1कश्मीर, जो इतना खूबसूरत है कि इसे जन्नत कहा जाता है। लेकिन इस खूबसूरती के बीच एक फासला है जो वहाँ बहुतों को यहाँ आने से रोक देता है। जो इस जन्नत के बीच आते हैं वे वाकई खुशनसीब होते हैं। वैसे भी किसी ने कहा है कश्मीर में आने के लिए हिम्मत की नहीं नज़रिए की ज़रुरत है। अगर आपका नज़रिया खूबसूरत होगा तो आपको ये जगह भी जन्नत लगेगी। यहाँ खूबसूरत पहाड़, वादियाँ और सुंदर झील है। इसके अलावा कश्मीर का एक इतिहास है जो आज भी यहाँ के स्मारकों में बसता है। ये ऐतहासिक इमारतें कश्मीर को और खास बना देती हैं। स्मारक उस समय के वैभवशाली इतिहास को बताते हैं और खूबसूरती भी बयां करते हैं। उसी जन्नत के द्वारे से कुछ ऐसे ही ऐतहासिक स्मारक, जिनमें कुछ के बारे में तो आपने सुना होगा और कुछ अनसुने होंगे। लेकिन यकीन मानिए सबके सब देखने लायक हैं।
1. जामा मस्जिद, श्रीनगर
श्रीनगर की जामा मस्जिद कश्मीर की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसे सुल्तान सिकंदर ने वर्ष 1400 में बनवाया था। बाद में ये मस्जिद आग की चपेट में तीन बार आई जिसकी वजह से इसका काफी नुकसान हुआ। इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के समय में कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह ने इसकी मरम्मत करवाई। ये जामा मस्जिद 370 लकड़ी के खंभे, 4 मीनार और 8 लकड़ी के स्तंभ पर खड़ी हुई है। इसकी यही खूबी दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। अपनी विशालता के साथ जामा मस्जिद कश्मीर के शानदार स्मारकों में से एक के रूप में खड़ा है।
2. परी महल, श्रीनगर
परी महल श्रीनगर के पास शानदार चश्मे शाही गार्डन के ऊपर स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। इसे परबरी का निवास स्थान भी कहा जाता है। इस महल में छह सीढ़ीदार उद्यान है, जिनकी खूबसूरती देखते ही बनती है। परी महल के चारों तरफ ऐसे ही शानदार उद्यान हैं और यही सुंदर संरचना लोगों को बहुत लुभाती है। इसे मुगल सम्राट शाहजहाँ के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह ने बनवाया था। परी महल महल इस्लाम वास्तुकला का पारंपरिक नमूना है। परी महल कश्मीर की नहीं भारत का ऐतहासिक स्मारक है। इसकी देख-रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करता है। सुंदरता की मिसाल परी महल इस सुंदर शहर श्रीनगर को और खूबसूरत बना देता है। इसका महल की खासियत इसकी बनावट है, इसकी छह छतों को ध्यान से देखेंगे तो वो धनुष के आकार की दिखती है। माना जाता है कि परी महल कभी बौद्ध मठ था। बाद में दारा शिकोह के लिए ये एक स्कूल के रूप में बना दिया गया।
3. शंकराचार्य मंदिर, श्रीनगर
कश्मीर के सबसे फेमस स्मारकों में से एक शंकराचार्य मंदिर श्रीनगर में तख्त-ए-सुलेमान पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती है। इसे ज्येष्ठेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर को एक अष्टकोणीय पठार पर बनाया है और मंदिर के भीतर एक गोलाकार गर्भगृह है। इस मंदिर को सातवीं शताब्दी में बनाया गया था, मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको 1000 फीट की पहाड़ी चढ़नी होगी। यहाँ से आपको श्रीनगर का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है।
4. शालीमार बाग
शालीमार, कश्मीर के सबसे सुंदर गाॅर्डन में से एक है। जिसका आकर्षण आज से नहीं बल्कि मुग़ल काल से लेकर अंग्रेजी शासन तक रहा। इसको अंग्रेज अपने रिसाॅर्ट के लिये इस्तेमाल करते थे। हालांकि जहांगीर के समय इसको काफी नुकसान भी हुआ। हरी घास से बिछा ये गाॅर्डन जिसके आसपास कई नहरें हैं और बीच में कई फव्वारे हैं। जो इसको बेहद खूबसूरत बनाते हैं। इसमें कई सारे स्मारक हैं जिन्हें मुग़ल काल में बनाया गया था। बड़े-बड़े गुंबदों और स्तंभों की बनी ये इमारत बेहद सुंदर है। ये शालीमार गाॅर्डन भी देखने लायक है और इसके आसपास बनी इमारतें भी।
5. सूर्य मंदिर, मार्तंड
