5 अनोखे गाँव जहाँ पर सिर्फ़ महिलाएँ रहती हैं, पुरुषों को इजाज़त नहीं

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‘हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। दुष्यंत कुमार की ये दो पंक्तियाँ शायद आज के आपके घुमक्कड़ी के सफर की कुछ नए पैमाने जोड़ देगी। घुमक्कड़ी सिर्फ नई-नई जगहों पर जाना और उनको देखना नहीं है। घुमक्कड़ी एक नए समाज, संस्कृति और परंपराओं को भी जानने का मौका देता है। हम चाहे जितना बराबरी की बात कर लें लेकिन आज भी ये समाज पुरूष ही चलाते हैं। कहने को तो औरतें घर को चलाती हैं लेकिन जब कोई फैसला या महत्वपूर्ण बात होती है महिलाओं को उसमें शामिल तक नहीं किया जाता है।

हमारे देश में औरतों को देवी का दर्जा दिया जाता है, आज से नहीं कई सौ साल पहले से। चाहे भारत के धर्म ग्रन्थों को देख लीजिए या फिर ग्रीक के पुराणों को देख लीजिए। मगर पहले और आज में अंतर इतना है कि तब महिलाओं के पास भी समाज और परिवार को चलाने की शक्ति थी। महिलाएँ परिवार आज भी चला सकती हैं लेकिन ये समाज ऐसा होने नहीं देता। इसके बावजूद कुछ जगहें हैं जहाँ औरतों के नियंत्रण में ही सब कुछ है। इन जगहों पर महिलाएँ ही सारे निर्णय लेती हैं। आज आपको दुनिया के ऐसे ही कुछ गांवों की सैर पर ले चलता हूँ। जहाँ महिलाओं के हाथ में ही सब कुछ है।

1. नोहवैत, भारत

श्रेय: असम होलिडेज।

Photo of मेघालय, India by Rishabh Dev

भारत की बात आते ही हम भारतीयों के चेहरे पर भर-भर कर मुस्कुराहट आ जाती है। हमारी छाती गर्व से फूल उठती है। हमें हमेशा से यही सिखाया जाता आ रहा है कि आदमी बाहर जा कर नौकरी करेगा और औरत घर संभालेगी। हालाँकि शहरों में महिलाएँ भी नौकरी करने जाती हैं। तब भी घर आकर काम उसे ही करना पड़ता है। बचपन से ही लड़कियों को पराया धन माना जाता है। इसके बावजूद आपको जान कर हैरानी होगी भारत में एक जगह ऐसी है जहा औरतें ही परिवार चलाती हैं। मेघालय खासी आदिवासियों के लिए जाना जाता है। यहाँ सालों से लड़का और लड़की को बराबर माना जाता है।

मेघालय में ही एक गाँव है नौहवेत। यहाँ सब कुछ महिलाओं के हाथ में है। परिवार के हर फैसले महिलाएँ ही लेती हैं। पुरूष न तो किसी भी प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं और न ही बच्चों से जुड़ा कोई भी फैसला ले सकते हैं। शादी के बाद लड़की को अपना घर भी नहीं छोड़ना पड़ता। शादी के बाद यहाँ लड़कियाँ अपना सरनेम भी नहीं बदलती। सबसे खास बात तो ये है कि यहाँ संपत्ति पर लड़की का ही अधिकार होता है। है न ये भारत का सबसे अच्छा और खास गाँव?

2. लुगु झील, चीन

श्रेय: विकीपीडिया।

Photo of चीन by Rishabh Dev

भारत ही नहीं चीन में ऐसा ही एक गाँव है जहां महिलाएं सबसे ऊपर होती हैं। हिमालय की गोद में स्थित लुगू झील मोसुओ आदिवासियों का घर है। मोसुओ दुनिया भर में अपने सख्त कानूनों के लिए जाने जाते हैं। ये जगह चीन की एक मात्र ऐसी जगह है जहां मातृसत्तामक समाज है। मोसुओ महिलाओं का घर है। यहाँ करीब 40,000 औरतें रहती हैं। धर्म की बात करें तो ये महिलाएँ बौद्ध धर्म को मानती हैं। यहाँ वंश और पूर्वजों को महिलाओं के नाम से ही याद किया जाता है। यहाँ परिवार की संपत्ति में महिलाओं का हिस्सा क्या? पूरी जायदाद ही उनकी होती है। ये संपत्ति पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं को सौंप दी जाती है।

