कश्मीर को जिसने जैसा देखा, वैसा ही कहा मगर उन सबमें सबसे अच्छी और सच्ची बात एक कवि ने कही है। कविता है कि पहाड़ों के जिस्मों में बर्फों की चादर, चिनारों के पत्तों पे शबनम के बिस्तर, हसीं वादियों में महकती है केसर, कहीं झिलमिलाते हैं झीलों के जेवर, है कश्मीर धरती पे जन्नत का मंजर। कश्मीर सच में जन्नत है। ये एहसास करने के लिए, देखने के लिए आपको कश्मीर की अनछुई जगहों पर जाना होगा। ये जगह ही बताती हैं कि कश्मीर क्या है? कश्मीर की ऐसी ही खूबसूरती को अपने में समेटे रखे है वारवां वैली।
कश्मीर की वारवां वैली उन जगहों में आती है जिसके बारे में लोगों को कम पता है। ये बाहरी दुनिया के लिए गुमनाम है। ये घाटी जम्मू-कश्मीर के किस्तवर का एक भाग है। गर्मियों में वारवां वैली में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाती है। उस समय लगता है कि इससे सुंदर और हसीन क्या ही हो सकता है? आपको इस छिपी हुई जगह पर कई खूबसूरत वाटरफॉल देखने को मिलेंगे। इस घाटी में कई ट्रेक भी हैं जिनको आप कर सकते हैं। कोकेरनाग से 3-4 घंटे में आप कश्मीर के इस खूबसूरत जहाँ में पहुँच सकते हैं। कश्मीर इन अनछुई जगहों से ही जाना जाना चाहिए। इसके लिए आपको एक बार जरूर वारवां वैली आना चाहिए।
क्यों देखें?
वैसे तो घूमने के लिए ये सवाल होना ही नहीं चाहिए क्योंकि हर जगह देखी जानी चाहिए। फिर भी वारवां वैली क्यों देखें? वो हम बता देते हैं। समुद्र तल से 8,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित इस जगह के नजारे कमाल के हैं। इस जगह पर बेहद पुरानी कश्मीरियत बनी हुई है। यहाँ के लोग सबसे शुद्ध कश्मीरी भाषा बोलते हैं। इस घाटी में सिर्फ नजारे नहीं बेहद प्राचीन कश्मीर को भी समझ सकते हैं। वारवां वैली में वारवां नाम की नदी बहती है जो इसे और भी खूबसूरत बनाती है।
क्या करें?
1. गाँव घूमें
वारवां वैली कश्मीर की उन जगहों में से है जिसके बारे में ज्यादातर कश्मीरियों को भी नहीं पता। इसलिए वारवां घाटी के गाँवों को हमें जरूर घूमना चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि पैदल चला जाए। जितना आप पैदल चलेंगे, आपको उतनी ही वो जगह समझ आएगी। पहाड़ों के बीच ये गाँव बेहद खूबसूरत है। यहाँ आकर आपको लगेगा कि यहाँ के लोगों को बाहरी दुनिया से कोई मतलब ही नहीं है। वो अपनी ही जिंदगी में खुश है। इन वादियों में खुशी खोजनी नहीं पड़ती है मिल जाती है। आप वारवां गाँव के अलावा गौलिश गाँव को भी देख सकते हैं। ये गाँव अपने आप में बेहद अनोखा है।
2. ट्रेक
अगर आपके अंदर एडवेंचर का कीड़ा है तो आप यहाँ पर ट्रेकिंग भी कर सकते हैं। यहाँ का सबसे फेमस ट्रेक वारवां वैली ट्रेक है। ये ट्रेक हर कोई नहीं कर सकता है। ये कश्मीर के सबसे कठिन ट्रेक के लिए जाना जाता है। लगभग 3-4 दिन के इस ट्रेक में हर रोज 20 किमी. चलना पड़ता है। सर्द हवाओं के बीच ऐसा ट्रेक बेहद मुश्किल होता है लेकिन यहाँ जो नजारे देखने को मिलेंगे, वो आपको कहीं और नहीं मिलेंगे। अगर आपने पहले कई सारे ट्रेक किए हैं तो आपको इस वारवां वैली ट्रेक का अनुभव जरूर करना चाहिए।
3. नदी का किनारा
कोई मुझसे कहे कि पहाड़ को हसीन क्या बनाता है? तो मैं कहूंगा नदी। वैसे तो जिस जगह पर नदी होती है वो खूबसूरत होती ही है लेकिन पहाड़ों में नदी का होना सोने पर सुहागा जैसा है। जब वादियों के बीच होते हैं और कानों में नदी की आवाज पड़ती है तो दिल खुश हो जाता है और आप उस ओर खिंचे चले जाएंगे। ये नदी का जादू है। ऐसा ही जादू वारवां वैली में वारवां नदी बिखेर रही है। आपको इस नदी कि किनारे बैठकर बस इस घाटी को निहारना है। यकीन मानिए आपके यहाँ बैठे रहने से ही इस जगह से प्यार हो जाएगा।
4. ग्लेश्यिर
वारवां वैली समुद्र तल से 8,500 फीट की ऊँचाई पर है। ऐसे में यहाँ पर ग्लेशियर होना स्वाभाविक है। अगर आपने ग्लेशियर न देखा हो तो वारवां वैली में देख सकते हैं। इसके लिए वारवां वैली ट्रेक करना होगा। ट्रेक के दूसरे दिन आपको ये खूबसूरत ग्लेशियर देखने को मिलेगा। आपको लगेगा कि आप सफेद जहाँ में आ गए हैं। पहले तो इस ग्लेशियर तक पहुँचना बेहद कठिन है। उसके बाद ग्लेशियर पर चलना आसान नहीं होगा। बर्फ बेहद कठोर मिलेगी जिससे पैर फिसल भी सकता है जो बेहद खतरनाक है। फिर भी एडवेंचर करने वाले यहाँ आते हैं।
5. शेषनाग लेक
अगर वारवां वैली जाते हैं तो उससे कुछ किलोमीटर की दूरी पर शेषनाग लेक है जिसे आप देख सकते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि सांपों के राज शेषलाग ने इसी लेक में डुबकी लगाई थी जिसके बाद इसका नाम शेषनाग लेक हो गया। इस लेक का पानी बेहद ताजा और साफ है। जिसमें आप अपना अक्स देख सकते हैं। सर्दियों में ये लेक पूरी तरह से जम जाती है इसलिए गर्मियों में इसे देखने का प्लान बना सकते हैं।
6. घास के मैदान
वारवां वैली में हरियाली ऐसी पसरी हुई है जैसे खेतों में फसल रहती है। चारों तरफ बस हरियाली ही हरियाली दिखाई देगी। इसमें सबसे खूबसूरत घास के मैदान वारवां वैली ट्रेक के दौरान मिलेंगे। पहले तो आप इस खूबसूरती को देखकर हैरान रह जाएंगे। जब आप इसके बीच कुछ दिन गुजारेंगे और वापस पुरानी दुनिया में लौटेंगे तो ये सब उजाड़ लगेगा। वारवां वैली नजारे नहीं, नजरिया बदल देती है।
कैसे पहुँचे?
यदि आप फ्लाइट से वारवां वैली जाने की सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट श्रीनगर है। श्रीनगर से वारवां वैली की दूरी 133 किमी. है। आप श्रीनगर से बस लेकर अनंतनाग होते हुए कोकेरनाग पहुँच सकते हैं। यहाँ से आपको वारवां वैली के लिए आराम से गाड़ी मिल जाएगी। अगर आप ट्रेन से वारवां जाने का प्लान बना रहे हैं तसबसे निकटतम रेलवे स्टेशन श्रीगनगर में है। यहाँ से आप और टैक्सी लेकर वारवां पहुँच सकते हैं। आप वाया रोड भी वारवां वैली जा सकते हैं। आप खुद की गाड़ी से जा रहे हैं तब तो अच्छी बात है। वहीं बस और टैक्सी लेते हुए भी वारवां आराम से पहुँचा सकता है।
कब जाएं?
वारवां वैली समुद्र तल से बहुत ऊँचाई पर है। यहाँ पर सर्दियों में चारों तरफ बर्फ होती है और गर्मियों में भी ठंडक बनी रहती है। ऐसे में अगर आप यहाँ की खूबसूरती को देखना चाहते हैं तब तो आपको मई से अक्टूबर के बीच यहाँ पर आना चाहिए हालांकि उसमें भी आपको बारिश के मौसम में नहीं आना चाहिए। वारवां वैली जा रहे हैं ठहरने की मुश्किल आपको हो सकती है। वारवां वैली में मुश्किल से ही कोई होटल मिलेगा। यहाँ पर तो जम्मू कश्मीर टूरिज्म का बंगला है जिसमें आप ठहर सकते हैं। यहाँ पर घूमने कम लोग आते हैं। ऐसे में आपको कमरा मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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