फेमस मार्तंड के सूर्य मंदिर को ललितादित्य मुक्तापीड़ा ने आठवीं शताब्दी में बनवाया था। ये जगह भी कमाल की है, इस जगह से ज्यादा खूबसूरत यहाँ पहुँचने का रास्ता है। पहाड़ों के बीच से आता रास्ता और पीले पत्ते वाले चिनार के पेड़ अपनी खूबसूरती फैलाते रहते हैं। देखने में ये एक खाली सा आंगन लगता है जिसकी छत किसी ने निकाल ली हो। इसके केन्द्र में प्रमुख सूर्य मंदिर है और चारों ओर बस पुरानी पत्थरों की नक्काशी खड़ी हुई है। ये मंदिर चार भागों में बंटा हुआ है जिसमें खंभे ही खंभे है। गर्भगृह के पश्चिमी भाग के मध्य में प्रवेश द्वार है। मुख की ओर है। मुख्य मंदिर में तीन अलग-अलग कक्ष हैं जिसकी दीवारों पर चित्र भी बने हुये हैं।
6. हजरतबल मस्जिद, श्रीनगर
हजरतबल मस्जिद डल झील के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। पूरी मस्जिद सफेद संगमरमर से बनी हुई है, जो देखने में बेहद खूबसूरत है। इस मस्जिद का नाम उर्दू शब्द हजरत से आया है, जिसका अर्थ है ‘सम्मानित’। इसके कश्मीरी शब्द का अर्थ है ‘स्थान’। इसका मिलाजुला मतलब होता है वो स्थान जिसे सम्मान दिया जाता है। यह श्रीनगर की एकमात्र मस्जिद है, जिसकी छत शिवालयों के बजाय गुंबददार है। अगर आप महिला हैं तो इसमें प्रवेश के लिए आपके माथे पर दुपट्टा होना ज़रूरी है और पुरूषों के सिर पर टोपी या रूमाल।
7. दुर्रानी फोर्ट
दुर्रानी किले का निर्माण 1808 में शुजा शाह दुर्रानी ने करवाया था और उन्हीं के नाम पर इस किले का नाम पड़ गया, लेकिन इसके बनने के पीछे एक वाक्या है। वर्ष 1590 में मुगल सम्राट अकबर ने हरि परबत पर एक किले को बनवाना शुरू किया। वे नागोर नाम की एक नई राजधानी बनाने के लिए एक किले को बनवा रहे थे। तब उसकी दीवार ही बन पाई थी। बाद में, 1808 में शाह दुर्रानी के शासन में उसी किले का पूरा बनाया गया। जिसे आज दुर्रानी किले के नाम से जाना जाता है। हरि परबत पहाड़ी को प्रद्युम्न पीठ के नाम से भी जाना जाता है, ये कश्मीरी पंडितों का एक पवित्र स्थान है। यहाँ एक मंदिर है जिसे शरिका मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में 18 भुजाओं वाली देवी विराजमान हैं।
8. अखुन मुल्ला शाह मस्जिद, काठी दरवाजा
इस मस्जिद को दारा शिकोह ने अपने शिक्षक अखुन मुल्ला शाह के लिए 1649 में बनवाया था। ये मस्जिद हरि पर्बत के ढलान पर स्थित है और काठी दरवाजा से थोड़ा ऊपर है। ग्रे चूना पत्थर से बनी इस मस्जिद के ऊपर की बनावट कमल की आकार की है। इस प्रकार की मस्जिद पूरे कश्मीर में एकलौती है। मस्जिद की बाहरी बनावट आयताकार है और गहराई में है। इसके उत्तर और दक्षिण की ओर आंगन है और निचले स्तर पर मेहराबदार हॉल के खंडहर हैं। अगर आप कश्मीर की फेमस जगहों से इतर देखना चाहते हैं तो अखुन मुल्ला शाह मस्जिद देखने ज़रूर जाएँ।
9. वाॅर मेमोरियल, द्रास
भारतीय सैनिकों की वीरता और शौर्य का प्रतीक वाॅर मेमोरियल द्रास गाँव में स्थित है। यह युद्ध स्मारक गुलाबी रेत के पत्थर से बना हुआ है। इसके एक-एक स्मारक कारगिर में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित हैजिन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। उस युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय सैनिकों ने अपना जाबांज पराक्रम दिखाया जिसकी बदौलत वे अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सके।
8 जुलाई से 5 जुलाई 1999 तक यहाँ कारगिल युद्ध हुआ था। उस युद्ध में कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। यहाँ पर ‘मनोज पांडे गैलरी’ नाम की एक गैलरी है जिसमें युद्ध के दौरान हथियारों और तोपों के साथ उस दौरान ली गई तस्वीरें को दिखाती है। द्रास स्मारक पर आपकी यात्रा न केवल भारतीय सेना के लिए सम्मान का एक संकेत होगी बल्कि यह निश्चित रूप से आपको देशभक्ति से अभिभूत कर देगी। उन्हीं सैनिकों के सम्मान के लिए है ये स्मारक। इस जगह पर हर किसी को जाना चाहिए और उन पर गर्व करना चाहिये।
10. चरारी शरीफ, बडगाम, श्रीनगर
चरारी शरीफ श्रीनगर से 28 कि.मी. दूर बडगाम जिले में स्थित है। इसे ‘चरर-ए-शरीफ’ या ‘चरार-ए-शेरीफ’ भी कहा जाता है। इस शहर की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 1,933 मीटर है। चरारी धार्मिक रूप से एक ऐतिहासिक शहर है। यहाँ शेख नूर-उ-दीन नूरानी की कब्र है, जिन्होंने अपनी कविता से इस्लाम का प्रचार किया था। शेख नूर-उद-दीन नूरानी की कब्र को अलमदार-ए-कश्मीर या कश्मीर के ध्वजवाहक के रूप में भी जाना जाता है।