हम्पी नहीं ये है कर्नाटक की सबसे आकर्षक ऐतिहासिक जगह जहाँ मिलेगा प्रकृति का भी बढ़िया तालमेल

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हर किसी के लिए घुमक्कड़ी की शुरुआत किसी कोमल सपने की तरह होती है। शुरू के दिनों में ये सपना इतना कोमल लगता है कि विश्वास ही नहीं होता है कि हम असल में इसको जी रहे हैं। पहली बार घूमने जाने का एहसास बिल्कुल एक नए पौधे की तरह होता है। नरम-नरम मिट्टी से जैसे एक नन्हा पौधा अपनी जगह बनाते हुए निकलता है घुमक्कड़ी के रास्ते पर पहला कदम भी कुछ वैसे ही होता है। लेकिन दुख की बात ये है कि एक बार जब आप घूमना शुरू कर देते हैं तब आप उन जगहों को भूल जाते हैं जहाँ से आपने शुरुआत की होती है। वो छोटी घर के नजदीक वाली जगहें जो किसी खजाने से कम नहीं होती हैं। ऐसी जगहों में आपके शहर का इतिहास संजोया गया होता है। इनमें आपके होने की महक होती है लेकिन कहीं ना कहीं आपके और इनके बीच एक झीना-सा पर्दा पड़ जाता है।

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कर्नाटक का बादामी भी ऐसी ही जगह है। ये जगह हम्पी के बेहद नजदीक स्थित है इसलिए इसका महत्व अक्सर कम हो जाता है। बादामी कर्नाटक के बागलकोट जिले का हिस्सा है। बादामी 5वीं और 8वीं शताब्दी के बीच चालुक्य राजवंश की राजधानी हुआ करता था। ये जगह बेंगलुरु से 450 और हैदराबाद से 420 किमी. की दूरी पर स्थित है। इन दोनों शहरों के इतने नजदीक होने की वजह से अक्सर बादामी को वीकेंड ट्रिप के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन माना जाता है।

क्या देखें?

बादामी कर्नाटक के उत्तरी भाग में स्थित बेहद महत्वपूर्ण शहर है जो अपने शानदार इतिहास और आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। बादामी में देखने के लिए बहुत सारे प्राचीन मंदिर, किले और ऐतिहासिक जगहें हैं जिन्हें आपको जरूर देख लेना चाहिए।

1. बादामी गुफा मंदिर

बादामी गुफा मंदिर कुल चार हिन्दू मंदिरों का समूह है जो एक ही परिसर में बने हुए हैं। इन सभी मंदिरों को पत्थर से काटकर बनाया गया है जो इनकी शान को और भी बढ़ा देता है। मंदिर का ढांचा पारंपरिक चालुक्य वंश को ध्यान में रखकर बनाया गया है। खास बात ये है कि परिसर में मिलने वाली सभी गुफाओं को एक समूचे पत्थर से उकेरा गया है और मंदिर में रखी सभी मूर्तियों को भी इसी पत्थर से बनाया गया है। अगर आप बादामी में फेमस और लोकप्रिय जगहों पर जाना चाहते हैं तब ये जगह आपके लिस्ट में जरूर होनी चाहिए। मंदिर के आसपास का इलाका भी बेहद खूबसूरत और शांतिपूर्ण है जिसको देखकर आपकी आँखों को सुकून मिलेगा।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक

एंट्री फी: 5 रुपए

2. अगस्त्य झील

गुफा मंदिरों के नीचे बनी ये झील एक विशाल जल निकाय है। अन्य झीलों की तुलना में इस झील को पवित्र भी माना जाता है। कहा जाता है इस झील में डुबकी लगाने से बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। केवल यही नहीं इस झील के पीछे और भी बहुत सारी मान्यताएं हैं। लोगों का मानना है कि झील में डुबकी लगाने से पापों का भी नाश हो जाता है। खास बात ये है कि फिलहाल इस झील की देख-रेख बादामी के स्थानीय लोग करते हैं जो झील के पानी को संरक्षित करने में भी मदद करते हैं। ये झील अपने आप में जितनी मोहक है इसके आसपास के नजारे भी उतने ही शानदार हैं। झील के चारों तरफ पहाड़ियों की मनोरम तस्वीर दिखाई देती है जो आपको खुश कर देगी।

3. बादामी किला

अगर बादामी कर्नाटक का दिल है तो इस किले को उसकी धड़कन कहा जा सकता है। ऐतिहासिक होने के साथ-साथ ये किला आर्कोलॉजी के नजरिए से भी बेहद महत्वपूर्ण है। बड़ी चट्टान के ऊपर बने इस किले से नीचे बसे शहर और इमारतों का बेहद शानदार नजारा दिखाई देता है जिसे आपको मिस नहीं करना चाहिए। ये किला बादामी गुफाओं के ठीक सामने स्थित है इसलिए आप यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं। इसके अलावा खास बात ये भी है कि इस किले के चारों तरफ एक विशाल भण्डारघर है जिसे उस समय अनाजों और बाकी सामान को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। किले की जमीन के नीचे कई सारी गुफाएँ भी हैं जो आपस से एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक

