बैंगलोर से इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने में भले ही मैं पूरी तरह ना डूब पाया हूँ पर कर्नाटक के बेहद सुंदर समुद्रतटों के प्यार में मैं ज़रूर डूब गया | इस राज्य में हरी- भरी विशाल सहयाद्री पर्वत शृंखलाएँ तो है ही साथ ही साफ सफेद रेतीले समुद्रतट भी हैं | जिन स्थानों पर कुदरत के ये दोनों करिश्में मिलते हैं वहाँ सैलानियों को घूमने-फिरने और आनंद करने के लिए एक अलग ही प्रकार की जन्नत मयस्सर हो जाती है | हमें यकीन है कि इस तरह की खूबसूरत जगह पर जाना आप भी बहुत पसंद करेंगे| तो चलिए लॉकडाउन में खाली वक्त का फायदा उठाईए और इन अनोखी रोड ट्रिप्स की जानकारी बटोर लीजिए।
कर्नाटक के तटीय इलाक़ों में करावली और उडुपी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। अगर आप को एक बढ़िया सड़क यात्रा करनी है तो आपका सफ़र गोकर्ण से शुरू होगा और आपको उडुपी, देवबाग द्वीप, मुरुदेश्वर, मार्वन्थे, सुरथकल से ले जाता हुआ और अंत में गोकर्ण वापिस ले आएगा | अगर यात्रा के अंत में थोड़ी मस्ती करना चाहते हैं तो गोवा में सफ़र का अंत कर सकते हैं |
मस्ती भरी सड़क यात्रा के लिए आप सबसे पहले शुरुआत करें सुबह भद्र वन्यजीव अभयारण्य में घूमने से और फिर बाकी का दिन मैंगलोर में बिताएँ | अगले दिन की शुरुआत उडुपी घूमने से होगी और दिन के अंत में आप मुरुदेश्वर में डेरा जमाएँ | आखिर में यात्रा को अंजाम देने के लिए आख़िरी दिन अपनी मर्ज़ी अनुसार गोकर्ण में या गोवा में मस्ती करते हुए बिता सकते हैं | इस मार्ग में आपको बहुत से सुंदर मंदिर, किले और ताजा समुद्री भोजन परोसने वाली छोटी छोटी दुकानें मिलेंगी | ताड़ी के गिलास के साथ चिली स्क्विड की एक प्लेट का आनंद लें | दावा करते हैं कि ऐसा अनोखा स्वाद आप ज़िंदगी भर नहीं भूल पाएँगे |
रास्ते में देखने के लिए दिलचस्प जगहें :
भद्र वन्यजीव अभयारण्य
तकनीकी रूप से देखा जाए तो भद्र वन्यजीव अभयारण्य कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में नहीं आता है | अगर आप को भद्र अभयारण्य देखना है तो मुख्य रास्ता छोड़ कर पूरा चक्कर लगाने के बादआप ये अभयारण्य देख पाएँगे | लेकिन एक बार अगर यहाँ पहुँच गए तो इस सैंक्चुरी की हरियाली, सहज सुंदरता, और अनोखे पंछी यूँ ही पेड़ों पर बैठे दिख जाएँगे कि पीछे आने की मेहनत साकार हो जाएगी | जहाँ तक मुझे जानकारी है, इस अभयारण्य में सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की सफारी से जुड़ी गतिविधि नहीं करवाई जाती है | रिवर टेम्प लॉज सुबह 6:30 बजे और शाम 4:30 बजे सफारी का संचालन किया जाता था। पार्क के अंदरूनी हिस्से की ओर जाने वाली सड़क सहयाद्री पर्वतों के बीच में बने पहाड़ी रास्ते से हो कर गुज़रती है और अभयारण्य के पक्षियों और चित्तीदार हिरणों को देखने का अच्छा मौका देते हैं।
कहाँ ठहरें: आप या तो बजट विकल्पों के लिए चिकमंगलूर में रह सकते हैं या अभयारण्य के पास के रिसॉर्ट में से किसी एक को चुन सकते हैं।
सुरथकल