यहाँ पिता का कुछ खास भूमिका नहीं होती है। लड़कियाँ अपना बचपन अपनी दादी के साथ फ्लॉवर हाउस कुटिया में गुजारती हैं। फ्लॉवर हाउस वो जगह है जहाँ मोसुओ आदिवासी बुजुर्ग महिलाएं रहती हैं। 13 साल की होने के बाद लड़कियों को अपना अलग कमरा मिल जाता है। आश्चर्य की बात ये भी है कि यहाँ लड़कियाँ शादी नहीं करती हैं। शादी की जगह वाॅकिंग मैरिज की परंपरा है। इसके अनुसार वे अपने पार्टनर को चुन सकती हैं। इसमें एक लड़की एक से ज्यादा लोगों को पार्टनर बना सकती है। जब बच्चा होता है तो उसकी परवरिश माँ ही करती है।

3. ब्रिब्रि, कोस्टा रिका

श्रेय: कोस्टा रिकन टाइम्स।

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ब्रिब्रि कोई जगह नहीं बल्कि कोस्टा रिका की एक आदिवासी जनजाति है। ब्रिब्रि की अपनी एक बड़ी दिलचस्प कहानी है। यहाँ के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन खेती है। यहाँ परिवार की पूरी जमीन माँ के नाम होती है। माँ इस जमीन को बेटे के बजाय अपनी लड़की को देती है। इस आदिवासी जनजाति की आबादी करीब 35,000 के करीब है। यहाँ एक दिलचस्प रिवाज है। एक खास तरह का पारंपरिक पेय पदार्थ होता है जो कोको से बनाया जाता है। जिसे सिर्फ यहाँ की महिलाएँ ही बनाती हैं। यहाँ औरत के हाथ से बनी हर चीज को शुद्ध माना जाता है।

4. उमोजा गांव, केन्या

श्रेय: विकीपीडिया।

Photo of केन्या by Rishabh Dev

लंबे समय से चली आ रही प्रथा को खत्म करना बहुत कठिन होता है। ये कठिन काम केन्या के एक गाँव ने किया है। केन्या के तलहटी में बसा उमोजा गाँव की औरतों ने 500 साल पुरानी एक प्रथा को खत्म कर दिया गया है। उमोजा का मतलब एकता होता है और ये गाँव नारी शक्ति का जीता जागता उदाहरण है। करीब 25 साल पहले उमोजा गाँव की औरतों ने सालों से अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई।

1990 में संबुरू आदिवासी की एक महिला रेबेका लॉलोसोली ने इसकी शुरुआत की। तबसे उमोजा गाँव में पुरूष नहीं आ सकते हैं। यहाँ घर के निर्माण से लेकर उनके रख-रखाव तक सारे काम महिलाएँ ही करती हैं। शुरुआत में महिलाओं को कई दिक्कतों को सामना भी करना करना पड़ा। तब सबसे पड़ी समस्या थी, पैसे की कमी। महिलाओं ने पैसे के लिए अपने गहने बेचे। तब से वो एक रिवाज बन गया है जो आज तक कायम है। अगर आप केन्या के इस गाँव को देखने जाएँ तो यहाँ से कुछ बहुमूल्य चीजें खरीदना न भूलें।

5. मिनांकाबाऊ, इंडोनेशिया

Photo of इंडोनेशिया by Rishabh Dev

आम तौर पर देखा जाता है कि मुस्लिम औरतों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होती है। इस वजह से यहां लड़का-लड़की में बराबरी हो, ऐसा कम ही परिवारों में देखा गया है। तब एक इंडोनेशिया का एक गाँव ऐसा है जहाँ महिलाओं को पुरूष से ऊपर रखा जाता है। इंडोनेशिया के मिनंकाबाऊ गांव पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए एक मिसाल है।

यहाँ की औरतें सिर्फ चार दीवारी तक सीमित नहीं है। यहाँ औरतें भी पैसे कमाती हैं। यहाँ के पारंपरिक कपड़े महिलाएँ बनाती हैं। जिसे यहाँ के लोग बड़े गर्व के साथ बताते हैं। 2017 की जनगणना के अनुसार इंडोनेशिया की कुल आबादी 4 मिलियन है। यहाँ लोग लड़के के लिए नहीं, लड़की के पैदा होने की दुआ माँगते हैं। यहाँ पूरी संपत्ति लड़की के नाम होती है।

अगर आपने दुनिया के इन गाँवों की यात्रा की है तो अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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