गंगा किनारे बसे बनारस शहर को स्वयं भोलेनाथ की प्रिय नगरी के तौर पर भी जाना जाता है। इसके साथ ही इसे दुनिया के सबसे प्राचीन शहर के तौर पर भी जाना जाता है और बताया जाता है कि भगवान शिव स्वयं माता पार्वती के साथ यहाँ निवास भी करते थे। भोले की नगरी वाराणसी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भी स्थित है और इसीलिए इस पवित्र नगरी को काशी के नाम से भी जाना जाता है। काशी नगरी को धर्म और संस्कृति का केंद्र बिंदु भी बताया जाता है और इसके साथ ही हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के लिए सबसे पवित्र स्थान भी काशी को ही बताया गया है।
तो जैसा हमने बताया कि धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर तो यह शहर हमारे देश में बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र शहर के तौर पर जाना जाता ही है लेकिन इसके अलावा भी यहाँ गंगा किनारे घाटों पर बिताया हर पल आपको सुकून की असली परिभाषा समझाने वाला होता है और आध्यात्मिक सार की खोज के लिए भी यह प्राचीन शहर सबसे बेहतरीन विकल्प है।
तो अगर आप भी इस अद्भुत नगरी में आकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करना चाहते हैं तो आज के हमारे इस लेख में हम आपको काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी कुछ बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां देने वाले हैं जो आपकी यात्रा में बेहद काम आ सकती हैं। चलिए शुरू करते हैं...
श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर
कहते हैं कि गंगा किनारे बसी ये पवित्र नगरी काशी, भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर बसी है। ऐसा भी बताया जाता है कि जब भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती से हुआ था तब विवाह से पहले भगवान शिव कैलाश पर्वत पर ही रहा करते थे लेकिन विवाह के पश्चात भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर पहली बार यहीं आए थे। तभी से काशी भोले की नगरी और सबसे पवित्र नगरी के तौर पर जानी जाती है।
बताया जाता है कि यहाँ स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भी हज़ारों वर्षों से यहाँ मौजूद है और कई बार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा मंदिर पर आक्रमण कर इसे क्षति पंहुचायी गयी और फिर से निर्माण करवाया गया और ऐसा सैंकड़ों वर्षों तक चलता रहा। आज जिस मंदिर में हम बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जाते हैं उसका निर्माण वर्ष 1780 में रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।
संतों की नगरी है पवित्र नगरी काशी
ऊपर बताई गयी बातों से आप समझ ही गए होंगे कि काशी धार्मिक तौर पर एक बेहद पवित्र नगरी है। आपको बता दें कि यही पवित्र नगरी लम्बे समय से संतों की नगरी भी रही है। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने भी बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला प्रवचन काशी में ही दिया था। इसके अलावा गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी काशी में ही तुलसी घाट पर बैठकर रामचरितमानस के कई अध्याय लिखे थे और यही वो नगरी है जहाँ संत कबीर दास का जन्म हुआ था। यही नहीं भोले की नगरी काशी महर्षि पतंजलि की कर्मभूमि भी रह चुकी है।
मंदिर में दर्शन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां
आपको बता दें कि कुछ समय पहले निर्माण किये गए शानदार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के साथ ही मंदिर में भक्तों के लिए दर्शन व्यवस्था में काफी सुधार आया है। आम तौर पर अगर आप बनारस के बाजार में मुख्य गौदोलिया चौराहे (नंदी चौराहा) से काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ जाते हैं तो आप मुख्य द्वार संख्या-4 पर पहुँचते हैं। जहाँ द्वार के बाहर ही आपको मोबाइल, बैग इत्यादि जमा करने के लिए मंदिर प्रसाशन द्वारा संचालित लाकर्स के साथ ही कई दुकानों पर लॉकर्स की सुविधा मिल जाएगी। हालाँकि हम यही सुझाव देंगे कि आप मंदिर प्रसाशन द्वारा संचालित लॉकर्स में ही अपना सामान जमा करें। यहाँ से सामान जमा करवाकर आप द्वार से अंदर प्रवेश करके बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकते हैं। आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की संख्या के अनुसार को ज्योतिर्लिंग के दर्शन चारों दिशाओं से भी करवाए जाते हैं जिस वजह से आपको लाइन में ज्यादा समय नहीं बिताना पड़ता है।
इसके अलावा आपको बता दें कि अगर आप मुख्य द्वार संख्या-1 से मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं तो लॉकर की व्यवस्था गंगा द्वार के बाहर मिलती है। गंगा द्वार से आपको मुख्य मंदिर के बेहद करीब से दर्शन होते हैं और बहुत से लोग आपको यहाँ से मुख्य मंदिर की फोटो लेते हुए भी मिल जायेंगे। हालाँकि गंगा द्वार के आगे किसी भी तरह का सामान जैसे मोबाइल, बैग इत्यादि ले जाने की अनुमति नहीं है। आपको बता दें कि गेट नंबर 1 तक आप नाव के जरिये भी पहुँच सकते हैं क्योंकि यह ललिता घाट पर बना हुआ है। या फिर आप गेट नंबर-4 से कुछ आगे चलकर मणिकर्णिका द्वार से मणिकर्णिका घाट जाने वाले रास्ते से भी गेट नंबर-1 तक पहुँच सकते हैं। आपको बता दें कि मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट के बगल में ही स्थित है। भगवान् विश्वनाथ के दर्शन के बाद आप गेट नंबर-2 की तरफ से बाहर की ओर निकलकर विशालाक्षी मंदिर जो कि सती माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है वहां भी दर्शन के लिए जा सकते हैं। शक्तिपीठ मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के बेहद पास स्थित है जहाँ पहुँचने में आपको पैदल 5 मिनट का भी समय नहीं लगेगा।
मंदिर में दर्शनों का समय
आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर वैसे तो रात्रि में 3 बजे पहले ही खुल जाता है और 3 बजे मंगला आरती होती है। फिर मंगला आरती के बाद सुबह 4 बजे मंदिर को आम भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। 4 बजे से फिर रात्रि 11 बजे तक मंदिर खुला रहता है लेकिन दिन में 11:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक भोग आरती की जाती है जिस समय मंदिर के गर्भगृह को भक्तों के लिए बंद कर दिया जाता है। उसके बाद दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक भक्त ज्योतिर्लिंग दर्शन कर सकते हैं। उसके बाद 7 बजे से लेकर 8:30 बजे तक सप्त ऋषि आरती होती है जिसके बाद रात्रि 9 बजे तक भक्त दर्शन कर सकते हैं। उसके बाद 9 बजे से 10:15 बजे तक श्रृंगार व् भोग आरती की जाती है और 10:30 बजे से 11 बजे तक शयन आरती की जाती है।
तो इस तरह से आप वाराणसी शहर में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने का प्लान कर सकते हैं। इससे जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने आपसे इस लेख के माध्यम से साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं
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