शहर में रहने वालों के लिए मैंगलोर के पास ही स्थित सुरथकल सबसे पसंदीदा जगह है | तट के पास बनी छोटी-छोटी दुकानें और ताज़ा समुद्री भोजन आप की छुट्टियों का मज़ा दोगुना कर देंगे | आप चाहें तो यहाँ के समंदर की शांत लहरों में तैरने का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं | अगर आप सड़क यात्रा कर रहे हैं और यात्रा के दिन कम हैं तो इस समुद्रतट पर मस्ती कर के सीधे मालपे निकल जाना आप के लिए एक बेहतर विचार होगा |
कहाँ ठहरें : यहाँ ठहराने का सबसे बढ़िया अनुभव लेने के लिए आप समुद्रतट के किनारे बने छोटे-छोटे घरों में रह सकते हैं जहाँ आप को सिर्फ ₹200-300 किराए में समंदर के सामने देखते हुए कमरे मिल जाएँगे | इस इलाक़े में भव्य रिज़ोर्टों की भी कोई कमी नहीं है |
मालपे बीच और सेंट मैरी द्वीप
यात्रा का अगला महत्वपूर्ण पड़ाव मालपे है। बजट रिसॉर्ट्स से भरा यह सुथरा समुद्र तट कई तरह के वाटर स्पोर्ट्स के लिए जाना जाता है जो गोवा की तुलना में काफ़ी सस्ते भी हैं | एक छोटे से पैदल मार्ग द्वारा आप फेरी पॉइंट तक पहुँच जाएँगे, जहाँ से सेंट मैरी आइलैंड जाने के लिए आपको नाव मिल जाएगी | यह द्वीप बसाल्ट लावा से बने बड़े-बड़े चट्टानी स्तंभों से सुसज्जित है | ये स्तंभ हज़ारों साल पहले हुए ज्वालामुखी के विस्फोट से तब बने थे जब भारतीय उपमहाद्वीप मेडागास्कर से जुड़ा हुआ था।
कहाँ ठहरें- मालपे के समुद्रतट पर कई रिसोर्ट हैं जिनमे आप चाहे तो बजट रिसोर्ट का चुनाव कर सकते हैं या चाहें तो आराम से भव्य रिसोर्ट में भी ठहर सकते हैं |
मारावंथे बीच
आपको ऐसी बहुत कम जगहें देखने को मिलेंगी जहाँ समुद्र तट और बैकवाटर्स का लगभग मेल ही हो रहा है| उन्हें अलग कर रही है तो वो है इनके बीच से जाती मात्र एक सड़क | अगर आप गोकर्ण जा रहे हैं तो रास्ते में आपको ये शांत, साफ और प्यारा सा समुद्रतट मिलेगा जिसकी सुंदरता आपको पूरे भारत में शायद ही कहीं देखने को मिले |
कहाँ ठहरें: नाश्ते और दोपहर के भोजन के लिए मारावंथे में रुका जा सकता है | अगर आप रात यहीं बिताना चाहते हैं तो आपको यहाँ पास ही कुछ रिसॉर्ट और होम स्टे मिल जाएँगे|
मुरुदेश्वर
अरब सागर की ओर ताकते हुए भगवान शिव की विशाल प्रतिमा को देख कर पहली बार यहाँ आने वाला सैलानी भी पहचान लेगा | मुरुदेश्वर की हवा में ही ऐसी अनोखी बात है कि आप यहाँ के शांत माहौल में कुछ दिन बिताना ज़रूर चाहेंगे | सहयाद्री पर्वत शृंखलाओं से घिरा हुआ मुरुदेश्वर ऐसा प्रतीत होता है मानो मालगुडी डेज़ के पन्नों में से निकल कर आया हो | सस्ते होटल, हर दुकान व खोमचे पर ताज़ा सामुद्री भोजन और मुख्य समुद्र तट पर रोमांचक खेलों की उपलब्धता आपके घूमने फिरने से संबंधित सारे सपने पूरे कर देगी |
कहाँ ठहरें : मुरुदेश्वर में एक छोटा कम किराए वाला कमरा आपको ₹100 प्रति रात्रि के हिसाब से मिलेगा मगर संडास साझा होगा | और देखा जाए तो आप जितना अधिक खर्च करने को तैयार हैं उस हिसाब से होटल की गुणवत्ता और सुविधाओं की सूची भी उसी हिसाब से बढ़ जाएगी |
कुदुमरी फॉल्स
कुदुमरी झरने के बेस तक जाने के लिए 3 घंटे की चढ़ाई करनी पड़ती है | मुरुदेश्वर से सिर्फ 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित ये झरना एक दिन की यात्रा करने के लिए बहुत अच्छी जगह है | झरने तक पहुँचने के लिए चतकाल गाँव तक ड्राइव करके जा सकते हैं जहाँ से चढ़ाई शुरू होती है |
