गुरेज वैलीः कश्मीर की वो खूबसूरत घाटी जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है

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Photo of गुरेज वैलीः कश्मीर की वो खूबसूरत घाटी जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है by Rishabh Dev

हम सभी कश्मीर को जन्नत कहते हैं लेकिन जब वहाँ की खूबसूरती के बारे में पूछते हैं तो श्रीनगर, गुलमर्ग और सोनमर्ग ही जेहन में आता है। मगर कश्मीर जन्नत इन बड़े और भीड़ वाले शहरों से नहीं है। कश्मीर जन्नत है यहा की खूबसूरत वादियों से। यहाँ कई ऐसी जगह हैं, जहाँ के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। कश्मीर की इन अनछुई जगहों पर जाने पर कश्मीर की खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है। कश्मीर की इन अनछुई जगहों में से एक है, गुरेज वैली।

गुरेज वैली राजधानी श्रीनगर से लगभग 123 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चारों तरफ से बर्फ से ढंकी ये घाटी समुद्र तल से 8,000 फीट की ऊँचाई पर है। गुरेज वैली से किशनगंगा नदी बहती है जो आगे चलकर पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में झेलम नदी में मिल जाती है। इस घाटी का सबसे बड़ा कस्बा दवार है। साल के 6 महीने गुरेज वैली बर्फ से ढंकी रहती है, आने-जाने के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। अगर आपको मनाली और शिमला जैसे बड़े शहर पसंद हैं। जहाँ लोग बहुत हैं, अच्छे होटल और बाजार हैं तो गुरेज आपके लिए बिल्कुल नहीं है। अगर आपको प्रकृति से प्यार है और नदियों की कलकल करती आवाज को सुनना पसंद है तो गुरेज आपके लिए परफेक्ट जह है।

गुरेज वैली के बारे में

इस घाटी के लोग मूलतः कश्मीरी नहीं है। यहां के लोग दर्द शिन आदिवासी जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। ये लोग अपनी बोली शिना में बात करते हैं। दर्द शिन आदिवासियों का क्षेत्र दर्दिस्तान के नाम से जाना जाता है। जिसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान और अफगानिस्तान में है। भारत में दर्दिस्तान बस गुरैज वैली ही है। कभी ये जगह सिल्क रूट का हिस्सा थी लेकिन 1947 के विभाजन के बाद से भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखा बन गई। करीब 60 साल तक इस जगह पर बाहर के लोगों को आने की मनाही थी। 2007 में ये जगह टूरिस्टों के लिए खोल दी गई। इतने साल गुजरने के बावजूद ये जगह अभी भी कश्मीर की अनछुई जगह में आती है। तो चलिए आज कश्मीर की गुरेज वैली के सफर पर चलते हैं।

क्या देखें?

पहाड़ों मे ये कहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए कि देखने लायक कौन-सी जगह है? यहाँ तो चारों तरफ खूबसूरती पसरी हुई है। आप बस पैदल निकल पड़िए, ये जगह आपको अपना बना लेगी। ऐसा ही कुछ गुरेज वैली के साथ है। चारों तरफ खूबसूरती ही खूबसूरती है घने जंगल, बर्फ से ढंके पहाड़, हरे-भरे मैदान, नदी और वाटरफाॅल्स। गुरेज वैली जाएँ तो इसकी फिक्र न करें कि क्या देखें?

1. हब्बा खातून

श्रेय: जम्मू कश्मीर टूरिज्म।

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गुरेज वैली में एक खूबसूरत पहाड़ है जिसे कश्मीरी कवि हब्बा खातून के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि हब्बा खातून अपने पति को इन्हीं पहाड़ों में आज भी खोज रही है। माना जाता है कि उनकी प्रेम कहानी इस घाटी में गूँजती है। त्रिकोणीय आकार का ये पर्वत गुरेज वैली की खूबसूरत जगहों में से एक है। इस पहाड़ी के नीचे आप किशनगंगा नदी को बहते हुए देख सकते हैं। इस पर्वत पर एक वाटरफाॅल भी है जिसे हब्बा खातून का चश्मा कहते हैं। अगर आप गुरेज वैली में प्रकृति के आनंद को अनुभव करना चाहते हैं तो आपको इस पहाड़ी पर जरूर जाना चाहिए।

