उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में एक पहाड़ पर कई श्रद्धालु, कतार से एक पर्वत की और बढ़ रहे हैं। वो श्रद्धालु पिछले ढाई घंटे से नंगे पैर एक समूची पहाड़ी का पूरा चक्कर लगा रहे हैं | इन श्रद्धालुओं में कई अंधभक्त भी हैं, तो कुछ पढ़े लिखे लोग भी हैं जो सिर्फ़ राम का इतिहास जानने में दिलचस्पी रखते हैं |
जिस कामदगिरी नाम की पहाड़ी की बात हम कर रहे हैं, वो राज्य मध्य प्रदेश के जिला सतना के जाने-माने तीर्थ चित्रकूट में है | होनी भी चाहिए, क्योंकि इस पहाड़ी पर 'भगवान श्रीराम' ने अपने 14 वर्ष के लंबे वनवास के 11 साल बिताए थे |
मज़ा आया कुछ नया सुनके | और सुनो...
चित्रकूट तीर्थ कहाँ है ?
चित्रकूट नाम का तीर्थ उत्तर विन्ध्य की पहाड़ियों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों के नज़दीकी हिस्सों में फैला है | चित्रकूट में कामदगिरी के अलावा और भी धार्मिक पर्वत हैं, जैसे हनुमान धारा, जानकी कुंड, लक्ष्मण पाहरी, और देवंगना |
कामदगिरी पर्वत क्या है ?
इन सभी पहाड़ियों में से सबसे जानी मानी पहाड़ी है कामदगिरी, जिसके चारों दिशाओं में चार गेट बने हैं | कहते हैं कि कामदगिरी पर्वत से उतरने के लिए श्रीराम इन्हीं चारों दरवाज़ों का इस्तेमाल करते थे |
कामदगिरी पर्वत क्यों है मशहूर ?
किसी श्रद्धालु से चित्रकूट और कामदगिरी की कहानी सुनोगे तो पता चलेगा कि भगवान श्रीराम के 14 बरस के वनवास के वक़्त ऋषि वाल्मीकि ने उन्हें चित्रकूट में रहने की सलाह दी थी | 14 सालों में से 11 साल से ज़्यादा वक़्त श्रीराम कमदगिरी की पहाड़ी पर रहे थे |
कहते हैं कि चाहे भारत के चारों धामों की यात्रा कर आओ, मगर कामदगिरी की परिक्रमा नहीं की तो चार धाम यात्रा का पुण्य नहीं मिलेगा|
ये परिक्रमा करने का कार्यक्रम चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे बने राम घाट से शुरू होता है, जहाँ मानते हैं कि श्रीराम अपने वनवास के दौरान रोज़ नहाने आते थे |
इस घाट पर डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु कामदगिरी पर्वत की तरफ कामतानाथ मंदिर में जाते हैं | इस मंदिर से ही 5 कि.मी. लंबी परिक्रमा शुरू होती है |
परिक्रमा के लिए पक्का रास्ता बनाया हुआ है, जहाँ हवन-पूजा का सामान बेचने वाले अपनी दुकानें लगाए रखते हैं | रास्ते में ढेर सारे बंदरों की टोलियाँ दिखेंगी, तो अपना सामान ज़रा संभाल लें |
पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा में मंदिर भी है | अगर परिक्रमा करने के बाद भी अंदर जुनून बाकी हो तो गुफा में भी जा आइए | अब यहाँ तक आ ही गए हैं तो पूरी तरह रामलला के रंग में रंग लीजिए |
कामदगिरी जाने का मन बना रहे हैं तो रास्ते में यहाँ भी घूम आना
पहली बात तो कामदगिरी इलाक़ा घने जंगलों से घिरा है | तो यहाँ घूमने जाएँगे तो जंगल में सफारी तो अपने-आप ही हो जाएगी | लेकिन अगर परिक्रमा और गुफा के अलावा और भी चीज़ें देखना चाहते हैं तो आपका सफ़र रामघाट से शुरू होगा |
फिर आप कामदगिरि के साथ ही रास्ते में ये जगहें भी देख सकते हैं -
भरत मिलाप : जहाँ भरत और राम वनवास के बाद मिले थे |
जानकी कुंड : राम घाट से ऊपर की ओर ये कुंड है जहाँ सीता नहाया करती थी |
स्फटिक शिला : जानकी कुंड से भी ऊपर नदी किनारे एक चट्टान है जिसपर राम और सीता के पैरों के निशान हैं | इसे ही स्फटिक शिला बुलाते हैं |
शर्त लगा सकता हूँ कि आपमें से ज़्यादातर लोग कामदगिरी के बारे में नहीं जानते होंगे | कोई बात नहीं, वाल्मीकि के बताने से पहले श्रीराम भी कामदगिरी के बारे में नहीं जानते थे |
तो जानने के लिए यहाँ जाने का मन बना लीजिए | जल्द ही बारिश का मौसम आने वाला है और ठंडक में कामदगिरी किसी स्वर्ग से कम नहीं लगेगा |