भारत को एक बहुत ही पवित्र देश माना जाता है यहां न जाने कितने ही देवी देवता और ऋषि मुनियों ने जन्म लिया है जिसके अवशेष आज भी भारत के विभिन्न प्रान्तों में मौजूद है , और उन्हें पूरी आस्था और विश्वास के साथ पूजा भी जाता है।ऐसी ही एक पवित्र जगह है दक्षिण भारत का चेन्नई जो अपने धार्मिक स्थानों और विभिन्न मंदिरों के लिए जाना जाता है। चेन्नई के एक उपनगर मलयपुर में स्थित कपालेश्वर मंदिर जोकि 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद सबसे अच्छा मंदिर माना जाता है।अगर आप भी महादेव के सच्चे भक्त हैं तो एक बार जरूर इस मंदिर के दर्शन करे।ऐसी मान्यता है की यहां दर्शन मात्र से ही भक्तो की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है।
कपालेश्वर मंदिर
चेन्नई के दक्षिणी भाग मायलापुर में स्थित कपालेश्वर मंदिर चेन्नई के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। कपालेश्वर मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है जिसे स्थानीय भाषा में कर्पगमबल कहा जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी के आसपास पल्लव राजाओं ने किया था। इस मंदिर की वास्तुशिल्प बनावट द्रविड शैली से काफी मिलती जुलती है।
लेकिन पुर्तगाली खोजकर्ताओं ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। जिसे लगभग 16 वीं शताब्दी में विजयनगर के राजाओं ने फिर से निर्माण किया।मंदिर परिसर में फागुन (तमिल में पांगुनी) महीने ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है जो साल का सबसे बड़ा उत्सव होता है। तब यहाँ विशाल मेला लगता है। यह कुछ कुछ वसंतोत्सव जैसा होता है।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार एक श्राप के कारण देवी पार्वती मोर बन गईं और अपने मूल रूप में वापस आने के लिए इस जगह पर तपस्या करने लगी । कई वर्षो तक उन्होंने शिवलिंग की पूजा की और बाद में उन्होंने अपना मूल रूप वापस पा लिया और भोलेनाथ को भी। भगवान शिव को कपालेश्वरर और उनकी पत्नी देवी पार्वती को यहां कर्पगंबल के नाम से जाना जाता है। यहां लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी करने आते हैं।मंदिर के दोनों तरफ विशाल हाल बने हैं। इनमें 63 नयनारों की स्तुति रत मूर्तियाँ बनी हैं। मंदिर परिसर में गौशाला भी है। मंदिर परिसर में भगवान का भोग लगाने के लिए फलों की सुंदर रंगोली भी सजाई जाती है।कपालेश्वर महादेव मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद सबसे श्रेष्ठ मंदिर माना जाता है। मंदिर की सीढ़ियां उतरते ही सामने गोदावरी नदी बहती नजर आती है। इसी में प्रसिद्ध रामकुंड है। पुराणों के मुताबिक,भगवान राम नेइसी कुंड में अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था।
कपालेश्वर मंदिर की वास्तुकला
कपालेश्वर मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। यह मंदिर सातवीं सदी में पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया हुआ बताया जाता है। मंदिर की वर्तमान संरचना विजय नगर के राजाओं द्वारा सोलहवीं सदी में बनवायी गयी है। मंदिर का मुख्य भवन काले पत्थरों का बना है। मंदिर के दो मुख्य द्वार हैं, जहाँ विशाल गोपुरम बने हैं। मंदिर का मुख्य गोपुरम 120 फीट ऊंचा है तो 1906 में बनवाया गया।मंदिर के दोनों तरफ विशाल हाल बने हैं। इनमें 63 नयनारों की स्तुति रत मूर्तियाँ बनी हैं। मंदिर परिसर में गौशाला भी है।
मंदिर खुलने का समय
मंदिर सुबह 6.00 बजे दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर 12.30 से शाम 4.00 बजे तक मंदिर बंद रहता है। यहाँ रात्रि 9.30 बजे तक दर्शन किये जा सकते हैं। मंदिर की व्यवस्था ट्रस्ट देखता है। यहाँ भी स्पेशल दर्शन के लिए 20 रुपये के टिकट की व्यवस्था है। मंदिर की व्यवस्था तमिलनाडु सरकार के अधीन है।
कैसे पहुंचे?
हवाई जहाज से: मंदिर चेन्नई हवाई अड्डे से सिर्फ 16 किमी दूर है। हवाई अड्डे पर उतरने के बाद आपको बहुत सारे टैक्सियाँ और तमिलनाडु सरकार की बसें मिल जाएँगी।
रेल द्वारा : चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन माइलापुर से लगभग 8 किमी दूर है जहां कपालेश्वर मंदिर स्थित है।तो आप यहां से टैक्सी या कैब से पहुंच सकते है।
सड़क मार्ग से :- कपालेश्वर मंदिर चेन्नई शहर से 8 किमी दूर है और चेन्नई शहर देश के लगभग सभी हिस्सों से राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग द्वारा तमिलनाडु राज्य के सभी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। साथ ही अगर आप बस के बारे में विचार कर रहे हैं, तो दक्षिण भारत के सभी शहरों से सरकारी बसें और निजी बसें उपलब्ध हैं।
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