उत्तराखंड का सबसे खतरनाक और थका देने वाला ट्रेक, कमजोर दिल वालों सोचकर बनाना प्लान

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Photo of उत्तराखंड का सबसे खतरनाक और थका देने वाला ट्रेक, कमजोर दिल वालों सोचकर बनाना प्लान by Deeksha

शहर की चकाचौंध, ऑफिस का रोज के झंझट की वजह से जिंदगी एकदम व्यस्त हो जाती है। हमारे पास बैठने और आराम करने का भी वक्त नहीं होता है। इस भागदौड़ की जिंदगी के बीच हम शांति और सुकून की तलाश में रहते हैं जहाँ हम खुद को बिजी लाइफ से दूर रखकर खुद को तरोताजा कर पाएं। इसके लिए हिमालय के खूबसूरत नजारे सबसे बेस्ट होते हैं। हिमालय में आपको सबसे सुंदर नजारे देखने हैं तो बहुत सारा एडवेंचर करना होगा। अगर आप रोमांच से दूर नहीं भागते हैं तो उत्तराखंड का कालिंदी खाल ट्रेक आपके लिए ही बना है।

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कालिंदी खाल पास गंगोत्री और बद्रीनाथ को जोड़ता है। उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित कालिंदी खाल पास समुद्र तल से लगभग 6,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कालिंदी खाल पास भारत के सबसे कठिन ट्रेक में से एक है इसलिए अगर आपने पहले भी ऐसे ट्रेक किए हैं तब ही इसे करने के बारे में सोचें। लगभग 90 किमी. लंबे इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 14 से 15 दिन लगते हैं। इस ट्रेक में आपको खूबसूरत पहाड़, लेक और झरने देखने को मिलेंगे।

परमिट

कालिंदी खाल पास ट्रेक को करने के लिए आपको इनर लाइन पास परमिट लेना होगा। ये परमिट आपको उत्तरकाशीर के डीएम और जिला वन अधिकारी से लेना होगा। इसके लिए आपके पास फोटो और पहचान पत्र होना चाहिए। अगर आप परमिट नहीं लेंगे तो इस ट्रेक को नहीं करेंगे। इस परमिट को कई जगहों पर चेक किया जाता है इसलिए इसको संभाल कर रखें।

कब जाएं?

जब पहाड़ों में इतनी ऊँचाई पर जाने का प्लान बनाते हैं तो इसके लिए गर्मियों का मौसम ही बेस्ट रहता है। इसलिए मानसून से पहले का समय कालिंदी खाल ट्रेक करने का सबसे बेस्ट टाइम है। आपको मई और जून मे इस ट्रेक को करने का प्लान बनाना चाहिए। ठहरने के लिए आपको कई जगहों पर गेस्ट हाउस मिल जाएंगे लेकिन आपको अपने साथ टेंट जरूर रखना चाहिए।

ऐसे करें ट्रेक!

दिन 1: गंगोत्री पहुँचे

अगर आप दिल्ली या देश किसी दूसरे शहर से गंगोत्री आ रहे हैं कोशिश ये करें कि ट्रेक शुरू होने के एक दिन पहले शाम तक गंगोत्री पहुँच जाएं। शाम में आप अपने होटलों ठहरें और जमकर आराम करें क्योंकि अगले दिन से सफर कठिन ही होने वाला है। गंगोत्री के खूबसूरत नजारों के आनंद भी लें। आप कुछ सामान भी यहाँ से खरीद सकते हैं।

दिन 2: गंगोत्री से भोजबासा

अगले दिन सुबह जल्दी उठें और ब्रेकफास्ट करके ट्रेक के लिए निकल पड़ें। शुरू में ये ट्रेक देवदार के खूबसूरत जंगलों से होकर गुजरेगा। कुछ देर बाद आप चिरबासा पहुँच जाएंगे। भागीरथी नदी के साथ चलते हुए आप भोजबासा पहुँच जाएंगे। भोजबासा समुद्र तल से 3,972 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भोजबासा इस ट्रेक का पहला पड़ाव है। यहाँ आप रात में आराम करेंगे।

दिन 3: भोजवासा टू तपोवन

अगले दिन आप गौमुख की ओर बढ़ेंगे। इस ट्रेक में आपको चीड़ के पेड़ के जंगल मिलेंगे। गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर का मुंह है। गौमुख में ही गंगा का उद्गम होता है। आप इस खूबसूरत जगह को देखते हुए आगे बढ़ सकते हैं। गौमुख से आगे बढ़ते हुए आप तपोवन पहुँचेंगे। तपोवन समुद्र तल से 4,463 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ आप कैंप लगाकर आराम कर सकते हैं।

दिन 4: नंदनवन पहुँचे

सुबह-सुबह जल्दी उठे और नंदनवन के लिए निकल पड़े। अब तक आपको ट्रेक करने की आदत हो जाएगी। थकान तो होगी लेकिन उसका असर कम रहेगा। खूबसूरत रास्ते से होकर आप नंदनवन के खूबसूरत घास के मैदान में पहुँच जाएंगे। जहाँ से हिमालय की खूबसूरत चोटियां दिखाई देंगी।

