"घुमक्कड़ी किसी ऐसे प्रेमी से मन भर मिल आना है जो आपका कभी हो नहीं सकता।" उमेश पंत साहब की ये पंक्ति जब भी पढ़ता हूँ, तो नए सफ़र पर निकलने की ख़्वाहिश ज़िद पकड़ लेती है।
ढेर सारे घुमावदार रास्ते, धुएँ वाले बादलों के मयख़ाने में बसे हरे भरे पहाड़, बाग़ानों के बीच में लहलहाता हुआ नेल्लियाम्पथी पहले पहले प्यार सा एहसास देता है। यह जगह नेल्लियाम्पथी वन संंरक्षण क्षेत्र के ठीक बीच में है।
सह्याद्रि पहाड़ियों के बीच में बसा हुआ यह पहाड़ी इलाक़ा कई सारे चाय, कॉफ़ी और संतरे के बाग़ानों से गुलज़ार है। 19वीं सदी में बना हुआ एक डैम, जो आसपास कई सारे झरनों को जन्म देता है, यहाँ का मुख्य आकर्षण केन्द्र भी है।
तीन तीन बाग़ानों के बीच से होकर गुज़रती है भरतपुझा नदी, जिस पर बना है पोथुंडी डैम। ये एशिया का दूसरा सबसे बड़ा डैम है। पलक्कड़ ज़िले में बना ये डैम 19वीं सदी में कृषि को ध्यान में रखकर बनाया गया था, अब पर्यटन का कोना है। इसकी ऊँचाई के एक साइड आपको नेल्लियापैथी घाटी और दूसरी ओर पैडी के बाग़ान सजे मिलते हैं। आस-पास रहने वालों के लिए यह पिकनिक स्पॉट बन गया है।
जाने का समय- सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक।
नेल्लियाम्पथी, इतना दूर क्यों जाना?
जलस्तर से 4,600 फ़ीट की ऊँचाई पर बसा हुआ नेल्लियाम्पथी, बादलों संग लुका छिपी करती चट्टानी पहाड़ियाँ, सागौन की लकड़ी के बरामदे और सुकून भरी पहाड़ी ठंडक इन घुमावदार पहाड़ियों में आपको स्वतः ही खींच लेती है।
अगर कोई ये सोचता है कि बस पहाड़ियों पर जाना है, मैगी खानी है, फोटो खींचनी है, तो बहुत ग़लत सोचता है। मौज मस्ती करने वालों का अड्डा है नेल्लियाम्पथी।
नेल्लियाम्पथी में ट्रेकिंग का मज़ा
नेल्लियाम्पथी की पहाड़ियों में कई सारी चोटियाँ हैं चढ़ने के लिए। सीथरकुंडु, पालकपंडी, केसवन पारा और कारा पारा; ये चार प्रसिद्ध नाम तो अभी याद कर लो। ये चारों ही पहाड़ियाँ एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, जिनको मिलाते हैं छोटे छोटे हरे जंगल। कहीं ग़ुम ना हो जाओ, इसलिए ट्रेकिंग गाइड को ज़रूर साथ रखना।
सीथरकुंडु
नेल्लियापैथी से 8 कि.मी. दूर है सीथरकुंडु, जिसका धार्मिक महत्त्व यहाँ आकर ही पता लगता है। मान्यता है कि माँ सीता श्रीलंका से आते वक़्त यहीं ठहरी थीं। वो पेड़ आज भी यहाँ है, जिसके नीचे माँ सीता ने विश्राम किया था। गायत्रीपुझा नदी यहाँ से निकलते हुए कई सारे झरनों को जन्म देती है।
केसवन पारा
11 कि.मी. लम्बी चढ़ाई पार करने के बाद कहीं आता है केसवन पारा। गहरी थकान यहाँ की गर्म चाय की चुस्कियों से मिट जाएगी, सामने हो नेल्लियापैथी का नज़ारा तो कोई कौन ही बादलों से घिरे इस हिल स्टेशन पर आने का मौक़ा छोड़ेगा।
मामपारा
नेल्लियापैथी के मामपारा की राजा चट्टान अपने यहाँ के सबसे सुन्दर नज़ारों के लिए मशहूर है। 5249 फ़ीट की इस ऊँचाई पर आप जीप से पहुँच सकते हैं ।
यहाँ की असीम ऊँचाई से दिखता है पोथुंडी जलाशय और उसके अगल बगल साँप सी लहराती नदियाँ। पलक्कड़ पहाड़ियों की रेंज पर चालियार नदी, मीनकारा बांध, मालमपुझा बांध और वालयार बांध यहाँ देखने मिलते हैं।
कब जाएँ
जब टिकट बुक कर लो! केरल में और पहाड़ी पर होने के कारण यह हर महीने पर्यटकों से भरा रहता है। गर्मी के मौसम में पहाड़ी पर ठंडक बरक़रार रहती है। वहीं मॉनसून में तगड़ी बारिश से पूरी पहाड़ी हरी भरी हो जाती है।
कैसे पहुँचें नेल्लियापैथी
हवाई मार्ग- कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे नज़दीकी है। नई दिल्ली से कोच्चि की फ़्लाइट लगभग ₹5,000 की पडे़गी। वहाX से नेल्लियापैथी की टैक्सी ले सकते हैं जिसका किराया लगभग ₹4,000 तक होगा।
रेल मार्ग- पलक्कड़ रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी स्टेशन है। बस आपको यहाँ से ₹500 तक में पहुँचा देगी।
सड़क मार्ग- बंगलौर, कोयम्बटूर या फिर चेन्नई से नेल्लियापैथी पहुँचने के लिए सबसे कामगार है राष्ट्रीय राजमार्ग 47। यहाँ से आसानी से आपको बस मिल जाएँगी। चेन्नई से नेल्लियापैथी की बस आपको 10 घंटे में पहुँचा देगी और किराया क़रीब ₹800 तक होगा।
ठहरने के लिए
बेल माउंट रिसॉर्टः ₹3,000 में दो लोगों के लिए एक कमरा, सुबह के नाश्ते के साथ।
अगर किसी दूसरे हिल स्टेशन के बारे में जानते हैं आप जो इतनी ही ख़ूबसूरती से लबरेज़ है, तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
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