कहते हैं दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं- एक जिन्हें पहाड़ों से प्यार होता है और दूसरे जो समुद्र की लहरों के बीच सुकून की तलाश करते हैं। लेकिन मैं इन दोनों ही की तरह नहीं हूँ। मैं अपने आपको डेजर्ट लवर मानता हूँ। मेरे हिसाब से डेजर्ट पर्सन होना कोई बुरी बात नहीं है। सालों से चली आ रही परम्पराओं को तोड़ने के लिए थोड़ा बदलाव भी जरूरी होता है।
जब से मैंने खुद से घूमना शुरू किया है, मैंने देखा है कि लोग कैसे रेगिस्तानों को कम आंकते हैं। कॉलेज के दौरान मैंने अपने दोस्तों, फ्लैट मेट्स, साथ में काम करने वाले लोगों और यहाँ तक कि अपने परिवार के साथ भी तमाम जगहों की यात्राओं पर जा चुका हूँ। लेकिन हर बार पहाड़ या बीच में से किसी एक को चुनने की बात आती रही है। मैं वो हूँ जिसको दूर तक फैले रेगिस्तानों को देखकर खुशी मिलती है। इतना सबकुछ कहने के बाद मुझे लगता है अब समय आ गया है कि हम अपनी पुरानी सोच की सीमाओं से निकलकर इन प्राकृतिक चमत्कारों पर भी ध्यान देना शुरू करें।
डेजर्ट ही क्यों?
मुझे डेजर्ट पसंद हैं लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि मुझे पहाड़ों या बीच से कम लगाव है। मैं अब भी मानता हूँ कि समुद्र की लहरों को देखते हुए एक शांत दोपहर गुजारने से बेहतर और कुछ नहीं होता। मेरे हिसाब से पहाड़ों से अधिक रोमांटिक जगह मिल पाना भी बहुत मुश्किल काम है। लेकिन डेजर्ट और मेरे बीच का रिश्ता कुछ ऐसा है कि उसको शब्दों में बांध पाना नामुमकिन सा लगता है।
वो एहसास जो मुझे रेगिस्तान की अनंत दूरी के बीच मिलता है वो शायद मुझे और कहीं नहीं मिलेगा। शहर के कंक्रीट जंगल से दूर, रेत के मैदान में होना कितनी आजादी देता है इसका अंदाजा शायद अभी आपको नहीं है। लेकिन यदि आप भी डेजर्ट को उस नजरिए से देखेंगे जैसे मैं देखता हूँ तो आप भी वही कहेंगे जो मैं कह रहा हूँ। ढलते सूरज की लालिमा, डेजर्ट सफारी, हर वक्त खिसकते रेत के टीले और अनजान लोगों से मिलकर एकदम घर जैसा माहौल बना लेना। कितना कुछ होता है इन रेगिस्तानों में!
डेजर्ट टूरिज्म का महत्व
भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ हर दूसरे दिन आबादी बढ़ रही है, टूरिज्म को ठीक से संभालना बहुत जरूरी हो जाता है। हम कैसे और कब घूमने जा रहे हैं उसका पता होना बेहद आवश्यक है। इस बढ़ते हुए टूरिज्म का असर भारत की कुछ सबसे खूबसूरत जगहों पर साफ-साफ दिखाई भी देने लगा है। कसोल, मैकलोडगंज, शिमला और केरल इनमें से कुछ जगहें हैं। लेकिन भारत के रेगिस्तानों को अबतक वो दर्जा नहीं मिल पाया है जो इनकी खूबसूरती को अच्छे से समझा सके।
डेजर्ट टूरिज्म को बढ़ावा देना ना सिर्फ कसोल-केरल जैसी जगहों को थोड़ा सुकून देगा बल्कि इससे लोकल टूरिज्म को भी मदद की जा सकती है। क्योंकि भारतीय रेगिस्तानों पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है इसलिए अब समय आ गया है कि हम इनको भी वैसा ही प्यार दें जैसा कि बाकी सब जगहों को मिलता रहा है वो भी सही तरीके से।
ये हैं भारत के सबसे बढ़िया डेजर्ट अनुभवों की सूची
हालांकि भारत में ऐसे कई डेजर्ट हैं जो अनछुए हैं लेकिन यदि आप पहली बार डेजर्ट एडवेंचर पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको जाने माने डेजर्ट से शुरुआत करनी चाहिए। अगर आपको इन रेगिस्तानों के बारे में नहीं पता है तो आपकी मदद हम कर देते हैं।
