जब भी हिमाचल प्रदेश की बात की जाती हैं तो सबसे पहले शिमला का जिक्र किया जाता है और अगर पहाड़ों की बात की जाती है नैनीताल से लेकर मसूरी तक का जिक्र किया जाता है। अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाएं तो शिमला, मनाली, धर्मशाला, कसौली जैसे कई नाम सामने आते हैं। अगर आप शिमला, मनाली या फिर कसौली बार-बार देख कर थक चुके हैं और हिमाचल में कुछ नया घूमना चाहते हैं तो आपको इस घाटी की सैर करने चले जाना चाहिए। अगर आप घाटियों में घूमने के शौकीन हैं तो आज हम आपको एक ऐसे ही खूबसूरत घाटी के बारे में बताएंगे। जहां जाने के बाद आप मानसिक और आत्मिक शांति का अनोखा अनुभव लेंगे । हम जिस घाटी की बात कर रहे हैं इसका नाम है करसोग घाटी। करसोग घाटी हिमाचल में लोकप्रिय जगहों पर घूमने के लिए पर्यटक देश-विदेश से आते हैं, लेकिन अगर आप हिमाचल में शांत जगह की तलाश कर रहे हैं तो इसके लिए करसोग घाटी सबसे परफेक्ट है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित करसोग घाटी में प्राचीन मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती देखने को मिलेगी। तो चलिए अब आपको करसोग घाटी की सैर कराते हैं।
ये है करसोग घाटी की खासियत -
करसोग अपने घने जंगलों के साथ ही सेब के बागान के लिए भी फेमस है। सेब के बागान के साथ-साथ ये घाटी मंदिरों के लिए फेमस है। यहां मौजूद मंदिरों का संबंध महाभारत के काल से माना जाता है और घाटी की खूबसूरती अब तक लोगों के बीच ज्यादा पॉपुलर नहीं हुई है। करसोग घाटी नीचे है और इसके उत्तर में शिकारी देवी की चोटी है। आप चाहें तो तत्तापानी होते हुए शिमला से करसोग घाटी बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर करसोग घाटी के मंदिरों की बात की जाए तो कामाक्षा देवी और महुनाग का मंदिर बेहद फेमस हैं। करसोग भले ही मंडी जिले में आता हो लेकिन यह मुख्य मंडी शहर से 125 किलोमीटर दूर है जबकि शिमला से इसकी दूरी सिर्फ 100 किलोमीटर है।
करसोग घाटी का इतिहास -
इसका नाम ‘कर’ और ‘सोग’ दो शब्दों से बना है। जिसका अर्थ है ‘प्रतिदिन का शोक’। इस घाटी का भी अपना एक इतिहास है, कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहीं पर समय बिताया था और माना जाता है कि वे यहीं से हिमालय को पार करके उत्तर की ओर गंधमादन पर्वत पहुंच गए थे, जहां भीम की मुलाकात रामभक्त हनुमान से हुई थी। द्वापर युग में पांडव जब अपने अज्ञातवास में थे तब उन्होंने कुछ समय करसोग घाटी में गुजारा था। वे अपनी पूजा-अर्चना इसी स्थान पर ही करते थे।
करसोग घाटी के आसपास पर्यटन स्थल -
1. ममलेश्वर मंदिर -
यहां पांडवकाल से भी पुराना एक मंदिर है जिसे ममलेश्वर मंदिर कहा जाता है। यहां रखी दो चीजें हैरान कर देती है। पहला भेखल की झाड़ी से बना लगभग डेढ़ फुट व्यास का ढोल और दूसरी एक लगभग 150 ग्राम वजन (आकार में इतना कि पूरी हथेली भर जाए) का कनक का दाना। जहां तक कनक (सोना या धतूरा) के दाने की बात है तो कुछ लोग इसे गेहूं का दाना भी कहते हैं। यदि यह गेहूं का दाना है तो निश्चित ही हैरान करने वाला है। हालांकि यह शोध का विषय है। मांहुनाग के मंदिर में भी ऐसा ढोल है, जो उसी झाड़ी के शेष भाग से निर्मित मानी जाती है। यहीं पर स्थित मांहुनाग को महाभारत के कर्ण का रूप माना जाता है। यह पूरे सुकेत रियासत में पूजा जाने वाला वाला देव है, जो लोगों की सांप, कीड़े-मकौड़ों आदि से रक्षा करता है।
माना जाता है कि मंदिर परिसर में लगभग 100 से ज्यादा शिवलिंग भी दबे हुए हैं, लेकिन इनमें से कुछ को निकाला जा चुका है। इस मंदिर के साथ एक पुराना मंदिर भी है, जो बंद पड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर पुराने समय में भुंडा यज्ञ के लिए खोला गया था। यहां पांडव काल की कई दुर्लभ वस्तुएं मौजूद हैं।
2. तत्तापानी -
करसोग से शिमला की ओर जाते हुए मार्ग में 'तत्ता पानी' नामक खूबसूरत स्थल है। यह स्थल सल्फरयुक्त गरम जल के चश्मों के लिए मशहूर है। एक ओर बर्फ की तरह सतलुज का ठंडा जल अगर शरीर को सुन्न कर देता है तो वहीं इस नदी के आगोश से फूटता गरम जल पर्यटकों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। सतलुज के छोर पर सल्फरयुक्त गर्म पानी से नहाने लोग वर्षभर यहां आते हैं।
3. मगरू महादेव मंदिर -