बेंदूर
अगर आप मुरुदेश्वर में कुछ दिन और रुकने की योजना बना रहे हैं तो आस पास के कई ऐसे स्थान है जहाँ आप दिन के समय में घूम कर आ सकते हैं | बेंदूर नाम का ऐतिहासिक शहर मुरुदेश्वर से 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित है | बेंदूर के शांत, एकांत समुद्रतटों पर आराम से बैठ कर आप को एहसास होगा कि कर्नाटक के तटीय इलाक़े कितना सुकून देते हैं | बेंदूर बहुत से मंदिरों के लिए मशहूर है | श्री सेनेश्वरा मंदिर, श्री महाकाली मंदिर, श्री सीता रामचंद्र मंदिर और श्री सोमेश्वर मंदिर ठीक समुद्र तट पर ही स्थित हैं।
कहाँ ठहरें: साईं विश्राम बीच रिज़ॉर्ट नाम से एक बीच रिसॉर्ट है जहाँ आप तरह तरह के वॉटर स्पोर्ट्स खेल सकते हैं |
नेत्रानी द्वीप
कर्नाटक में स्नोर्केलिंग के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक नेत्रानी द्वीप मुरुदेश्वर से 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। आप इस द्वीप के शीशे से साफ पानी में तरह-तरह के रंग बिरंगे मूँगे की चट्टानें, बटरफ्लाई फिश, ट्रिगर फिश, पैरट फिश, ईल और झींगा मछली को अपने प्राकृतिक परिवेश में तैरते देखने का आनंद लें | भटकल और होन्नावर तक के लिए नावें नियमित रूप से इस द्वीप से चलती हैं |
कहाँ ठहरें: आने जाने में सुविधा के लिए आप मुरुदेश्वर या भटकल में रुक सकते हैं।
भटकल
हम्पी को चाहे विजयनगर साम्राज्य के शिखर पर होने का गौरव प्राप्त हो, लेकिन भटकल भी इस राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। यह प्राचीन शहर जो कभी प्रमुख बंदरगाह हुआ करता था, आज सैकड़ों साल पुराने खंडहरों और कई जैन स्मारकों से सुसज्जित है।
गोकर्ण
इस सड़क यात्रा के अंत में आने वाली यह सुंदर जगह उन सैलानियों के बीच काफ़ी मशहूर है जो गोवा की भीड़ भाड़ से बचना चाहते हैं | हरी भरी पहाड़ियों और शांत समुद्र तटों का आनंद लेते हुए छुट्टियों में मस्ती करने के लिए गोकर्ण एक बढ़िया जगह है। जंगल के बीच से जाने वाली पगडंडी से होते हुए आप कुमता तक पहुँच जाएँगे |
कहाँ ठहरें- अगर अपने रहने के लिए कोई जगह तलाश कर रहे हैं तो गोकर्ण में समुद्र तट के किनारे आप को बहुत सारे हॉस्टल, छोटी मोटी झोपड़ियाँ और होम स्टे ₹300 से ₹2000 तक के मिल जाएँगे |
अगर आप गोकर्ण के बाद भी अपनी सड़क यात्रा को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो चाहें तो गोवा भी जा सकते हैं | अगर आपके पास कुछ और समय है तो हुबली की ओर रुख करें और फिर बादामी, पट्टडकल घूम कर आएँ, उसके बाद हम्पी और जोग फॉल्स | ज़ाहिर है कि इन सबके लिए आप को एक विस्तृत योजना बनानी होगी और योजना के अनुसार चलने के लिए आप को दिन भी ज्यादा चाहिए होंगे। | मगर जो भी हो, ये सुंदर और सुकून भरी सड़क यात्रा आपको कर्नाटक से प्रेम में डुबो देगी |
हमारे साथ अपनी यात्रा के अनोखे किस्से और जानकारी बाँटें। यहाँ क्लिक करें और अपना ब्लॉग बनाना शुरू करें।
यह आर्टिकल अनुवादित है | ओरिजिनल आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें |