बात 4 अप्रैल 2018 की है, हम तीनों भाई और मेरा दोस्त चारो एक साथ शाम को बैठे हुए थे, ऐसे बात करते करते हमने कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी घूमने जाने का प्लान बनाया। जो की भारत और नेपाल के बॉर्डर के बीच से बहने वाली एक नदी( अभयारण्य के वन क्षेत्र में खारे जंगलों के लंबे घास के मैदान और घाघरा नदी के कौड़ियाला और कौड़ियाला जलप्रपात का विशिष्ट परिसर है। विभिन्न आवासों के मोज़ेक वाले अभयारण्य जैव विविधता में बहुत समृद्ध हैं और स्तनपायी, पौधों और एविफ़ुना की विभिन्न लुप्तप्राय प्रजातियाँ हैं।) के किनारे पर है। सही मायने में देखा जाए तो ये एक टाइगर रिजर्व है , यहां पर कुल 14 बाघ हैं। इसके अलावा हाथी, मगरमच्छ, तेंदुआ, भालू, सियार, भेड़िया, और अन्य जानवर भी हैं। अगले दिन 5 अप्रैल को सुबह 5 बजे ही हम लोग निकल लिए थे क्योंकि हमारा दिन भर का ही प्लान था। कतर्नियाघाट हमारे घर से लगभग 230 किलोमीटर है। हम लगभग 10 बजे के आस पास वहां पर पहुंच गए। वहां जाने के बाद हमें पता चला की प्रकृति की गोद में बसा ये जगह कितना ज्यादा खूबसूरत और शानदार है। वहाँ पहुंचने के बाद हमे बताया गया की पूरा रिजर्व घूमने के लिए हमे वहाँ गाड़ी करना पड़ेगा। लेकिन वहां बात करने से हमें हमारी गाड़ी से घूमने का परमिशन मिल गया लेकिन एक गाइड के साथ। वहाँ पर हम काफी देर तक घूमते रहे धीरे धीरे करके काफी देर चलने के बाद हमें एक बाघ दिखाई दिया। लेकिन दोपहर का समय था। बाघ आराम के मूड में थे इसलिए हम फ़ोटो नही ले पाये।
वहां पर एक जगह एक पेड़ था , जिसके बारे में गाइड ने हमे बताया की इसे गुदगुदी पेड़ कहते हैं , जब हमने कारण पूछा तो उन्होंने बताया की इस पेड़ को सहलाने से इस पेड़ की टहनियां अपने आप हिलने लगती हैं। पहले तो हमें विश्वास ही नही हुआ। लेकिन जब हमने पेड़ को सहलाया तो वाकई में पेड़ की टहनियां जोर जोर से हिल रही थीं।
इस बात पुष्टि के लिए आप यूट्यूब पर जाकर देख सकते हैं।
हम तकरीबन शाम को 5 बजे वहां से वापस घर के लिए निकल लिए और करीब 11 बजे घर पहुँचे।
कतर्नियाघाट अपने आप बहुत ही शानदार जगह , और उन जगहों में से जिसके बारे में ज्यादा लोग नही जानते।
अगर आपको कभी समय मिले तो यहाँ जरूर जाएं।