दिन 5: नंदनवन से वासुकी ताल

अगले दिन आपको वासुकी ताल पहुँचना होगा। वासुकी ताल समुद्र तल से 4,880 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। आप चतुरंगा ग्लेशियर से होते हुए मेरू और भृगुपंथ के खूबसूरत नजारे देख पाएंगे। वासुकी ताल एक खूबसूरत झील है जो सर्दियों में जम जाती है लेकिन गर्मियों में आप इसकी खूबसूरती को देख पाएंगे।

दिन 6: वासुकी ताल से खरा पत्थर

अब आप सबसे कठिन रास्ते में पहुँच जाएंगे। आपको बर्फ के रास्ते से होकर गुजरना पड़ेगा जो काफी कठिन होता है। वासुकी ताल से खरा पत्थर पहुँचने में आपको 5 से 6 घंटे का समय लग जाएगा। समुद्र तल से 5,480 मीटर की ऊँचाई पर आप कैंप लगाकर थकावट का दूर कर सकते हैं।

दिन 7: खरा पत्थर टू स्वेता ग्लेशियर

इस ट्रेक में अब तक आपको कोई ग्लेशियर नहीं मिला होगा लेकिन स्वेता ग्लेशियर में आपको देखने को मिल जाएगा। खूबसूरत स्वेता ग्लेशियर समुद्र तल से 5,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चारों तरफ से हिमालय की चोटियों से ये ग्लेशियर घिरा हुआ है। यहीं पर आप कैंप लगाकर रात में आराम करेंगे।

दिन 8: कालिंदी खाल बेस कैंप

अगले दिल खूबसूरत नजारों को देखते हुए उठेंगे। स्वेता ग्लेशियर से आगे चलेंगे तो चतरुंगी ग्लेशियर पहुँचेंगे। ये ग्लेशियर चार रंग का है। इसके बाद आप आगे बढेंगे तो कालिंदी खाल बेस कैंप आएगा। यहाँ से आपको हिमालय की चोटियां और भी साफ नजर आएंगी।

दिन 9: कालिंदी खाल पास

अगले दिन रात में 12-1 बजे उठें और ट्रेक करने के लिए आगे बढ़ें। बर्फ से ढंके ये पहाड़ खूबसूरत तो लेकिन चढ़ाई करना भी बेहद कठिन है। तारों से जगमग आसमान के नीचे सफेद चादर पर आप चलेंगे नहीं बल्कि रेंगते हुए नजर आएंगे। आप खूबसूरत सूर्योदय कालिंदी खाल पास से देख पाएंगे। ऐसा खूबसूरत नजारा आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। कुछ देर यहाँ ठहरने के बाद आप राजा पारव पहुँचेंगे।

दिन 10: राजा पारव से अरवातल

अब आपको नीचे उतरना होगा। चढ़ाई करना कठिन है तो उतरना भी आसान नहीं है। अरवातल समद्र तल से लगभग 4,910 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। झील किनारे आप खूबसूरत नजारों के बीच कैंपिंग कर सकते हैं और अगले दिन के लिए तैयार हो सकते हैं।

दिन 11: घसतोली पहुँचे

अगले दिन आप अरवातल से आगे बढ़ें। समुद्र तल से घसतोली 3,910 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस 16 किमी. लंबे ट्रेक को पूरा करने में आपको 6-7 घंटे लग जाएंगे। आप घसतोली पहुँचकर खूबसूरत नजारों और अपनी यात्रा के बारे में सोच सकते हैं।

दिन 12: घसतोली से बद्रीनाथ

ब्रेकफास्ट करने के बाद आन माणा गांव के लिए चलें। माणा विलेज भारत का आखिरी गांव है। इस गांव से होते हुए आप चलते चलें। लगभग 18 किमी. की पूरी यात्रा के बाद बद्रीनाथ पहुँचेंगे। बद्रीनाथ में आप मंदिर के दर्शन करेंगे और होटल में रात गुजारें।

दिन 13: बद्रीनाथ से जोशीमठ

अगले दिन उठें और आगे बढ़ने के लिए तैयार हो जाएं। बद्रीनाथ से आपको जोशीमठ होते हुए हरिद्वार और ऋषिकेश की बस मिल जाएगी। जहाँ से आप अपने शहर की ओर जा सकते हैं। ये ट्रेक कठिन लेकिन बेहद खूबसूरत हैं।

कुछ टिप्सः

1. अपने साथ ट्रेक के सभी जरूरी सामान रखें जिससे आपको कोई दिक्कत न आए।

2. परमिट और गाइड इस ट्रेक में अनिवार्य है।

3. इतने लंबे ट्रेक को ग्रुप के साथ करें तो अच्छा रहेगा।

4. अपने साथ मेडिकल किट जरूर रखें।

5. सबसे निकटतम एटीएम हर्षिल में है इसलिए अपने साथ पर्याप्त कैश रखकर चलें।

6. ट्रेक में आपके मोबाइल में कोई नेटवर्क नहीं आएगा।

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