगोली से सजाते है तथा रात में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

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4. दक्षिण भारत में

तमिलनाडु में कैसे मनाते है?

यहाँ पर दीपावली से 1 दिन पहले  नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है। यहाँ पर दीपावली मात्र 2 दिन का उत्सव होता है। दीपावली के दिन दीपक जलाने, रंगोली बनाने और नरक चतुर्दशी पर पारम्परिक स्नान करने का महत्व है। यहाँ दिवाली से जुड़ी सबसे अलग परम्परा है जिसे 'थलाई दिवाली' कहा जाता है। इसमें नवविवाहित जोड़े को दिवाली मनाने के लिए लड़की के घर भेजा जाता है, जहाँ नवविवाहित जोड़ा घर के बड़े लोगों का आशीर्वाद लेता है, जिसके बाद वो जोड़ा दीपावली का एक पटाखा जलाते हैं और दर्शन के लिए मन्दिर जाते हैं।

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आंध्रप्रदेश में कैसे मनाते हैं?

यहाँ दीपावली में हरिकथा का संगीतमय बखान हर क्षेत्र में किया जाता है। यहाँ के लोग मानते हैं श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने राक्षस नरकासुर को मार डाला था इसलिए सत्यभामा की मिट्टी की मूर्तियों की प्रार्थना के साथ दीपावली की शुरुआत होती है।

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