केरल की खूबसूरती में मनाओ ओणम का त्योहार! अपनी यात्रा पर इन जगहों पर जाना ना भूलें!

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Photo of केरल की खूबसूरती में मनाओ ओणम का त्योहार! अपनी यात्रा पर इन जगहों पर जाना ना भूलें! by Rishabh Dev

सितंबहर का महीना अपने साथ त्योहारों की बरसात लेकर आया है। कहीं गणेश चतुर्थी के साथ बप्पा की धूम है तो वहीं दक्षिण भारत में पूरे जोश से ओणम मनाया जा रहा है। और त्योहार मतलब किसी भी जगह को एक अलग ही खूबसूरती में सराबोर होते हुए देखने का और उसके असली रंग में रम जाने का। अगर आप भी केरल के इस खूबसूरत और प्यारे फेस्टिवल का हिस्सा बनना चाहते हैं। तो केरल की कुछ जगह हैं जहाँ इस फेस्टिवल को देखने का अलग ही मजा है। लेकिन उससे पहले ओणम क्या है ये समझ लेते हैं। 

ओणम का त्योहार

ओणम केरल का सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा फेस्टिवल है। मूर्ख ही होगा जो इस समय केरल ना आने की बात करेगा। इस समय केरल अपने रंगों में घुल जाता है। केरल का हर गली, मोहल्ला, घर और दुकानें रंगोली से सजी हुई रहती हैं। इसमें सबसे खूबसूरत होता है, वो समय जब सभी लोग पारंपरिक वेश-भूषा में दिखाई देते हैं। ओणम, मलयाली कैलेंडर के नए साल के मौके पर मनाया जाता है। ओणम में इतना कुछ होता है कि 14 दिनों तक कुछ न कुछ होता ही रहता है।

क्यों मनाते हैं ओणम?

ओणम, राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है। ये माना जाता है कि राजा बलि विष्णु भक्त प्रह्नाद के पोते थे। असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों को अपना बना लिया था। राजा बलि के इस बल को देखकर इंद्र देव घबराकर भगवान विष्णु के पास मदद माँगने पहुँचे। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धरा और राजा बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे। वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि माँगी। पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया। अब तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह नहीं बची थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें।

श्रेयः विकीमीडिया काॅमंस

Photo of केरल, India by Rishabh Dev

भगवान वामन ने ऐसा ही किया और राजा बलि के आधिपत्य में जो कुछ भी था वह देवताओं को वापस मिल गया। राजा बलि की भक्ति से खुश होकर भगवान वामन ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह साल में एक बार अपनी प्रजा और राज्य से मिलने जा सकता है। राजा बलि के इसी आगमन को ओणम त्योहार के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि राजा बलि हर साल ओणम के दौरान अपनी प्रजा से मिलने आते हैं और लोग उनके आगमन पर उनका स्वागत करते हैं। अब चलते हैं केरल की उन बेहतरीन जगहों पर जो ओणम के लिए फेमस है।

अथम- ओणम की शुरूआत

श्रेयः स्वाॅन टूर

Photo of कोच्चि, Kerala, India by Rishabh Dev

ओणम की शुरूआत अथम से होती है, जो एक प्रकार से इस त्योहार को हरी झंडी देने का एक तरीका है। इस दिन केरल की गलियाँ लोगों से गुलज़ार रहती हैं। सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है। जिसमें सजे हुए हाथी, कई प्रकार की रंग-बिरंगी झाकियाँ और कई प्रकार की पारंपरिक कला को देखा जा सकता है। ये बेहतरीन जुलूस कोच्चि के पास स्थित त्रिपुनिथुरा में होता है। ये रंग-बिरंगा जुलूस गलियों से निकलकर थ्रिक्करा मंदिर तक जाता है। यहीं से केरल के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े फेस्टिवल की शुरूआत होती है। कहा जाता है इसी जगह पर इस फेस्टिवल की शुरूआत हुई थी। इस तकनीक और आधुनिक के दौर में भी ये दिन उस पुराने त्योहार को वैसे ही मनाता है, जैसे सालों से मनाता आ रहा है। पूरा शहर फूलों से गुलजार हो जाता है। हर गली, मुहल्ला फूलों की रंगोली में एक से बढ़कर एक दिखते हैं। इसको और खास बना देती है एक-दूसरे से जीतने की होड़।

थ्रिक्कारा मंदिर

थ्रिक्कारा टेंपल खास तौर पर ओणम से जुड़ा है। एक ध्वजारोहण के समारोह के साथ ये फेस्टिवल शुरू हो जाता है। जिसमें 10 दिन तक सांस्कृतिक, म्यूजिक और नृत्य जैसे कई कार्यक्रम होते हैं। ओणम से एक दिन पहले एक भव्य शोभायात्रा भव्य जुलूस निकाला जाता है। भगवान वामन को एक हाथी पर मंदिर के मैदान के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। जिसके पीछे-पीछे सभी लोग चलते हैं।