4. ऐहोल

ऐहोल कर्नाटक का ही गाँव है जिसे ऐवल्ली और अर्यपुरा जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। ये एक धार्मिक स्थान है जहाँ बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म से जुड़े कई मठों का घर है। यहाँ पर मिलने वाले ज्यादातर मठ पत्थर से बने हुए हैं जिसकी वजह से ये पूरा गाँव ही पत्थर का बना हुआ लगता है। इसके अलावा ऐहोल में तरह-तरह के मंदिर भी है जो भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव को समर्पित हैं। इन मंदिरों की खास बात ये है कि बाहर से देखने पर ये सभी मंदिर साधारण से लगते हैं लेकिन अंदर जाने पर सभी मंदिरों की दीवारों पर बढ़िया नक्काशी की गई है जिनमें अलग-अलग भगवानों की तस्वीरें बनाई गई हैं। ऐहोल में मंदिरों के अलावा आप म्यूजियम और आर्ट गैलरी भी देख सकते हैं।

5. अक्का तंगी झरना

अगर आपको लग रहा है कि बादामी में सिर्फ मंदिर और प्राचीन इमारतें ही हैं तो एक्का तंगी झरने को देखकर आपका ये भ्रम दूर हो जाएगा। बादामी बस स्टेशन से केवल 1.1 किमी. की दूरी पर बना ये झरना आपके अंदर बैठे एडवेंचर प्रेमी को खूब रास आएगा। ये वॉटरफॉल देखने में जितना आकर्षक है इसके आसपास का नजारा भी उतना ही मोहक है। बड़े-बड़े चट्टानों से टकराकर गिरता हुआ पानी दूर से देखने में सफेद लकीर जैसा लगता है। झरने के आसपास आपको हरियाली देखने के लिए मिलेगी जिससे ये पूरा दृश्य और भी मोहक हो जाता है।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक

6. पत्तदकल

पत्तदकल को पत्तदकल्लू और रक्तापुरा के नाम से भी जाना जाता है। पत्तदकल वो जगह है जहाँ 7वीं और 8वीं शताब्दी के हिन्दू और जैन मंदिरों का भंडार है। पत्तदकल के मंदिरों की खास बाते ये है कि ज्यादातर सभी मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं और उन्हें पूर्व दिशा की ओर बनाया गया है। बादामी से 20 किमी. दूर बसी ये जगह अपने अद्भुत मंदिरों और इमारतों के लिए जानी जाती है। ये मंदिर रामायण और महाभारत की कहानियों से प्रेरित मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। मंदिर के अंदर के कुछ हिस्सों को पारंपरिक द्रविड़ शैली को ध्यान में रखकर भी बनाया गया है।

7. भूतनाथ मंदिर

पहाड़ियों में स्थित ये मंदिर केवल बादामी ही नहीं बल्कि पूरे कर्नाटक के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से है। असल में ये कुछ मंदिरों का समूह है जिन्हें एक साथ जोड़कर भूतनाथ मंदिर कहा जाता है। इन मंदिरों में भगवान शिव के भूतनाथ अवतार को पूजा जाता है जो इसे बेहद खास बनाता है। इन सभी मंदिरों को बनाने में बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। ये मंदिर इतनी बढ़िया जगह पर स्थित है कि आपका मन खुश हो जाएगा। मंदिर का आर्किटेक्चर दक्षिण भारत की पारंपरिक शैली पर एकदम फिट बैठता है। इन मंदिरों में अलग-अलग भगवानों के अवतार हैं। केवल यही नहीं मंदिर के पीछे जैन और भगवान विष्णु के अवतार भी देख सकते हैं। अगर आप किसी ऐसे त्योहार के समय बादामी जा रहे हैं जो हिन्दू धर्म में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है तब आपको इस समूह को देखने जरूर आना चाहिए।

8. आर्कोलॉजिकल म्यूजियम

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श्रेय: होलिडिफाई

बादामी में स्थित ये आर्कोलॉजिकल म्यूजियम प्राचीन पत्थरों, औजार, मूर्तियों और कई ऐसी चीजें का घर है जिनसे बादामी के इतिहास जुड़ा हुआ है। इसके अलावा संग्रहालय में कई सारे पुराने दस्तावेजों को भी प्रदर्शित किया गया है जिन्हें आपको देख लेना चाहिए। अगर आप बादामी के इतिहास और शहर के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आपको इस म्यूजियम को देखने जरूर आना चाहिए।

कैसे बनाएं प्लान?