2- दवार

दवार गुरेज वैली का सबसे बड़ा कस्बा ही नहीं है, ये दिल है इस घाटी का। यहाँ के लोग दवार को कस्बा नहीं बल्कि 15 छोटे-छोटे गाँवों से मिलकर बनी एक जगह बताते हैं। मगर जब आप ये देखेंगे तो आपको ये सिर्फ एक जगह मिलेगी, एक बड़ा कस्बा। इस कस्बे में सब मोबाइल रिचार्ज, एटीएम, पेट्रोल, कपड़े कुल मिलाकर जरूरत की हर चीज यहाँ मिलती है। इस कस्बे के चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ हैं। जिसमें एक हब्बा खातून पहाड़ी भी है। कस्बे के नीचे की तरफ पहाड़ी के नीचे खूबसूरत किशनगंगा नदी बहती है। गुरेज वैली जाएँ तो इस खूबसूरत कस्बे को जरूर देखें।

3- तुलैल

इस घाटी को अच्छे से जानने के लिए इसके आखिरी छोर तक जाना चाहिए। दवार से 60 किमी. आगे चलने पर तुलैल जिला आ जाता है। इसे यहाँ के लोग तिलैल भी कहते हैं। तुलैल घाटी में एक गाँव है चकवाली। ये भारत का आखिरी गाँव है। यहाँ से पाकिस्तान के खूबसूरत पहाड़ दिखाई देते हैं। चकवाली गाँव के लोग बेहद ही प्यारे हैं। आपको इस गाँव में बेहतरीन मेहमाननवाजी मिलेगी। इस जगह पर अभी मोबाइल नेटवर्क नहीं है इसलिए लोग अब भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दवार और चकवाली के बीच कई गाँव पड़ते हैं जिनको आप देख सकते हैं। तुलैल फिशिंग के लिए बहुत फेमस है। अगर आप ग्रामीण जनजीवन को देखना चाहते हैं तो इस जगह पर आना चाहिए। यहाँ आपको ऐसे पल बिताने का मौका मिलेगा जो आपको जिंदगी भर याद रहेंगे।

4- हरमुख

कभी-कभी होता है कि इंटरनेट पर जो पड़ते हैं उस जगह पर वो होता ही नहीं है। ऐसा ही कुछ हरमुख के साथ है। इंटरनेट पर हरमुख को गुरेज वैली का हिस्सा बताया है जबकि ऐसा है नहीं। हरमुख पर्वत गुरेज वैली में नहीं है। हरमुख तो गांदरबल जिले में आता है। अगर आपको हरमुख पर्वत की खूबसूरती को देखना है तो रजदान पास के शिखर से देख सकते हैं। इसलिए गुरेज वैली जाएँ तो हरमुख को अपनी ट्रेवल लिस्ट में न रखें।

5- किशनगंगा

जब आप रजदान पास से गुरेज वैली में घुसते हैं तो आपका स्वागत एक खूबसूरत नदी करती है। गुरेज वैली से होते हुए ये नदी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जाती हैं। जहाँ इस नदी का नाम बदलकर नीलम नदी हो जाता है जो आगे जाकर मुजफ्फराबाद में झेलम नदी मे मिल जाती है। यहाँ आप कई एक्टिविटी कर सकते हैं जैसे कि रिवर राफ्टिंग। अगर आप रिवर राफ्टिंग करना चाहते हैं तो आपको बुकिंग श्रीनगर में करानी होगी। गुरेज वैली में कोई ट्रेवल कंपनी रिवर राफ्टिंग नहीं कराती। इसके अलावा आप यहाँ कैंपिंग कर सकते हैं। यहाँ कई कैंपिग स्पाॅट हैं लेकिन उससे पहले आपको इंडियन आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस से परमिशन लेनी होगी।

अन्य जगहें

1- वुलर लेक

वुलेर लेक गुरेज वैली में नहीं है, ये गुरेज वैली जाने वाले रास्ते में पड़ती है। वुलेर लेक एशिया की ताजे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है। लेक के आसपास हरा-भरा मैदान है जो इस जगह को और भी खूबसूरत बनाता है। आपके पास अगर समय हो तो इस जगह को भी जरूर देखना चाहिए।

2-रजदान पास

श्रेय: वर्गिस खां।

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श्रीनगर और गुरेज वैली के बीच पड़ने वाला रजदान पास बेहद खूबसूरत। हरे-भरे ऊँचे पहाड़ों वाले रजदान पास की ऊँचाई समुद्र तल से 3,300 मीटर है। इस जगह को देखकर आपको कश्मीर की खूबसूरती का अंदाजा लगेगा। इन जगहों के सामने श्रीनगर और गुलमर्ग कुछ भी नहीं है। गुरेज वैली के रास्ते में पड़ने वाला रजदान पास की खूबसूरती को देखने के लिए कुछ देर यहाँ ठहरना चाहिए।

परमिट

गुरेज वैली में आपको कुछ जगहों के लिए परमिट चाहिए और कुछ जगहों के लिए नहीं। अगर आप गुरेज वैली में दवार कस्बे तक ही जाना चाहते हैं तो आपको परमिट की आवश्यकता नहीं है। मगर हाँ, रास्ते में बहुत सारे चेक पोस्ट पड़ते हैं जहां आपको अपना आधार कार्ड दिखाना होगा। इसलिए अपना आधार काॅर्ड साथ जरूर रखें। अगर आपके पास आधार काॅर्ड नहीं होगा तो आपको गुरेज वैली में घुसने नहीं दिया जाएगा।

अगर आप दवार से आगे चकवाली तक जाना चाहते हैं तब आपको परमिट लेना पड़ेगा। परमिट दवार पुलिस स्टेशन पर जाकर बन जाएगा। परमिट के लिए आपको आधार काॅर्ड की फोटोकाॅपी देनी होगी। विदेशी पर्यटकों को श्रीनगर या बांदीपोरा के जिला कमिश्नर ऑफिस से परमिट लेना होगा।

कब जाएँ?

गुरेज वैली वैसे तो पूरे साल खूबसूरत रहती है लेकिन साल के 6 महीने बर्फ से रास्ता बंद हो जाता है। इस वजह से सर्दियों में गुरेज वैली जाना बेवकूफी होगी। यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक है। सितंबर से अक्टूबर के शुरू के दिनों में भी यहाँ जाया जा सकता है। इस समय आपको पहाड़ों पर थोड़ी-थोड़ी बर्फ दिखाई दे जाती है।

कैसे पहुँचे?

गुरेज वाली जाने के लिए सबसे पहले आपको श्रीनगर जाना होगा। यहाँ आप ट्रेन या फ्लाइट से पहुँच सकते हैं। श्रीनगर से गुरेज घाटी जाने के दो रास्ते हैं। एक तो आप सड़क मार्ग से रजदान पास होते हुए पहुँच सकते हैं। आप खुद की गाड़ी से यहाँ आ सकते हैं या टैक्सी बुक करके भी जा सकते हैं। सड़क मार्ग से श्रीनगर से गुरेज वैली पहुँचने में लगभग 6 से 8 घंटे लगेंगे।

श्रीनगर-सुंबल-बरार-बांदीपोरा-रजदान पास-कजलवान-वामपोर-दवार

हेलीकाॅप्टर से

कश्मीर पर्यटन विभाग ने 2017 में टूरिस्टों के लिए एक नई सर्विस शुरू की। अब टूरिस्ट गुरेज वैली हेलीकाप्टर से भी जा सकते हैं। ये सर्विस आप श्रीनगर और बांदीपोर से ले सकते हैं। श्रीनगर एयरपोर्ट से गुरेज वैली तक एक व्यक्ति को हेलीकाॅप्टर से जाने के लिए 3,000 रुपए और बांदीपोरा से 2,000 रुपए देने होंगे। इस सर्विस को आप हफ्ते में तीन दिन गुरूवार, शुक्रवार और शनिवार को ही ले सकते हैं। हेलीकाॅप्टर से श्रीनगर से गुरेज वैली पहुंचने मे सिर्फ 35 मिनट का समय लगता है। इसकी बुकिंग आप श्रीनगर एयरपोर्ट से कर सकते हैं।

कहाँ ठहरें?

गुरेज वैली में ठहरने के लिए सबसे अच्छी जगह दवार कस्बा है। यहाँ आपको अच्छे-अच्छे होटल मिल जाएँगे। अगर आप गुरेज वैली के गाँवों में जाएँगे तो वहाँ आपको होटल नहीं मिलेगा। यहाँ आपको लोकल लोगों के साथ रहना होगा। जो मेरे ख्याल से होटल से ज्यादा अच्छी जगह होती है। पैसे आपको यहाँ भी लगेंगे लेकिन यहाँ आप कश्मीर को जान पाएँगे।

गुरेज वैली इतनी खूबसूरत होने के बावजूद यहाँ बहुत कम टूरिस्ट आते हैं। बहुत सारे लोगों को तो इस जगह के बारे में पता ही नहीं होगा। 1895 में ब्रिटिश लेखक वॉल्टर लॉरेंस ने इस जगह के बारे में कहा था कि पूरे कश्मीर की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है, गुरेज वैली। आने वाले सालों में ये कश्मीर की सबसे फेमस जगहों में से एक है। उस बात को 125 साल गुजर गए हैं और गुरेज वैली अब भी उनके कहे को सच में होने के इंतजार में है।

क्या आप कभी कश्मीर की गुरेज वैली के सफर पर गए हैं? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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