राजधानी में ओणम

श्रेयः चाइना

Photo of त्रिवेंद्रम, Neyyar Dam Road, Kerala, India by Rishabh Dev

कहा जाता है कि असली त्योहारों के रंग देखने हैं तो गाँवों का रूख करो। लेकिन कभी-कभी शहरों में भी वो खूबसूरती देखने को मिल जाती है। ओणम का रंग केरल के गाँवों में तो देखने को मिल ही जाएगा। लेकिन राजधानी त्रिवेन्द्रम में भी एक सप्ताह तक ओणम बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इन सबको आयोजित करता है केरल टूरिज्म। केरल टूरिज्म राजधानी त्रिवेन्द्रम में कई जगहों पर स्टेज शो, फोक आर्ट, फूड स्टाॅल और क्राफ्टिंग जैसे बेहतरीन चीजें कराता है जो सात दिन यूँ ही चलता रहता है। आखिरी दिन एक भव्य जुलूस निकाला जाता है जिसमें केरल की परंपरा, संस्कृति को दिखाया जाता है। इस बार की परेड का थीम है, बाढ़ के बाद केरल का पुनरुद्धार।

स्नेक बोट रेस

श्रेयः इंस्टाग्राम

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अगर आप ओणम फेस्टिवल के समय केरल में हैं, तो आप हज़ारों लोगों के बीच अरनमुला स्नेक बोट रेस को मिस नहीं कर सकते। अगर आप इस रेस को नहीं देखेंगे तो ओणम की खूबसूरती का एक पक्ष नहीं देख पाएँगे। सांप के आकार की नाव केरल की एक सांस्कृतिक पहचान है। उनका लंबा, पतला आकार और साथ में ढोल-नगाड़े वालों की टीम। जिनके गाने में ही इतना ऊर्जा होती है कि आप भी थिरकने लगेंगे। अरनमुला स्नेक बोट रेस यहाँ की सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं में से एक है। ये फेमस रेस दोपहर में प्रसिद्ध अरनमुला पार्थसारथी मंदिर के पास बैंकों से शुरू होकर पम्बा नदी में खत्म होती है। इसमें सिर्फ नाव चलाने वाला हिस्सा नहीं लेता, बल्कि देखना वाला भी उसका हिस्सा बन जाता है। जो इसको देखता है वो इसको अनुभव करता है।

पुली काली का रोमांच

श्रेयः ईस्ट कोस्ट डेली इंग्लिश।

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अब तक आप ओणम के अलग-अलग जगहों की खूबसूरती और संस्कृति को देख चुके हो। जिसमें भव्य जुलूस है, फूलों की रंगोली है और स्नेक बोट रेस भी है। इन सबसे इतर एक और जुलूस है जिसे पुली काली कहते हैं। इसमें शिकारी और बाघ का खेल नृत्य के माध्यम से दिखाते हैं। जिसमें सैकड़ों लोग बाघ की पोशाक और मास्क लगाए रहते हैं। इन्हीं में से कुछ लोग शिकारी बने रहते हैं। वे बाघ और शिकारी की नकल करते हुए आगे बढ़ते हैं। ये दृश्य खूबसूरत भी होता है और रोमांचित भी करता है। पुली काली हर किसी को आकर्षित करता है। इसको देखने के लिए आप त्रिशूर को चुनना चाहिए।

कुछ अन्य जगहें

श्रेयः वे टू इंडिया।

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इन जगहों के अलावा केरल में और जगहें भी हैं जहाँ ओणम को देखने जाना चाहिए। इसमें से एक खूबसूरत जगह तो अलेप्पी है, जहाँ आप गाँवों में जाकर स्थानीय लोगों के साथ खास प्रकार से इस त्यौहार का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके अलावा पलक्कड़ और कन्नुर हैं जो धर्म और आस्था के लिए जानी जाती हैं। इन जगहों पर आप अथम के दौरान रूक सकते हैं और केरल की खूबसूरती को देख सकते हैं। केरल की असली खूबसूरती जब पूरी तरह से दिखती है, तो वो समय ओणम है। इस बार ओणम 01 सितंबर 2019 से 13 सितंबर 2019 के बीच में है। अगर आप केरल जा रहे हैं तो सिर्फ प्रकृति को ही नहीं ओणम के जरिए यहाँ की संस्कृति को भी समझने की भी कोशिश कीजिए।

क्या कोई और भी जगह  है जहाँ  आप ओणम के रंगों में रम सकते हैं? हमें कॉमेंट्स में बताएँ।

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