बादामी को काफी हद तक हम्पी का हिस्सा माना जाता है। लेकिन ये जगह इतनी खास है कि इसको अच्छे से देख लेने के लिए आपको अलग से 3 दिनों का समय रखना चाहिए। अगर आप हम्पी आ रहे हैं तो केवल एक दिन की ट्रिप के लिए बादामी जाना गलती हो सकती है। इसलिए आपको यहाँ समय लेकर आना चाहिए। सबसे अच्छी बात ये है कि क्योंकि ज्यादातर लोग बादामी के लिए बस 1 दिन ही रखते हैं इसलिए आमतौर पार बादामी में आपको भीड़ नहीं मिलेगी। बादामी आने के लिए आपको 3 दिन की प्लान बनाना चाहिए। पहले दिन आप दोपहर तक बादामी आइए। शाम के समय आप किला और ऊपरी शिवालय मंदिर देख सकते हैं। दूसरे दिन आपको सुबह का समय अगस्त्य झील और भूतनाथ मंदिर देखते हुए बिताना चाहिए। शाम को आप म्यूजियम घूम सकते हैं। तीसरे दिन को आपको पत्तदकल और ऐहोल के लिए रखना चाहिए। इस तरह से ट्रिप प्लान करने से आप बिना भागदौड़ करे आराम से इस शहर को देखने का मजा ले सकते हैं।

कहाँ ठहरें?

बादामी फेमस जगह तो है लेकिन बहुत कम लोग ही यहाँ रुकने का प्लान बनाते हैं। अक्सर लोग केवल दिनभर में शहर घूमकर वापस चले जाते हैं। इसलिए बादामी में ठहरने के विकल्प थोड़े कम हैं। बादामी में आप होटल मौर्य चालुक्य, क्लार्क्स इन बादामी और कृष्णा हेरिटेज होटल में से किसी होटल में ठहर सकते हैं। इन सभी होटलों में आपके जरूरत की सभी सुविधाएं मौजूद हैं इसलिए आपको एक आरामदायक रात बिताने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। इन होटलों की खास बात ये भी है कि इन सभी का अपना खुद का रेस्त्रां भी है इसलिए आपको खाने की तलाश में इधर-उधर नहीं घूमना पड़ेगा।

कब जाएँ?

बादामी आने के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा होता है। क्योंकि बादामी में कई सारे मंदिर हैं जो पत्थरों को काटकर बनाए गए हैं इसलिए अगर आप गर्मियों में आने का प्लान बना रहे हैं तो आपको उमस और तेज धूप का सामना करना पड़ सकता है। बरसात के समय आने पर आपको अगस्त्य झील और बाकी सभी झरने भी पानी से लबालब भरे हुए मिलेंगे जिससे आपके घूमने का मजा किरकिरा नहीं होगा। इसके अलावा अगर आप चाहें तो ठंड के मौसम में भी बादामी आने का प्लान बना सकते हैं। कुल मिलाकर अगस्त और फरवरी के बीच का समय बादामी आने के लिए सबसे बढ़िया समय है।

कैसे पहुँचें?

बादामी आने के लिए आपके पास कई विकल्प हैं। आप फ्लाइट, ट्रेन और सड़क के रास्ते आसानी से बादामी आ सकते हैं। हालांकि अगर आप फ्लाइट के रास्ते बादामी आना चाहते हैं तब आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी।

फ्लाइट से: बादामी में कोई एयरपोर्ट नहीं है। इसलिए अगर आप फ्लाइट लेकर बादामी आना चाहते हैं तो आपको पहले बेलगाम एयरपोर्ट आना होगा। हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों से आपको आसानी से बेलगाम के लिए फ्लाइट मिल जाएंगी। बेलगाम एयरपोर्ट बादामी से लगभग 132 किमी. की दूरी पर स्थित है। बेलगाम से आप शेयर टैक्सी, कैब या बस लेकर आसानी से बादामी पहुँच सकते हैं।

ट्रेन से: अगर आप ट्रेन लेकर बादामी आना चाहते हैं तो आपको इसमें भी कोई परेशानी नहीं होगी। बादामी में बढ़िया रेलवे स्टेशन है जो देश के बाकी सभी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुए है। अगर आप हैदराबाद या बेंगलुरु के रास्ते बादामी आ रहे हैं तब आपको ये सफर तय करने में लगभग 12 घंटों का समय लग जाएगा। अच्छी बात ये है कि बादामी के नजदीक आते ही आपको आसपास के इलाकों में भरपूर हरियाली दिखाई देने लगती है जिससे आपका सफर और भी सुहावना हो जाता है।

बस से: बादामी में सड़कों का अच्छा नेटवर्क है जिसकी वजह से आप यहाँ आसानी से आ सकते हैं। सबसे अच्छा होगा कि आप अपनी गाड़ी या शेयर टैक्सी लेकर बादामी आएँ। बादामी पहुँचने के लिए आप कर्नाटक राज्य पर्यटन की बसों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

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