यह मंदिर करसोग से 45 किलोमीटर की दूरी पर छतरी नामक गांव में स्थित है। मगरू महादेव का मंदिर प्राचीन काष्ट कला का एक अद्धभुत नमूना है। मन्दिर में दीवारों पर लकड़ी की नक्काशी , इसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देती है। मगरू महादेव मंदिर सतलुज वर्गीय शैली में तीन मंजिलों में है, जो उत्तरी भारत के उत्कृष्ट मंदिरों में स्थान रखता है। बाहर से साधारण लगने वाला यह मंदिर अंदर से पूर्णतया नक्काशी से सजा पड़ा है। यह एक खूबसूरत जगह पर, पहाड़ों से घिरा हुआ है।
4. कामरू नाग झील मंदिर -
कामरू नाग झील मंडी-करसोग मार्ग पर 3334 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है पर्यटकों और ट्रेकिंग के लिए एक खास जगह है। बर्फ से ढके धौलाधार और बाहु घाटी से घिरी झील बेहद आकर्षक नज़र आती है। कामरू नाग झील मंदिर हरे भरे जंगल के घने आवरण से घिरा हुआ है। झील के निकट एक कामरू नाग मंदिर हरे भरे जंगल के घने आवरण से घिरा हुआ है।
5. रिवालसर झील -
रिवालसर बौद्ध गुरु एवं तांत्रिक पद्मसंभव की साधना स्थली मानी जाती है। यह झील मंडी से 25 किमी दूर है। प्रायश्चित के तौर पर लोमश ऋषि ने शिवजी के निमित्त रिवालसर में तपस्या की थी। कहते हैं गुरु गोविंदसिंह ने मुगल साम्राज्य से लड़ते समय सन् 1738 में रिवालसर झील के शांत वातावरण में कुछ समय बिताया था। इस झील पर अकसर मिट्टी के टीले तैरते हुए देखे जा सकते हैं, जिन पर सरकण्डों वाली ऊंची घास लगी होती है। टीलों के तैरने की अद्भुत प्राकृतिक प्रक्रिया ने रिवालसर झील को सदियों से एक पवित्र झील का दर्जा दिला रखा है। वैज्ञानिक तर्क चाहे कुछ भी हो, परंतु टीलों का चलना दैविक चमत्कार माना जाता है।
6. चिंदी गाँव -
चिंदी शहर की भीड़ भाड़ से दूर छोटा सा गाँव है जो प्रकृति की गोद में चुपचाप बैठा है। यहाँ गाँव में प्राकृतिक सुंदरता और यहाँ स्थित कई छोटे मंदिरों के लिए जाना जाता है। करसोग से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। ये गांव पारंपरिक हिमाचली शैली में बने हैं और इनमें ऐसे परिवार हैं जो पीढ़ियों से वहां रह रहे हैं। आप स्थानीय लोगों के साथ बातचीत शुरू कर सकते हैं और गांव की गलियों और करसोग बाजार घूम सकते हैं। इस गांव चिंडी माता मंदिर भी स्थित है, चिंडी माता में लकड़ी पर सुंदर नक्काशी की गई है, जिससे यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र है।
7. फेमस पहाड़ और पर्वत -
अगर आप अपने लाइफ पार्टनर के साथ सुकून भरे दो पल बिताना चाहते हैं तो आपके लिए करसोग घाटी बेस्ट है। करसोग घाटी की पहाड़ी पर चढ़कर आप पूरे इलाके का 360 डिग्री व्यू देख सकती हैं। इसके अलावा आप कुछ फेमस पहाड़ और पर्वत देख सकते हैं जैसे नारकंडा हट्टू पीक, कुन्हू धार, पीर पंजल, हनुमान टिब्बा और शैली टिब्बा शामिल है।
कब जाएं घूमने -
इस घाटी को घूमने जाने के लिए जुलाई का महीना सही रहेगा, और 4- 5 दिन घाटी घूमने के लिए काफी हैं। खर्चे की बात करें तो वो आपके ऊपर निर्भर करता है, क्योंकि हर कोई अपने कंफर्ट के हिसाब से घूमता है, लेकिन 8 -12 हजार रुपये ये जगह घूमने के लिए काफी हैं।
कैसे पहुंचें करसोग -
सड़क मार्ग से जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक शिमला होकर, दूसरा मंडी होकर। शिमला से करसोग 106 किमी है जबकि मंडी से 91 किमी है। वहीं अगर आप रेल मार्ग चुनते हैं, तो करसोग के सबसे पास पंजाब का किरतपुर साहिब है। हवाई मार्ग के लिए मंडी शहर से 60 किमी दूर भुंतर में हवाई अड्डा है।
ये टिप्स भी आएंगे काम
1.यहां आपको फाइव स्टार रेस्टोरेंट्स के बजाय छोटे-छोटे होटल ही नजर आएंगे। ताजे फल भी यहां आपको मिल जाएंगे। अगर आप खाने को लेकर बहुत सोच-विचार करते हैं तो अपने साथ पैकेज्ड फूड भी ले जा सकते हैं।
2.कारसोग में बाइकिंग का मजा भी उठाया जा सकता है। आप यहां अपनी बाइक ला सकते हैं या फिर यहां होटल में ठहरने पर उसकी व्यवस्था करा सकते हैं।
3.जब ट्रैकिंग करें तो अच्छी क्वालिटी के जूते पहनें।
4.मुमकिन है कि कारसोग में आपको बहुत एटीम ना मिलें। इसीलिए अपनी जरूरत के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में कैश लेकर चलें।
5.यहां आने पर होटल बुकिंग करने के बजाय पहले से ही बुक कर लेना ज्यादा बेहतर है।
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