1. जैसलमेर में लग्जरी कैंपिंग
राजस्थान के थार रेगिस्तान के बीच में स्थित जैसलमेर भारत के सबसे पसंदीदा डेजर्ट डेस्टिनेशन में से एक है। जैसलमेर की समृद्ध विरासत और संस्कृति इस जगह को घुमक्कड़ों के लिए एकदम परफेक्ट डेस्टिनेशन के रूप में निखारती हैं। अगर आप पहली बार रेगिस्तानों का अनुभव लेने जा रहे हैं तो आपको शहर के होटलों को छोड़कर डेजर्ट में कैंपिंग करने का मजा लेना चाहिए। यकीन मानिए कैंपिंग करने का ये अनुभव आपको जिंदगीभर याद रह जाएगा।
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2. कच्छ का रण उत्सव देखें
दलदल वाली जगह जो सर्दियों के मौसम में नमक का खूबसूरत रेगिस्तान बन जाती है, आपके पहले डेजर्ट अनुभव के लिए बढ़िया विकल्प है। अगर आप भारत के सबसे हसीन और फेमस उत्सव को देखना चाहते हैं था आपको कच्छ के रण उत्सव में जरूर आना चाहिए। नवंबर और फरवरी के बीच होने वाले इस उत्सव के समय पूरे शहर में छोटे छोटे रंग बिरंगे तम्बू दिखाई देने लगते हैं जो बेहद खूबसूरत होता है। इस चार महीने तक चलने वाले फेस्टिवल में आपको गुजरती आर्ट, कल्चर और संस्कृति का बढ़िया प्रदर्शन देखने के लिए मिलता है।
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3. स्पीति के पहाड़ों में ट्रेक करें
अगर आप उन लोगों में से हैं जो अपने पहले डेजर्ट अनुभव में एडवेंचर का स्वाद भी जोड़ना चाहते हैं तो स्पीति घाटी में इसका पूरा इंतेजाम किया हुआ है। स्पीति घाटी की पहचान यहाँ मिलने वाले मठ, वन्य जीवन और दिलकश नजारे हैं जो इसको ऑफ बीट के साथ साथ बेहद सुंदर बनाते हैं। स्पीति के बंजर पहाड़ों को देखने के लिए दुनियाभर से घुमक्कड़ आते हैं जो यहाँ ट्रेक और हाईक करना पसंद करते हैं। अगर आप आम रेगिस्तानों में ना जाकर कुछ नया महसूस करना चाहते हैं तो आपको स्पीति के ठंडे डेजर्ट में आना चाहिए।
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4. पुष्कर मेला देखें
पहली नजर में आपको पुष्कर देश के बाकी रेगिस्तानी शहरों की तरह लग सकता है। लेकिन यदि आप पुष्कर मेला के समय इस शहर में आएंगे तो इसकी भव्यता देखकर हैरान हो जाएंगे। हर साल लगने वाले इस फेस्टिवल को ऊंटों का मेला भी कहा जाता है। इस फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए दुनिया के हर कोने से घुमक्कड़, लेखक, बगपैकर और फोटोग्राफर आते हैं। अगर आप एक जगह पर राजस्थानी संस्कृति को देखना चाहते हैं तो आपको पुष्कर मेला से बढ़िया जगह नहीं मिलेगी।
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5. नुब्रा घाटी में तिब्बती कल्चर
हिमालय के बर्फीले पहाड़ों की गोद में स्थित नुब्रा घाटी आना हर किसी के बाद की बात नहीं है। स्पीति की ही तरह ये भी ठंडा रेगिस्तान है जहाँ बहुत कम घुमक्कड़ पहुँच पाते हैं। नुब्रा घाटी में दो नदियों के होने के बावजूद यहाँ बहुत कम खेती हो पाती है। नुब्रा घाटी में आप मठ देख सकते हैं जिनमें आप बौद्ध धर्म के बारे में जान सकते हैं। नुब्रा घाटी में आप रेत के टीले और दो हंप वाले ऊंठ भी देख सकते हैं।
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