जब से मोदी जी केदारनाथ आये और उन्होंने केदारनाथ की गुफाओ में अपना समय बिताया तब से केदारनाथ जाने वालों की बाढ़ सी आ गयी है। ये तो सबको पता है की केदारनाथ प्रधानमंत्री का बहुत पहले से ही ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। पता नहीं अचानक से ही ये ड्रीम पुरे भारत के जवान लड़के लड़कियों का कैसे बन गया पता ही नहीं चला।
किसी को रील बनानी है,किसी को टिकटोक वीडियो किसी को dp चाहिए तो सिर्फ केदारनाथ मंदिर के साथ,आस्था और फैशन दोनों का कॉम्बिनेशन इतना घातक हो जायेगा की केदारनाथ में कभी रहने के लिए जगह ही नहीं मिलेगी ये तो सोचा ही नहीं था।
इसका पूरा श्रेय आप और मेरे जैसे फेसबुक और सोशल मीडिया चलाने वाले लोगों को भी जाता है,जिनकी प्यारी प्यारी DP देख कर हिमालय वाली और केदारनाथ वाली लोग खींचे चले आते हैं पहाड़ो की ओर। 16 km का ट्रेक भी करने को तैयार हो जाते हैं सिर्फ एक DP और रील के लिए।
शिव सिर्फ केदारनाथ में ही थोड़ी विराजमान हैं, शिव के तो 5 केदार हैं, पहला केदारनाथ, दूसरा मदमहेश्वर, तीसरा तुंगनाथ, चौथा है रुद्रनाथ और पाँचवा है कल्पेश्वर।
आज कल केदारनाथ में इतनी भीड़ है की अगर आपकी पहले से केदारनाथ में बुकिंग नहीं है, तो आपको रहने के लिए कुछ नहीं मिलेगा, कुछ भी नहीं पूरी रात आपको बाहर भी ठण्ड जहाँ का रात का तापमान माइनस में रहता है गुजारनी पड़ सकती है।
मैं कपाट खुलने के एक दिन पहले यानि 5 मई को ही केदारनाथ पहुँच गया था।पहुँच तो मैं 4 मई को ही जाता लेकिन उस दिन किसी को भी गौरीकुण्ड से ऊपर जाने ही नहीं दिया। गौरीकुण्ड में उस दिन अपनी क्षमता से ज्यादा यात्री थे। हमको रहने के लिए जगह ही नहीं मिल पा रही थी 2 घंटे से ज्यादा भटकने पर एक छोटा सा रूम मिला 3000 में जिसमें जैसे तैसे हम 5 लोगों ने रात बितायी।
आज कल केदारनाथ में इतनी भीड़ है की अगर आपकी पहले से केदारनाथ में बुकिंग नहीं है, तो आपको रहने के लिए कुछ नहीं मिलेगा, कुछ भी नहीं पूरी रात आपको बाहर भी ठण्ड जहाँ का रात का तापमान माइनस में रहता है गुजारनी पड़ सकती है। मैं कपाट खुलने के एक दिन पहले यानि 5 मई को ही केदारनाथ पहुँच गया था।पहुँच तो मैं 4 मई को ही जाता लेकिन उस दिन किसी को भी गौरीकुण्ड से ऊपर जाने ही नहीं दिया। गौरीकुण्ड में उस दिन अपनी क्षमता से ज्यादा यात्री थे। हमको रहने के लिए जगह ही नहीं मिल पा रही थी 2 घंटे से ज्यादा भटकने पर एक छोटा सा रूम मिला 3000 में जिसमें जैसे तैसे हम 5 लोगों ने रात बितायी।
सरकार का इंतजाम बिल्कुल बकवास।जब लोगों को गौरीकुण्ड से आगे ही नहीं जाने दे रहे तो यात्रियों को सोनप्रयाग में ही क्यों नहीं रोका गया। उनको गौरीकुण्ड ही क्यों जाने दिया। हजारों से ज्यादा लोग उस दिन गौरीकुण्ड से वापस सोनप्रयाग गये रूम नहीं मिल पाने की वजह से।
5 तारीख को भी हजारों लोग रात रात भर केदारनाथ में रूम के लिए भटकते रहे, बहुत से लोगों ने स्लीपिंग बैग किराये में ले कर बाहर खुले में रात बितायी बहुत से लोगों के पास तो स्लीपिंग बैग भी नहीं था। रात रात भर हमारे टेंट के बाहर लोग आ आ कर पूछ रहे थे कहीं रूम मिलेगा क्या? रात 12 बजे से ही लोगों ने मंदिर के बाहर लाइन लगाना शुरू कर दिया था। जो जवान लोग होते हैं वो लोग तो जल्दी जल्दी ट्रेक पूरा कर लेते हैं और जल्दी आने की वजह से उनको रूम भी मिल जाता है।
जिनके पास पैसे हैं,वो हेलीकाप्टर से,घोड़े से, पालकी आदि से जल्दी आ जाते हैं।मरता कौन है गरीब और बूढ़े लोग।जबकि केदार के दर्शन के असली हक़दार कौन है बूढ़े लोग जिनके पास समय कम है।
जिस दिन मैं दर्शन के लिए लाइन में लगा था उस दिन मंदिर के सामने एक नहीं बल्कि 10 - 10 लाइन लगी हुई थी जिस दिन कपाट खुले थे। उन लाइन में से पता ही नहीं चल रहा था सही लाइन कौन सी है।पहले जब मंदिर की व्यवस्था पुलिस के हाथों में रहती थी तो वो लोग लाइन की ओर ध्यान भी देते थे।लेकिन अब इस बार से देवस्थानम बोर्ड से सारी व्यवस्था पंडो और पुजारियों ने ये कह कर ले ली है की पुलिस वाले पैसा ले कर लोगों को आगे लगा कर दर्शन करा देते हैं। इसलिए इस बार पुलिस भी लाइन कैसी है क्या है कोई ध्यान नहीं दे रही।
उस दिन लाइन इतनी बेकार थी, इतनी धक्का मुक्की हो रही थी, क्या बताया जाय। 2 बार बिल्कुल आगे जा कर धक्का लगने से फिर पीछे हो गया।लोगों को सांस तक नहीं आ रहा था खुद मैं इस बात को महसूस कर रहा था।कितने लोग लाइन से ही हट गये दबने और सांस न आने के डर से।
घोड़े वालों की इतनी भीड़ है कितने लोग घोड़े से गिर कर अभी तक मारे जा चुके हैं। कितने लोगो को हार्ट अटैक आ गया है।अभी तक केदारनाथ में 44 लोग मारे जा चुके हैं. जबकि यात्रा शुरू हुआ 1 महीना तक नहीं हुआ।
जब मैंने यात्रा की अवस्था के बारे में पोस्ट किया तो कुछ लोग जो अपने आपको शिवजी का इकलौता भक्त मानते हैं वो मुझे बोलने लग गये की आप अफवा फैला कर लोगों को डरा रहे हो उन लोगों ने तो मुझे अनफ्रेंड भी कर दिया जो केदारनाथ के नाम पर धंधा कर रहे हैं और केदार पर जिनको अपना एकछत्र राज्य लगता है।
क्या लोगों की जान आपके पागलपन से ज्यादा प्यारी है।कुछ घोड़े वाले तो अपने घोड़ो के स्वास्थ्य को अनदेखा कर उनसे दिन रात काम करा रहे हैं।लालची लोगों का लालच इतना बड़ा हो गया की उनके लिए बेज़ुबान जानवरो के जान की कीमत कुछ भी नहीं। मात्र 16 दिन में ही 60 खच्चर मर चुके थे केदारनाथ में।
जैसे ही बारिश होती है केदारनाथ यात्रा रोक दी जाती है जिससे आप जहाँ हो वहाँ ही अटक जाते हो और फिर जैसे ही यात्रा खुलती है भीड़ इतनी बढ़ जाती है की हर जगह जाम लग जाता है।
आने वाली भीड़ हिमालय में इतनी गन्दगी फैला रही है की पूछो मत. रोज रोज फैलाई गंदगी की फोटो केदारनाथ से आ रही है। सरकार को अब केदारनाथ यात्रा में उम्र निर्धारित कर देनी चाहिए. अगर कोई व्यक्ति एक बार केदारनाथ जी के दर्शन कर लेता है तो अगले 5 साल तक वो दोबारा न जा सके ऐसी कुछ व्यवस्था कर देनी चाहिए।
भोले तो दूसरी जगह भी हैं,अगर आपको ये लगता है केदारनाथ में 16 km पैदल चल कर भोले बाबा आपसे ख़ुश हो जायेंगे तो 16 क्यों 22 km रुद्रनाथ चल कर उनको आप ज्यादा प्रसन्न कर सकते हैं।अगर आपको लगता है वहाँ वो व्यू नहीं मिल पायेगा और वो फील नहीं आ पायेगा तो आप बिल्कुल गलत हैं वहाँ केदारनाथ से ज्यादा अच्छा व्यू भी है और फील भी।
केदारनाथ में भीड़ क्यों बड़ाई जाय जब उस से अच्छा ऑप्शन आपके पास है।कुछ विकास और कुछ कमाई का जरिया रुद्रनाथ की ओर भी आना चाहिए।रुद्रनाथ में आपको सबकुछ मिलेगा वाटरफॉल, बुग्याल, बर्फ और बर्फ से ढके पहाड़।आपको मिलेगा पूर्णतया भारत में स्थित भारत का सबसे ऊँचा पर्वत नंदा देवी का व्यू, त्रिशूल, हाथी घोड़ा पर्वत और कामेत का व्यू।
आपको मिलेगा सरस्वती कुंड।पितृधार में आप केदारनाथ से भी ज्यादा ऊंचाई में रहेंगे। एक कहावत है रुद्रनाथ की चढाई और जर्मन की लड़ाई दोनों बराबर मतलब आपको अपनी शारीरिक और मानसिक शक्तियों को आजमाने का मौका भी मिलेगा।
तो उम्रदराज लोगों को जाने दीजिये केदारनाथ में आप लोग आइये चतुर्थ केदार रुद्रनाथ महादेव में।जय बाबा रुद्रनाथ 🙏🙏